उत्तरप्रदेश राज्य के महोबा जिला से सायरा बानो ने मोबाइल वाणी के माध्यम से हसीना बानो से बातचीत किया। बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि उनके क्षेत्र में इस वर्ष खेती नहीं हुई साड़ी फसल सूख गयी है। बारिश नहीं होने के कारण फसल बर्बाद हो गए है

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उत्तरप्रदेश राज्य के मबोबा ज़िला से कनीज फात्मा ,मोबाइल वाणी के माध्यम से रवि से बात कर रही है। ये कहते है कि इस साल बरसात नही हो रही है। जिससे फसल बर्बाद हो रही है। फसल जल गया है। सरकार को किसानों की मदद करनी चाहिए। धान में थोड़ी राहत है पर अगर बरसात नहीं होगा तो धान का फसल भी बर्बाद हो जाएगा

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उत्तरप्रदेश राज्य के मबोबा ज़िला से सायरा बानो ,मोबाइल वाणी के माध्यम से एक श्रोता से बात कर रही है। ये कहते है कि बारिश नहीं होने से फसल सूख रहा है

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उत्तरप्रदेश राज्य के जिला महोबा से सायरा बानू , की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से हमारे श्रोता से हुई , श्रोता यह बताना चाहती है कि उनको पेंशन की सुविधा नहीं मिलता है जिसके कारण वह बहुत परेशान है। वह खेती करके अपना घर चला रहे है।

उत्तरप्रदेश राज्य के महोबा ज़िला से हमारे मोबाइल वाणी संवाददाता की बातचीत पुष्पेंद्र राजपूत से हुई। ये कहते है कि महोबा और हमीरपुर ज़िला में लाखों की संख्या में पेड़ काटी गयी है। दो सालों में सूखे व हरे पेड़ों की बहुत कटाई हुई है। अधिकारी से शिकायत करने पर कहते है कि उन्हें पेड़ काटने के लिए अनुमति मिली हुई है। पूरे हमीरपुर ज़िला में दो लाख पेड़ काटे गए है। बाबुल और शीशम का पेड़ जो प्रतिबंधित है ,वो पेड़ काटे गए है। ट्रैक्टर भर कर लकड़ियाँ ले जाइ जाती थी। डीएम से बात करने पर भी पेड़ों की कटाई में कोई कार्यवाही नहीं हुई है। पर जब सरकार से शिकायत की गई तो पेड़ों की कटाई में थोड़ी कमी आई है। पेड़ काटेगी तो बरसात कैसे होगी। ऐसे में पानी की दिक्कत तो आएगी ही।

उत्तरप्रदेश राज्य के महोबा ज़िला से मोबाइल वाणी संवाददाता की बातचीत पिरु से हुई। पिरु बताते है कि इनके गाँव काली पहाड़ी में क्रेशर से काम बहुत होता है। इससे धूल बहुत होता है। खदान से उड़ने वाली धूल से बीमारी होने का ख़तरा अधिक रहता है।गाँव वाले आँख ,पेट ,छाती की बीमारी से अधिक पीड़ित रहते है। गाँव वालों को खदानों में थोड़ा ही काम मिलता है जिसकी मज़दूरी कम है ,लगभग 300 से 400 रूपए। लोगों के बाल बच्चे है तो वो गाँव में ही रहकर या आसपास के क्षेत्र में काम करते है। अगर कही काम नहीं मिलता है तब ही ग्रामीण खदानों में काम करते है। जब खदानों में विस्फोट होता है तो आवाज़ें बहुत होती है ,इससे अब तक कोई दुर्घटना होने की ख़बर नहीं मिली है। खदान से सबसे ज़्यादा होने वाली समस्या धूल की है ,इससे निजात दिलाने के लिए प्रधान अभी तक शुरुआत नहीं किये है।