उत्तरप्रदेश राज्य के महोबा ज़िला से मोबाइल वाणी संवाददाता की बातचीत चुन्नी लाल से हुई। चुन्नी लाल यह बताते है कि वह पत्थर खदान में मजदूरी करते है , पत्थर तोड़ने का काम करते है। उनको मजदूरी करने के छह सौ रुपये मिलते है। पत्थर के खदान में काम होने के कारण गाँव में बहुत धुल उड़ती है , बहुत शोर होता है। बच्चे , बूढ़े घर से बाहर नहीं निकल पाते है। गाँव में चारों तरफ बड़े बड़े गड्ढे है। पेंड़ -पौधे भी लगा नहीं पाते है और सांस , फेफड़ों की बीमारियाँ बहुत होती है। बीमार होने पर लोगों को झाँसी लेकर जाते है। इलाज़ कराने में बहुत पैसा खर्च होता है। गाँव के प्रधान भी इसे रोकने का प्रयास नहीं करते है। गाँव के लोग इस खदान का विरोध भी करते है लेकिन बंद नहीं हो पाया। पहाड़ों को तोड़ने के लिए विस्फोटक पदार्थों का प्रयोग किया जाता है जिसके कारण बहुत शोर होता है। खदान के कारण कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। कई लोग पहाड़ से गिर कर और अन्य कारणों से मर चुके है। गाँव में पेंड़ नहीं लग पाते है। जो लोग पहाड़ तोड़ते है वो लोग भी पेंड़ नहीं लगाते है।