सरकार द्वारा लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीट आरक्षित करने और गांवों में पीएम आवास योजना के तहत 70 प्रतिशत से ज्यादा मकान महिलाओं को देने से देश में महिलाओं की गरिमा बढ़ी तो है। हालांकि, इन सबके बावजूद कुछ ऐसे कारण हैं जो महिलाओं को जॉब मार्केट में आने से रोक रहे हैं। भारत में महिलाओं के लिए काम करना मुश्किल समझा जाता है. महिलाएं अगर जॉब मार्केट में नहीं हैं, तो उसकी कई सारी वजहें हैं, जिनमें वर्कप्लेस पर काम के लिए अच्छा माहौल न मिल पाना भी शामिल है . दोस्तों, हर समस्या का समाधान होता है आप हमें बताइए कि *----- नौकरी की तलाश में महिलाओं को किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है। *----- आपके अनुसार महिलाओं के नौकरी से दूर होने के प्रमुख कारण क्या हैं? *----- महिलाओं को नौकरी में बने रहने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?

भारत में महिला श्रम शक्ति भागीदारी में हाल के वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, हालांकि वैश्विक औसत की तुलना में यह कम आधार पर है। ।स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया रिपोर्ट 2023 के अनुसार, भारत में महिला कार्यबल की संरचना विकसित हो रही है, जिसमें उच्च शिक्षा प्राप्त युवा महिलाओं की संख्या बढ़ रही है जो श्रम बाजार में शामिल हो रही हैं। भारत में दुनिया की सबसे बड़ी कामकाजी आयु वाली आबादी होने का अनुमान है, जो 2030 तक लगभग 70% तक पहुंच जाएगी, लेकिन कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी का वर्तमान निम्न स्तर लगातार असहनीय होता जा रहा है।तो दोस्तों, हर समस्या का समाधान होता है आप हमें बताइए कि *----- महिलाएं किन प्रकार के कार्यों में अधिकतर अपना ज्यादा समय लगाती है ? *----- महिलाओं को उच्च पदों पर पहुंचने में क्या क्या चुनौतियां आती हैं? *----- आपके अनुसार महिलाओं को कार्यस्थल पर किन प्रकार के भेदभाव का सामना करना पड़ता है? और महिलाओं को उद्यमिता और स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए हमें किस तरह के प्रयास करने की ज़रूरत हैं? *----- क्या आपको भी लगता है कि समाज को इस दिशा में सोच बदलने की ज़रूरत है .?

तमाम दावों के बाद भी सच्चाई यही है कि आज भी देश में महिलाएँ और लड़कियां गायब हो रही है और हमने एक चुप्पी साध राखी है। दोस्तों, महिलाओं और किशोरियों का गायब होना एक गंभीर समस्या है जो सामाजिक मानदंडों से जुड़ी है। इसलिए इसे सिर्फ़ कानूनी उपायों, सरकारी कार्यक्रमों या पहलों के ज़रिए संबोधित नहीं किया जा सकता। हमें रोजगार, आजीविका की संभावनाओं की कमी, लैंगिक भेदभाव , जैसे गंभीर चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए इसकी रोकथाम के लिए सोचना होगा। साथ ही हमें लड़कियों को शिक्षित करने और उन्हें सशक्त बनाने की भी आवश्यकता है। तो दोस्तों, हर समस्या का समाधान होता है आप हमें बताइए कि *----- लड़कियों को मानसिक रूप से मजबूत और आत्मनिर्भर बनाने के लिए क्या प्रयास किए जा सकते हैं? *----- आप इस मुद्दे के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए क्या प्रयास कर रहे हैं? साथ ही आप सरकार से इस मुद्दे पर क्या अपेक्षाएं रखते हैं? *----- आपके अनुसार लड़कियों और महिलाओं को लापता होने से बचाने के लिए क्या किया जा सकता है?

