उत्तरप्रदेश राज्य के महोबा ज़िला से मोबाइल वाणी संवाददाता की बातचीत पिरु से हुई। पिरु बताते है कि इनके गाँव काली पहाड़ी में क्रेशर से काम बहुत होता है। इससे धूल बहुत होता है। खदान से उड़ने वाली धूल से बीमारी होने का ख़तरा अधिक रहता है।गाँव वाले आँख ,पेट ,छाती की बीमारी से अधिक पीड़ित रहते है। गाँव वालों को खदानों में थोड़ा ही काम मिलता है जिसकी मज़दूरी कम है ,लगभग 300 से 400 रूपए। लोगों के बाल बच्चे है तो वो गाँव में ही रहकर या आसपास के क्षेत्र में काम करते है। अगर कही काम नहीं मिलता है तब ही ग्रामीण खदानों में काम करते है। जब खदानों में विस्फोट होता है तो आवाज़ें बहुत होती है ,इससे अब तक कोई दुर्घटना होने की ख़बर नहीं मिली है। खदान से सबसे ज़्यादा होने वाली समस्या धूल की है ,इससे निजात दिलाने के लिए प्रधान अभी तक शुरुआत नहीं किये है।