"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत कृषि विशेषज्ञ कपिल देव शर्मा बाजरा की फसल की निगरानी व उचित सिंचाई के बारे में जानकारी दे रहे हैं। विस्तारपूर्वक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें .
माता-पिता के रूप में जहाँ हम परवरिश की खूबियाँ सीखते हैं, वहीँ इन खूबियों का इस्तेमाल करके हम अपने बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ावा दे सकते है।आप अपने बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ाने और उन्हें सीखाने के लिए क्या-क्या तरीके अपनाते है? इस बारे में बचपन मनाओ सुन रहे दूसरे साथियों को भी जानकारी दें। अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए दबाएं नंबर 3.
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आपका पैसा आपकी ताकत की आज की कड़ी में हम सुनेंगे और जानेंगे समूह व बैंक ,माइक्रो फाइनेंस समूह से लोन लेने से जुड़ी जानकारी..
29 अगस्त को भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद की जयंती है। मेजर ध्यानचंद को उनके अद्वितीय हॉकी कौशल और खेल के प्रति समर्पण के लिए याद किया जाता है। उन्होंने भारत को हॉकी में कई अंतरराष्ट्रीय जीत दिलाकर देश का गौरव बढ़ाया है। आज के दिन खेल के क्षेत्र में अहम योगदान देने वाले खिलाड़ियों को भारत के राष्ट्रपति राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों से सम्मानित करते हैं। बच्चों और युवाओं में खेल के प्रति रुचि पैदा करने के उद्देश्य से,स्कूलों और कॉलेजों में विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। प्रतियोगिता में अच्छा प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को पुरस्कार देकर प्रोत्साहित किया जाता है। जगह - जगह खेल के प्रति जागरूकता अभियान चलाया जाता है। दोस्तों , खेल प्रतिस्पर्धा और मनोरंजन के दायरे से परे हैं। उनमें जीवन बदलने, चरित्र निर्माण करने और सामाजिक परिवर्तन को बढ़ावा देने की शक्ति है।आइए आज राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर हम प्रण करें कि हम खेलेंगे और लोगों को खेलने के लिए प्रेरित करेंगे। मोबाइल वाणी परिवार की तरफ से राष्ट्रीय खेल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
इस एपिसोड के मुख्य विषय, वर्षा जल संग्रहण, को दर्शाता है। "बूंद-बूंद से सागर" मुहावरा छोटे प्रयासों से बड़े परिणाम प्राप्त करने की भावना को व्यक्त करता है। यह श्रोताओं को प्रेरित करता है कि वर्षा की हर बूंद महत्वपूर्ण है और उसका संग्रहण करके हम बड़े बदलाव ला सकते हैं। क्या आप वर्षा जल को इक्कट्ठा करने और सिंचाई से जुडी किसी रणनीति को अपनाना चाहेंगे? और क्या आपके समुदाय में भी ऐसी कहानियाँ हैं जहाँ लोगों ने इन उपायों का इस्तेमाल करके चुनौतियों का सामना किया है?
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सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...
समाज कि लड़ाई लड़ने वाले लोगों के आदर्श कितने खोखले और सतही हैं, कि जिसे बनाने में उनकी सालों की मेहनत लगी होती है, उसे यह लोग छोटे से फाएदे के लिए कैसे खत्म करते हैं। हालांकि यह पहली बार नहीं है जब कोई प्रभावशाली व्यक्ति ने इस तरह काम किया हो, नेताओं द्वारा तो अक्सर ही यह किया जाता रहा है। हरियाणा के ऐसे ही एक नेता के लिए ‘आया राम गया राम का’ जुमला तक बन चुका है। दोस्तों आप इस मसले पर क्या सोचते हैं? आपको क्या लगता है कि हमें अपने हक की लड़ाई कैसे लड़नी चाहिए, क्या इसके लिए किसी की जरूरत है जो रास्ता दिखाने का काम करे? आप इस तरह की घटनाओं को किस तरह से देखते हैं, इस मसले पर आप क्या सोचते हैं?
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