उत्तरप्रदेश राज्य के कुशीनगर जिला से निखिलेश प्रताप सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि लैंगिक असमानता समाज के लिए एक अभिशाप है और इस अभिशाप से बचने के लिए हमें महिलाओं और उनके काम को स्वतंत्रता देनी होगी। हमें लैंगिक असमानता को समाप्त करने के लिए जन जागरूकता अभियान शुरू करके समाज से लैंगिक असमानता को उखाड़ फेंकने की आवश्यकता है। लैंगिक असमानता के खिलाफ सरकार के अभियान के साथ-साथ हमें सामुदायिक स्तर पर और जमीनी स्तर पर एक व्यापक अभियान की आवश्यकता है। लोगों को लैंगिक असमानता के दुष्प्रभावों के बारे में भी जागरूक करने की आवश्यकता है। यह वह अभिशाप है जिसे हम अथक प्रयासों के बाद ही समाप्त कर सकते हैं।

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला कुशीनगर से निखिलेश कुमार सिंह , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि महिला सशक्तिकरण हम सभी के लिए और आने वाले विकसित भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। समाज में महिलाओं की पहचान और उनके अधिकारों के साथ-साथ एक अलग दर्जा स्थापित करना हम सभी के लिए एक बड़ी चुनौती है। महिलाओं को उनके अधिकारों से लगातार वंचित करना और उन्हें ऊंचे और निचले स्तर से भेदभाव करते हुए देखना समाज में किसी अपराध से कम नहीं है, जहां महिलाएं चांद तक पहुंचती हैं। इस तथ्य के बावजूद कि महिलाएं हर संवैधानिक पद पर काबिज हैं, महिलाएं अभी भी अपने अधिकारों और अधिकारों की प्रतीक्षा कर रही हैं। हमें महिला सशक्तिकरण के लिए जन जागरूकता अभियान शुरू करने की आवश्यकता है जैसे हमने अपनी स्वतंत्रता के लिए हर सड़क के कोने में युद्ध लड़ा था, उसी तरह हमें सड़कों पर चौपाल, जन जागरूकता रैलियों आदि के माध्यम से लोगों को महिला सशक्तिकरण के बारे में जागरूक करना है। ऐसा करने की आवश्यकता है ताकि इस व्यापक जागरूकता का प्रभाव सीधे समाज पर दिखाई दे। आज महिला सशक्तिकरण के बारे में लाखों दावे हो सकते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत बहुत कम है।

उत्तरप्रदेश राज्य के कुशीनगर से मिथिलेश प्रताप सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि केवल राज्य में बल्कि देश में भी लैंगिक समानता के बारे में व्यापक स्तर पर जागरूकता की आवश्यकता है। आज के माहौल में जहां महिलाएं हर काम में पुरुषों का सहयोग कर रही हैं, वहां लैंगिक असमानता है। यह हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए हमारे समाज के लिए एक बड़ा अभिशाप है। विदेशों में लैंगिक असमानता पर व्यापक काम किया गया है। दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां महिलाएं अपने घरों तक ही सीमित हैं और अपने अधिकारों से वंचित हैं, लैंगिक असमानता को दूर करना सरकार के साथ-साथ आम जनता की भी जिम्मेदारी है। इसके बारे में जन जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है और कहीं न कहीं लोगों तक पहुँचकर और बातचीत में इसे उजागर करके उनके भ्रम को दूर करने की आवश्यकता है।

उत्तरप्रदेश राज्य के कुशीनगर से मिथिलेश प्रताप सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से रेनू से बातचीत किया। बातचीत के दौरान रेनू ने बताया कि सबसे जरूरी यह है कि महिलाओं मो घर में निर्णय लेने का अधिकार प्राप्त हो, क्योकि कई बार होता है कि महिलाएं आत्मनिर्भर तो हैं वो कमा भी रही है। लेकिन उनके बैंक से लेन देन का अधिकार घर के पुरुष के पास रहता है। यानि उनके द्वारा कमाए गए पैसों पर ही उनका अधिकार नहीं होता है। तो जब आप आत्मनिर्भर भी हैं फिर भी अपने घर में निर्णय नहीं ले पा रही हैं तो यही पर महिला सशक्तिकरण के मायने ख़तम हो जाते हैं। बहुत लोग कहते हैं की महिला को आत्मनिर्भर होना जरूरी है लेकिन आत्मनिर्भर होने के साथ महिला को निर्णय लेने का अधिकार भी जरूरी है

