मैं पल्लवी श्रीवास्तव सीतापुर मोबाइल वाणी से बालों का झड़ना रोकने के लिए, आप Advik Ayurveda Onion Hair Oil का प्याज के तेल का उपयोग कर सकते हैं। इस तेल में प्याज के पोषक तत्व और मिनरल्स होते हैं, जो बालों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं। आपको हर हफ्ते कम से कम एक बार इस तेल को अपने बालों में लगाना चाहिए, और उसे धीरे-धीरे अपने बालों की जड़ों में मालिश करें। इससे बालों का पोषण मिलेगा और उनका झड़ना कम हो सकता है। इसके साथ ही, सही आहार, पर्यापन, और स्वस्थ जीवनशैली बनाना भी बालों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।

मैं पल्लवी श्रीवास्तव सीतापुर मोबाइल वाणी से आप तुरंत कोई सूती कपड़ा तीन चार तह कर लीजिए और उसको ठंडा पानी में गिला करके निचोड़ लीजिए और उसको पेट पर रखिए गले पर रखिए और माथे पर रखिए आप दो-दो मिनट पर चेंज करते रहिए फिर पानी में गिला करके निचोड़ कर फिर पेट पर रखिए गर्दन पर रखिए माथे पर रखिए। इस तरह आप करेंगे 20 मिनट आधा घंटा में ही बुखार उतर जाएगा । अगर बुखार ना उतरे तो नारियल पानी एक गिलास दीजिए फिर एक डेढ़ घंटा के बाद मौसमी का जूस दीजिए फिर एक डेढ़ घंटे के बाद नारियल का पानी दीजिए फिर एक डेढ़ घंटे के बाद मुसम्मी का जूस दीजिए आप पूरा दिन इस तरह करिए अगर बुखार ज्यादा है नहीं उतर रहा तो अगले दिन भी आप नारियल पानी 1 घंटे के बाद मुसम्मी का जूस और बीच में आप खीरा टमाटर का सलाद दीजिए खाने के लिए। तीसरे दिन बुखार में एक गिलास नारियल पानी और मुसम्मी का जूस दीजिए दोपहर में सलाद दीजिए और फिर खाना खाईए बुखार उतर गया होगा।

मैं पल्लवी श्रीवास्तव सीतापुर मोबाइल वाणी से जिले में प्रवेश करने वाले लोगों को अब देश के विशिष्ट महापुरुषों की गाथाओं का स्मरण होगा। उनकी गाथाओं और शिक्षा को जन जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से जिले की सीमाओं पर उनके नाम से स्मृति द्वार बनाये जाएंगे। जिससे जिले में प्रवेश करने वाले लोग उन्हें नमन कर सकेंगे। इसके लिए जिला प्रशासन को प्रस्ताव और बजट मिल गया है। दो स्मृति द्वार बनकर तैयार भी हो चुके हैं। विधान परिषद की निधि से इन स्मृति द्वारों का निर्माण कराया जा रहा। इस काम पर 94 लाख 46 हजार रुपये खर्च होंगे। इस कार्य को कराने के लिए स्टीमेट के अनुसार 56.80 लाख रुपये की पहली किस्त कार्यदायी संस्था को भेजी गई है। विधान परिषद निधि से जिले की सीमाओं पर छह स्मृति द्वार बनाने के लिए धनराशि दी गई है।

मैं पल्लवी श्रीवास्तव सीतापुर मोबाइल वाणी से जिले की जल प्रबंधन प्रणाली अब सिंगापुर मॉडल की तर्ज पर दुरुस्त होगी। इसके लिए सीतापुर नगर पालिका के ईओ वैभव त्रिपाठी को प्रशिक्षण के लिए चुना गया है। वह ट्रेन द ट्रेनर प्रोग्राम के तहत नई दिल्ली स्थित इंडिया हैबिटेट सेंटर में आगामी 22 व 23 नवंबर का प्रशिक्षण के लिए जाएंगे। भारत सरकार के इस कार्यक्रम के लिए उत्तर प्रदेश से मात्र दो अधिकारियों को नामित किया गया है। जिसमें से एक सीतापुर नगर पालिका के ईओ वैभव त्रिपाठी हैं। ईओ वैभव त्रिपाठी ने बताया कि भारत सरकार के इस कार्यक्रम का हिस्सा बनना गौरव की बात है। सिंगापुर को उसकी जल प्रबंधन प्रणाली के लिए जाना जाता है। आज सीतापुर व अन्य शहरों में बड़े पैमाने पर जल प्रबंधन संबंधी समस्याएं मौजूद हैं। ऐसी स्थिति कभी सिंगापुर में भी रही है। सिंगापुर ने अपना एक खास जल प्रबंधन मॉडल विकसित किया है।

