नवल किशोर रामलीला समिति बजरिया कोंच में रंगमंच पर बालि वध लीला का मंचन हुआ। बालि को मार श्रीराम सुग्रीव को किष्किंधा का राजा और अंगद को युवराज घोषित कर देते हैं। लीला में सीता की खोज में वन-वन भटक रहे भगवान राम शबरी के आश्रम में पहुंचकर उनका आतिथ्य स्वीकार करते हैैं। उनके द्वारा खिलाए गए जूठे बेरों को भी बहुत ही प्रेम पूर्वक ग्रहण किया। इसके बाद हनुमान राम और सुग्रीव की मैत्री कराते हैं। प्रभु राम सुग्रीव को बालि से युद्ध करने को भेजते हैं। किष्किंधा के मुख्य द्वार पर पहुंचकर सुग्रीव गर्जना के साथ बालि को युद्ध के लिए ललकारते है। बालि और सुग्रीव के बीच भीषण युद्ध होता हैै। अंतत: सुग्रीव को दिए वचनानुसार राम बालि पर वृक्ष की ओट लेकर बाण चला देते हैं। राम राम का उच्चारण करता हुआ बालि राम के धाम को चला जाता है। प्रभु राम सुग्रीव को किष्किंधा का राजा और अंगद को युवराज घोषित कर देते हैं।