नमस्कार श्रोताओं ,विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस तीन मई को मनाया जाता है। हर साल, 3 मई एक ऐसी तारीख है जो प्रेस की स्वतंत्रता के मूल सिद्धांतों का जश्न मनाती है, दुनिया भर में प्रेस की स्वतंत्रता का मूल्यांकन करती है, मीडिया को उनकी स्वतंत्रता पर हमलों से बचाती है और उन पत्रकारों को श्रद्धांजलि देती है जिन्होंने अपनी जान गंवा दी है।आज के दिन , प्रेस की स्वतंत्रता के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने और सरकारों को अधिकार का सम्मान करने और बनाए रखने के उनके कर्तव्य की याद दिलाने के लिए मनाया जाता है ।2024 में, विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस का थीम वर्तमान वैश्विक पर्यावरण संकट के संदर्भ में पत्रकारिता के महत्व और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को समर्पित है। इस दिन को मनाने के लिए आइए हम उन लोगों को प्रोत्साहित करें जो दूसरों की आवाज बनने और खोजने के बारे में सीखना चाहते हैं।मोबाइल वाणी के पुरे परिवार की और से आप सभी को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की स्वीकारोकती के बाद सवाल उठता है, कि भारत की जांच एजेंसियां क्या कर रही थीं? इतनी जल्दबाजी मंजूरी देने के क्या कारण था, क्या उन्होंने किसी दवाब का सामना करना पड़ रहा था, या फिर केवल भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है। जिसके लिए फार्मा कंपनियां अक्सर कटघरे में रहती हैं? मसला केवल कोविशील्ड का नहीं है, फार्मा कंपनियों को लेकर अक्सर शिकायतें आती रहती हैं, उसके बाद भी जांच एजेंसियां कोई ठोस कारवाई क्यों नहीं करती हैं?
आपका पैसा आपकी ताकत की आज की कड़ी में हम सुनेंगे स्टेट बैंक के अधिकारी से बचत और बीमा से जुड़ी ख़ास जानकारियों के बारे में।
अगर इस जहां में मजदूरों का नामोंनिशां न होता, फिर न होता हवामहल और न ही ताजमहल होता!! नमस्कार /आदाब दोस्तों,आज 1 मई को विश्व अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस या मई दिवस मना रहा है।यह दिन श्रमिक वर्ग के संघर्षों और विजयों से भरा एक समृद्ध और यादगार इतिहास है। साथियों,देश और दुनियाँ के विकास में मजदूर भाई-बहनों का योगदान सराहनीय है।हम मजदूर भाई-बहनों के जज्बे को सलाम करते हैं और उनके सुखमय जीवन की कामना करते हैं। मोबाइल वाणी परिवार की तरफ से मजदूर दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं !
सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...
"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिलदेव शर्मा किसानों को बता रहे है कि दुधारू पशुओं को संतुलित आहार दें। अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें
नासिक में रहने वाली मयूरी धूमल, जो पानी, स्वच्छता और जेंडर के विषय पर काम करती हैं, कहती हैं कि नासिक के त्र्यंबकेश्वर और इगतपुरी तालुका में स्थिति सबसे खराब है। इन गांवों की महिलाओं को पानी के लिए हर साल औसतन 1800 किमी पैदल चला पड़ता है, जबकि हर साल औसतन 22 टन वज़न बोझ अपने सिर पर ढोती हैं। और ज्यादा जानने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें।
Transcript Unavailable.
"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के अंतर्गत कृषि विशेषज्ञ जीवदास साहू जैविक खेती के फ़ायदे के बारे में जानकारी दे रहे हैं। ग्रीष्मकालीन फसल में जीवामृत का प्रयोग कैसे करनी चाहिए , इसकी पूरी जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें.
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