कोथावा के कुलमिनखेड़ा गांव मे चल रहे त्रिदिवसीय सदभावना संत सम्मलेन मे बुधवार रात को बुलंदशहर से आये प्रभारी महात्मा ज्ञानंयुक्ता नन्द ने भगवदभक्तो को समझाते हुए कहा कि"समाज में शांति, सद्भावना हो यही सद्भावना सम्मेलन का लक्ष्य है।" स्वांस स्वांस सुमरो गोविन्द । मन अंतर की उतरे चिंद ।। हम श्वासों की माला का जिक्र कर रहे है, जो हर व्यक्ति के अंदर है। किसी भी जाति, धर्म, वर्ण का हो, भगवान को मानने वाला हो या भगवान को न मानने वाला हो, सबके अंदर वह रम रहा है। जैसे माला होती है, माला में कोई फूल छोटा होता है, कोई बड़ा होता है, कोई गुलाब, कोई गेंदे का, कोई चमेली का होता है, पर सबके अंदर एक ही धागा होता है और एक धागा सबको contain किये होता है। इसी प्रकार से जो आत्मा रूपी धागा है, शक्तिरूपी जो धागा है, वो सबके अंदर एक है और सबको धारण किये हुए है। चाहे हम किसी भी समाज के क्यो न हो। उस एक धागे को पहचानना है और उस एक धागे को पहचानने से मानव-समाज एक होगा। इसीलिए हम मानव धर्म की चर्चा करते है, की हे मानव! तू अपने आप को पहचान! Know yourself. अपने आप को जान की तू क्या है? हम समझते है कि हम शरीर है, हमारे शरीर में दर्द है, हमारा रक्त है, मज्जा है, हड्डी है, नहीं, तुम्हारे अंदर जो शक्ति है, तुम उस शक्ति को नही पहचानते।तभी हरदोई आश्रम प्रभारी महात्मा सुदासानन्द जी ने भी विचार व्यक्त किये। इस मौके पर ओम प्रकाश गुप्ता टिंकू मिश्रा सुमन गुप्ता नीलम मिश्रा बिहारी लाल पंकज मौर्या राजकिशोर रामनाथ अनीता किरण रीना मंजू स्नेहा सरोजिनी आदि लोग मौजूद रही।