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला कुशीनगर से निखिलेश प्रताप सिंह , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि लैंगिक असमानता का न केवल देश में बल्कि दुनिया में भी बहुत प्रभाव पड़ता है। लेकिन जबकि विदेशों में बड़े पैमाने पर लैंगिक असमानता को बराबर करने के प्रयास किए जा रहे हैं, भारत में छुआ -छूत ,उच्च और निम्न और पुरुष और महिला जैसे कई ऐसे प्रश्न हैं, जिनके कारण लोगों के बीच लैंगिक असमानता का विकार बना हुआ है। हमें मिलकर इस लैंगिक असमानता को समाप्त करने की आवश्यकता है, पुरुषों का उतना ही अधिकार है जितना महिलाओं का है । सरकार ने इस क्षेत्र में कुछ सकारात्मक कदम उठाए हैं, जैसे कि संसद में महिलाओं की भागीदारी। महिलाओं के अधिकारों और शिक्षा के बारे में जागरूकता पैदा करना और सरकारी योजनाओं और बड़े पैमाने पर महिलाओं को इसके लाभों के बारे में जागरूकता फैलाना। हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम इस क्षेत्र में लैंगिक असमानता को समाप्त करें, साथ ही महिलाओं के लिए जो सभी सरकारी योजनाएं है ,या जो अपेक्षित है , जो मुख्यधारा से बहुत दूर हैं, उन्हें मुख्यधारा में लाने की आवश्यकता है और लैंगिक असमानता के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करने की बहुत आवश्यकता है।

दोस्तों, समाज में लैंगिक समानता प्राप्त करने के लिए सामाजिक असमानता को दूर करना सबसे ज़रूरी है। शिक्षा, जागरूकता, और कानूनों का कड़ाई से पालन करके हम एक ऐसा समाज बना सकते हैं जहाँ पुरुषों और महिलाओं को समान अधिकार और अवसर प्राप्त हों। तो दोस्तों, हर समस्या का समाधान होता है आप हमें बताइए कि _____ हमारे समाज में लैंगिक असमानता क्यों मौजूद हैं? _____आपके अनुसार से लैंगिक समानता को मिटाने के लिए सरकार के साथ साथ हमें किस तरह के प्रेस को करने की ज़रूरत है ?

महिलाओं को अक्सर शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, रोजगार और राजनीतिक भागीदारी जैसे क्षेत्रों में भेदभाव का सामना करना पड़ता है। यह भेदभाव उन्हें अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने से रोकता है। महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न, दहेज हत्या और बाल विवाह जैसी हिंसा लैंगिक असमानता का एक भयानक रूप है। यह हिंसा महिलाओं को शारीरिक और मानसिक रूप से नुकसान पहुंचाती है और उन्हें डर और असुरक्षा में जीने के लिए मजबूर करती है। लैंगिक असमानता गरीबी और असमानता को बढ़ावा देती है, क्योंकि महिलाएं अक्सर कम वेतन वाली नौकरियों में काम करती हैं और उन्हें भूमि और संपत्ति जैसे संसाधनों तक कम पहुंच होती है। दोस्तों, आप हमें बताइए कि *-----लैंगिक असमानता के मुख्य कारण क्या हैं? *-----आपके अनुसार से लैंगिक समानता को मिटाने के लिए भविष्य में क्या-क्या तरीके अपनाएँ जा सकते हैं? *-----साथ ही, लैंगिक असमानता को दूर करने के लिए हम व्यक्तिगत रूप से क्या प्रयास कर सकते हैं?