यातायात माह के तहत विभाग में एक करोड़ 23 लाख रूपए राजस्व सिर्फ 15 दिन में वसूल कर लिया है। यातायात माह की शुरुआत 1 नवंबर ऐसे हो चुकी है। यह पर्व होने के बावजूद यातायात विभाग ने एक करोड़ 23 लाख 62 हजार ₹800 का चालान काटते हुए राजस्व की प्राप्ति की है। लगातार यह अभियान चल रहा है। फिर भी लोग यातायात नियमों का उल्लंघन करने से बाज नहीं आ रहे हैं। यातायात निरीक्षक फरीद अहमद ने बताया कि पिछली बार सीतापुर जिला चालान काटने और राजस्व के मामले में प्रदेश में चौथे स्थान पर रहा था। इस बार अब तक की 11हजार 214 चालान भी किए गए हैं। कोशिश यही है कि इस बार विभाग पहले स्थान पर रहे।

हंसने-हंसाने से इंसान खुश रहता है, जिससे मानसिक तनाव, चिंता और डिप्रेशन कम होता है। दोस्तों, उत्तम स्वास्थ्य के लिए हंसी-मज़ाक बहुत ज़रूरी है। इसीलिए मोबाइल वाणी आपके लिए लेकर आया है कुछ मजेदार चुटकुले, जिन्हें सुनकर आप अपनी हंसी रोक नहीं पाएंगे। हो जाइए तैयार, हंसने-हंसाने के लिए...

यूनेस्को की 2021 की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में करीब 1.10 लाख ऐसे स्कूल हैं जो केवल एक ही शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। इसके अलावा देश भर में शिक्षकों के लगभग 11.16 लाख पद खाली हैं और उसमें से भी तक़रीबन 70 फीसदी पद गांव के इलाके के स्कूलों में हैं। है ना मज़ेदार बात। जो गाँव देश की आत्मा है , जिसके लिए सभी सरकारें खूब बड़ी बड़ी बातें बोलती रहती है। कभी किसान को अन्नदाता , भाग्य विधाता, तो कभी भगवान तक बना देती है। उसी किसान के बच्चों के पढ़ने के लिए वो स्कूलों में सही से शिक्षक नहीं दे पाती है। जिन स्कूलों में शिक्षक है वहाँ की शिक्षा की हालत काफी बदहाल है. माध्यमिक से ऊपर के ज्यादातर स्कूलों में संबंधित विषयों के शिक्षक नहीं हैं. नतीजतन भूगोल के शिक्षक को विज्ञान और विज्ञान के शिक्षक को गणित पढ़ाना पड़ता है. ऐसे में इन बच्चों के ज्ञान और भविष्य की कल्पना करना मुश्किल नहीं है. लोग अपनी नौकरी के लिए तो आवाज़ उठा रहे है। लेकिन आप कब अपने बच्चो की शिक्षा के लिए आवाज़ उठाएंगे और अपने जन प्रतिनिधियों से पूछेंगे कि कहाँ है हमारे बच्चो के शिक्षक? खैर, तब तक, आप हमें बताइए कि ------आपके गाँव या क्षेत्र में सरकारी स्कूलों में कितने शिक्षक और शिक्षिका पढ़ाने आते है ? ------ क्या आपने क्षेत्र या गाँव के स्कूल में हर विषय के शिक्षक पढ़ाने आते है ? अगर नहीं , तो आप अपने बच्चों की उस विषय की शिक्षा कैसे पूरी करवाते है ? ------साथ ही शिक्षा के मसले पर आपको किससे सवाल पूछने चाहिए ? और इसे कैसे बेहतर बनाया जा सकता है , ताकि हमारे देश का भविष्य आगे बढे।

इस खास दिन पर हम आपसे जानना चाहते हैं कि आपका विद्यार्थी जीवन कैसा रहा या फिर कैसा है? बतौर विद्यार्थी आप क्या क्या सीख रहे हैं और क्या क्या सीखना चाहते हैं? अपनी शिक्षा, अपनी चुनौतियों और अपने सपनों के बारे में यहां बात करें... फोन में नम्बर 3 दबाकर.

सीतापुर का का मंडी भाव

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