शिकायत और जांच के प्रति अधिकारियों की गंभीरता का अंदाजा इन दो उदाहरणों से ही लगाया जा सकता है। ऐसे ही करीब 15 शिकायतें और हैं, जिनकी समय से जांच न होने से निराकरण अटका हुआ।* शिकायतकर्ता जांच और कार्रवाई के लिए दौड़ भाग कर रहे हैं। समय से शिकायत की जांच और कार्रवाई न होने से विकास कार्यों में और मनमानी बढ़ जाती है। वर्ष 2021 में हुए पंचायतों के चुनाव के बाद गांवों में कराए जाने वाले विकास कार्यों में गड़बड़ी को लेकर गांव के ही लोगों ने सवालिया निशान लगाने शुरु किए। पंचायतीराज अधिनियम के तहत शपथ पत्र पर डीएम को मिलने वाली शिकायतों पर जांच और गड़बड़ी की पुष्टि पर प्रधान के अधिकारों पर रोक तक का प्रावधान है। जनप्रतिनिधियों सहित शपथ पत्र पर प्रधानों की जांच के लिए यहां पर 70 से अधिक शिकायतें प्राप्त हो चुकी हैं। जिसमें से करीब 18 शिकायतों पर अभी पूरी तरह से जांच अधिकारियों ने जांच रिपोर्ट ही नहीं दी है। जिससे प्रधानों के विरुद्ध मिली शिकायत का निस्तारण और कार्रवाई नहीं हो सकी है। विकास खंड हरपालपुर की ग्राम पंचायत सिरसा और सतौथा। जांच अधिकारी : जिला पूर्ति अधिकारी। सिरसा में विकास कार्यों में गड़बड़ी की शिकायत अनिल कुमार ने 14 अगस्त को की थी। ग्राम पंचायत सतौथा में विकास कार्यों की गड़बड़ी की शिकायत नारेंद्र कुमार ने 27 जुलाई को थी। अभी तक दोनों ग्राम पंचायतों की जांच आख्या प्राप्त नहीं हो सकी हैं। विकास खंड बावन की ग्राम पंचायत मिरकापुर। जांच अधिकारी : जिला प्रशिक्षण अधिकारी। मिरकापुर में विकास कार्यों में गड़बड़ी की शिकायत कमलेश चंद्र ने सात अगस्त को दर्ज कराई थी। अभी तक निस्तारण नहीं हो सका है। ---- पंचायतीराज अधिनियम के तहत शपथ पत्र पर प्राप्त शिकायत की जांच रिपोर्ट 30 दिन के अंदर प्राप्त हो जानी चाहिए। यहां पर जांच अधिकारी नामित करने के साथ ही यह आदेश भी दिए जा रहे हैं। कुछ अधिकारियों ने रिपोर्ट नहीं दी है। जल्द ही समीक्षा कर इनका निस्तारण कराया जाएगा। सौम्या गुरूरानी, सीडीओ