उत्तरप्रदेश राज्य के जिला महोबा से सायरा बानू , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहती है महंगाई बहुत बढ़ गई है। सरकार को महंगाई पर ध्यान देना चाहिए।
उत्तरप्रदेश राज्य के महोबा ज़िला से हमारे मोबाइल वाणी संवाददाता की बातचीत पुष्पेंद्र राजपूत से हुई। ये कहते है कि महोबा और हमीरपुर ज़िला में लाखों की संख्या में पेड़ काटी गयी है। दो सालों में सूखे व हरे पेड़ों की बहुत कटाई हुई है। अधिकारी से शिकायत करने पर कहते है कि उन्हें पेड़ काटने के लिए अनुमति मिली हुई है। पूरे हमीरपुर ज़िला में दो लाख पेड़ काटे गए है। बाबुल और शीशम का पेड़ जो प्रतिबंधित है ,वो पेड़ काटे गए है। ट्रैक्टर भर कर लकड़ियाँ ले जाइ जाती थी। डीएम से बात करने पर भी पेड़ों की कटाई में कोई कार्यवाही नहीं हुई है। पर जब सरकार से शिकायत की गई तो पेड़ों की कटाई में थोड़ी कमी आई है। पेड़ काटेगी तो बरसात कैसे होगी। ऐसे में पानी की दिक्कत तो आएगी ही।
उत्तरप्रदेश राज्य के महोबा ज़िला से मोबाइल वाणी संवाददाता की बातचीत पिरु से हुई। पिरु बताते है कि इनके गाँव काली पहाड़ी में क्रेशर से काम बहुत होता है। इससे धूल बहुत होता है। खदान से उड़ने वाली धूल से बीमारी होने का ख़तरा अधिक रहता है।गाँव वाले आँख ,पेट ,छाती की बीमारी से अधिक पीड़ित रहते है। गाँव वालों को खदानों में थोड़ा ही काम मिलता है जिसकी मज़दूरी कम है ,लगभग 300 से 400 रूपए। लोगों के बाल बच्चे है तो वो गाँव में ही रहकर या आसपास के क्षेत्र में काम करते है। अगर कही काम नहीं मिलता है तब ही ग्रामीण खदानों में काम करते है। जब खदानों में विस्फोट होता है तो आवाज़ें बहुत होती है ,इससे अब तक कोई दुर्घटना होने की ख़बर नहीं मिली है। खदान से सबसे ज़्यादा होने वाली समस्या धूल की है ,इससे निजात दिलाने के लिए प्रधान अभी तक शुरुआत नहीं किये है।
उत्तरप्रदेश राज्य के महोबा ज़िला से मोबाइल वाणी संवाददाता की बातचीत एक बच्ची आरती से हुई। आरती चौथी कक्षा की छात्रा है। ये बताती है कि इनके गाँव में पत्थर के बहुत खदान है। खदान में काम होने के कारण बहुत धूल होता है। इस कारण बच्चों को बाहर जा कर खेलने नहीं दिया जाता है। इनके पापा को भी धूल के कारण ह्रदय रोग हो गया है। इनके घर में बड़ा भाई और मम्मी रोजगार कर जीविका चलाती है। बच्चे बीमार न हो जाए इसीलिए बच्चों को बाहर जाने नहीं दिया जाता है। खदान में जो विस्फोट होता है ,उससे भी लोग डर के माहौल में रहते है कि कहीं लोग पत्थरों से घायल न हो जाए। इनके गाँव के लोग इस समस्या से निदान पाने की कोशिश किये भी है तो उनकी सुनवाई नहीं हो पाई है। इस कारण अब ग्रामीण इस समस्या को लेकर आवाज़ नहीं उठाते है।खदानों में गाँव के लोगों को काम भी कम मिलता है।
उत्तरप्रदेश राज्य के महोबा ज़िला से मोबाइल वाणी संवाददाता की बातचीत चुन्नी लाल से हुई। चुन्नी लाल यह बताते है कि वह पत्थर खदान में मजदूरी करते है , पत्थर तोड़ने का काम करते है। उनको मजदूरी करने के छह सौ रुपये मिलते है। पत्थर के खदान में काम होने के कारण गाँव में बहुत धुल उड़ती है , बहुत शोर होता है। बच्चे , बूढ़े घर से बाहर नहीं निकल पाते है। गाँव में चारों तरफ बड़े बड़े गड्ढे है। पेंड़ -पौधे भी लगा नहीं पाते है और सांस , फेफड़ों की बीमारियाँ बहुत होती है। बीमार होने पर लोगों को झाँसी लेकर जाते है। इलाज़ कराने में बहुत पैसा खर्च होता है। गाँव के प्रधान भी इसे रोकने का प्रयास नहीं करते है। गाँव के लोग इस खदान का विरोध भी करते है लेकिन बंद नहीं हो पाया। पहाड़ों को तोड़ने के लिए विस्फोटक पदार्थों का प्रयोग किया जाता है जिसके कारण बहुत शोर होता है। खदान के कारण कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। कई लोग पहाड़ से गिर कर और अन्य कारणों से मर चुके है। गाँव में पेंड़ नहीं लग पाते है। जो लोग पहाड़ तोड़ते है वो लोग भी पेंड़ नहीं लगाते है।
महोबा ,बघोरा ,हमारा नाम हावर राजा ग्राम प्रधान भगोरा जैला मोहवा उत्तर प्रदेश हम भगवान द्वारा मारे गए थे । शिगांव से डौरिया तक गया है डौरिया तक एक बहुत ही कच्ची सड़क है जो मध्य प्रदेश की सीमा पर है जो जंगल को वहाँ नहीं गिरने देती है क्योंकि ग्रामीणों को आने - जाने में बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है । कृपाओगी सरकार का बागौरा में दौरिया जाने का मार्ग
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