नमस्कार आदाब साथियों, मोबाइल वाणी ले कर आया है रोज़गार समाचार। स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (एस एस सी )द्वारा दिल्ली पुलिस कांस्टेबल के कुल 7547 पदों पर रिक्तियाँ निकाली गई है। न्यूनतम 18 वर्ष से अधिकतम 25 वर्ष तक के आयु वाले वैसे उम्मीदवार जिन्होंने किसी मान्यता प्राप्त विद्यालय से इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण किया हो, वे इन पदों के लिए आवेदन कर सकते है। आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को आयु सीमा में नियमानुसार छूट दी जायेगी । अभ्यर्थियों का चयन कंप्यूटर आधारित परीक्षा तथा शारीरिक सहनशक्ति परीक्षण के आधार पर किया जाएगा । चयनित व्यक्तियों का वेतनमान नियमानुसार निर्धारित किया गया है। आवेदन शुल्क सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों के लिए 100 रूपए और महिला व एससी व एसटी वर्ग के उम्मीदवारों के लिए निशुल्क निर्धारित किया गया है। इच्छुक अभ्यर्थी दिनांक 30 सितंबर 2023 से पहले आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया पूरी कर सकते है। वेबसाइट है https://ssc.nic.in/ इस वेबसाइट के माध्यम से आप इस पद के सम्बंधित आधिकारिक सूचना भी प्राप्त कर सकते है। तो साथियों अगर आपको यह जानकारी लाभदायक लगी तो मोबाइल वाणी एप्प पर लाइक बटन दबाये साथ ही फ़ोन पर सुनने वाले श्रोता 5 दबाकर इसे पसंद कर सकते है। नंबर 5 दबाकर यह जानकारी आप अपने दोस्तों के साथ बाँट भी सकते हैं। धन्यवाद !

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

एक राष्ट्र एक चुनाव के फैसले पर आगे बढ़ने के लिए संविधान में संशोधन जरूरी है, इसके लिए दो तिहाई राज्यों की सहमति, संसद के दोनों सदनों में दो तिहाई बहुमत से पास कराने जैसी प्रक्रिया भी हैं, जिससे गुजरकर ही यह विचार मुकम्मल होगा। यह मसला व्यापक चर्चा का विषय है लेकिन सरकार के पास क्या इतना वक्त है जिसमें इस तरह की चर्चा कराई जा सके, जबकि आम चुनावों में कुछ महीनों का ही वक्त बचा हुआ है। दोस्तों क्या आपको भी लगता है कि सरकार की तरफ से बुलाया गया संसद का विशेष सत्र नियम प्रक्रियाओं और परंपराओं के अनुरूप है, सरकार जिस विधेयक को पेश कर रही है वह इतना महत्वपूर्ण है कि इस पर विचार विमर्श भी न किया जा सके। पूर्व राष्ट्रपति को एक राजनीतिक समिति का अध्यक्ष बनाया जाना कितना सही है? क्या यह सरकार की मनमर्जी है? इस मसले पर अपनी बात को रिकॉर्ड करें और बताएं कि आप इस मसले पर क्या सोचते हैं, आपकी बात भले मसले के पक्ष में हो या फिर विपक्ष में। अपनी बात पक्ष _विपक्ष में रिकॉर्ड जरूर करें अपने फोन से 3 नंबर का बटन दबाकर या फिर एप के जरिए एड का बटन दबाकर, क्योंकि आप बोलना जरूरी है। बोलेंगे तो बदलेगा?

Transcript Unavailable.

"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ श्री अशोक झा ऑर्गेनिक खेती या प्राकृतिक खेती के बारे में जानकारी दे रहें हैं। अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें.

Transcript Unavailable.

दोस्तों , सरकार कानून में संसोधन कर रही है , नए-नए बिल ला रही है। कहीं सड़को के नाम बदले जा रहे है, तो कहीं पर योजनाओं के नाम बदले जा रहे है। चापलूसों ने भी अपना नाम बदल कर वक्ता रख लिया है और कान में इयरफोन लगा कर अपने आप को नेता जी से ऊपर समझने लगे है। तो जब पूरा देश ही नाम बदलने के चक्कर के लगा हुआ है , तो हमारी देश की जनता जिसे हम नागरिक कहते है , उन्होंने भी महँगाई का नाम बदल कर उसका तोड़ निकाल लिया है। अब लोग महँगाई से लड़ने के लिए किलो में नहीं बल्कि पाव में खरीददारी कर रहे है। एक ज़माना था , जब लोग कहते थे कि एक सेब रोज़ खाइए और डॉक्टर को दूर भगाइए। आज लोग सेब को देख कर ही दूर भाग रहे है। दाल, तेल, मसालों और सब्ज़ियों के बाद अब आम आदमी फल का केवल नाम ही सुन पा रहा है। आने वाले वक़्त में ये खतरा है कि लोग आश्चर्य से ये न बताये कि आज मैंने अंगूर देखा था , बिल्कुल हरा हरा गोल गोल। दोस्तों, आप हमें बताइए कि इस बढ़ती महँगाई में आपका गुज़ारा कैसे हो रहा है ? क्या आप मौसमी फल खा पा रहे है ? बढ़ती महँगाई ने आपके घर और रसोई को किस कदर प्रभावित किया है। अपनी बात, राय विचार और अनुभव बताने के लिए अभी दबाएँ अपने फ़ोन में नंबर 3 का बटन साथ ही मोबाइल वाणी ऐप में रिकॉर्ड करने के लिए दबाएँ ऐड का बटन। दोस्तों, समाज के हर मसले पर हमें बोलना होगा। क्योंकि हमारा मानना है कि बोलेंगे तो बदलेगा

चुनाव लोकतांत्रिक प्रक्रिया का सबसे महत्वपूर्ण अंग हैं और इनका महत्व तभी है, जब वे निष्पक्ष तरीके से हों और इसमें शामिल होने वाले हर दल, हर व्यक्ति को समान अवसर उपलब्ध कराए जाएं, जिससे किसी को यह न लगे की उसके साथ भेदभाव किया गया है। चुनावी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए भारत में अलग से एक संस्था बनाई गई है, जिसे चुनाव आयोग के नाम से जाना जाता है। आजादी के बाद से अब तक इसे एक निष्पक्ष इकाई के तौर पर ही माना जाता रहा है। एक समय था जब, पूर्व चुनाव आयुक्त टीएन शेषन आयोग की ईमानदारी का दूसरा नाम बन गये थे। लेकिन अब उसकी निष्पक्षता को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है। चयन प्रक्रिया में बदलाव के लिए पेश किया गया विधेयक कानून बनता है तो सोचिए कि देश में न्यायपूर्ण और स्वतंत्र चुनाव करवाना संभव हो पाएगा? चुनाव आयुक्तों के चयन की प्रक्रिया को बदलकर सत्तारूढ़ दल चुनाव को अपने पक्ष में मोड़ने का प्रयास कर रहे हैं? इसके अलावा ऐसा करने के अलावा और क्या मंशा हो सकती है? इस बारे में ताज़ा जानकारी के लिए सुनें हमारा कार्यक्रम, 'पक्ष और विपक्ष'। और हाँ, कार्यक्रम के अंत में अपनी राय रिकॉर्ड करना ना भूलें। अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए दबाएं नंबर 3 जरूर दबाएं.