उत्तर प्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से ताराकेश्वरी श्रीवास्तव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि पारंपरिक समाजों में, भूमि स्वामित्व को पुरुषों का अधिकार माना जाता है और महिलाओं को भूमि की विरासत से वंचित किया जाता है। यह लैंगिक भेदभाव न केवल महिलाओं के लिए आर्थिक स्वतंत्रता को बाधित करता है बल्कि सामाजिक स्थिति को भी बाधित करता है। कानूनी प्रावधान और विरासत और भूमि अधिकारों के मामले में उनकी प्रभावशीलता भी एक बड़ी चुनौती है, कई देशों में भले ही कानून महिलाओं को भूमि पर अधिकार देता है लेकिन इन कानूनों को सही तरीके से लागू नहीं किया जाता है। स्थानीय परंपराएं और जाति व्यवस्था भी महिलाओं के भूमि अधिकारों में बाधा डालती है।

यह नौकरी उन लोगों के लिए है जो कर्मचारी चयन आयोग के द्वारा निकाली गयी मल्टी टास्किंग नॉन टेक्निकल के 4887 और हवलदार के 3439 पदों पर काम करने के लिए इच्छुक हैं। वैसे उम्मीदवार इन पदों के लिए आवेदन कर सकते हैं, जिन्होंने किसी भी बोर्ड से दसवीं पास किया हो , इसके साथ ही उम्मीदवार की न्यूनतम आयु सीमा 18 वर्ष और अधिकतम आयु सीमा 27 वर्ष होनी चाहिए। इच्छुक उम्मीदवार अपना आवेदन ऑनलाइन भर सकते हैं।अधिक जानकारी के लिए आवेदनकर्ता इस वेबसाइट पर जा सकते हैं। वेबसाइट है https://www.sarkariresult.com/ssc/ssc-mts-2024/ .याद रखिए इन पदों पर आवेदन करने की अंतिम तिथि 31 /07/2024 है ।

उत्तर प्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से राजेश्वरी सिंह गोरखपुर मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही है की हाथरस की घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि जब व्यवस्था अपर्याप्त होती है और उम्मीद से ज्यादा लोग होते हैं तो उनके और भीड़ के बीच अच्छा तालमेल नहीं होता है। आयोजकों को जवाबदेह ठहराने के साथ-साथ लोगों को सुरक्षित भीड़ व्यवहार के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए ताकि ऐसी दुर्घटनाएं फिर से न हों।

साथियों, आपके यहां पानी के प्रदूषण की जांच कैसे होती है? यानि क्या सरकार ने इसके लिए पंचायत या प्रखंड स्तर पर कोई व्यवस्था की है? अगर आपके क्षेत्र में पानी प्रदूषित है तो प्रशासन ने स्थानीय जनता के लिए क्या किया? जैसे पाइप लाइन बिछाना, पानी साफ करने के लिए दवाओं का वितरण या फिर पानी के टैंकर की सुविधा दी गई? अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो आप कैसे पीने के पानी की सफाई करते हैं? क्या पानी उबालकर पी रहे हैं या फिर उसे साफ करने का कोई और तरीका है? पानी प्रदूषित होने से आपको और परिवार को किस किस तरह की दिक्कतें आ रही हैं?

सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...

उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से तारकेश्वरी श्रीवास्तव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि भारत में, भूमि का अधिकार अक्सर पुरुषों तक ही सीमित है, जिससे महिलाएं आर्थिक रूप से निर्भर हो जाती हैं। यह स्थिति भूमि स्वामित्व के माध्यम से महिलाओं के खिलाफ अन्याय और हिंसा को बढ़ावा देती है। महिलाएं कृषि उद्यमिता और अन्य आर्थिक गतिविधियों में सीधे भाग ले सकती हैं जो उनके परिवार की आय और जीवन स्तर में सुधार कर सकती हैं। सामाजिक दृष्टिकोण में भी बदलाव आता है, यह लैंगिक समानता को बढ़ावा देता है और महिलाओं को समाज में एक महत्वपूर्ण स्थान देता है, इसका बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है क्योंकि महिलाएं परिवार का कल्याण करती हैं। सरकार विशेष ध्यान दे रही है।

उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से तारकेश्वरी श्रीवास्तव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि महिलाओं के भूमि अधिकार न केवल उनके आर्थिक अधिकार यह सशक्तिकरण का एक महत्वपूर्ण साधन है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक बाधाओं को तोड़ने का एक साधन भी है। पारंपरिक समाजों में, भूमि ज्यादातर पुरुषों के स्वामित्व में होती है और महिलाओं को विरासत में मिलती है। या विवाह के बाद भूमि अधिग्रहण के सीमित अवसर, यह महिलाओं की वित्तीय स्वतंत्रता और निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करता है। सुधार किए गए हैं। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम दो हजार पाँच का संशोधन एक महत्वपूर्ण कदम था जिसने बेटियों को अपने माता-पिता की संपत्ति में समान अधिकार दिए। इसके अलावा कई राज्य सरकारों ने महिला किसानों को भी अधिकार दिए। महिलाओं के भूमि अधिकारों का प्रभाव व्यापक है, भूमि आवंटन में महिलाओं की आय और धन पहली प्राथमिकता है।

उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से तारकेश्वरी श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि प्रशासनिक लापरवाही और दुर्घटनाएँ, भीड़, प्रशासनिक लापरवाही और दुर्घटनाएँ आजकल एक महत्वपूर्ण समस्या बन गई हैं। प्रशासनिक लापरवाही का अर्थ है सरकारी या अन्य प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा अपने कर्तव्यों का ठीक से पालन न करना। यह लापरवाही कई प्रकार की हो सकती है जैसे कि सड़कों की खराब स्थिति, यातायात नियमों का ठीक से पालन न करना। या आपातकालीन सेवाओं की उपेक्षा जब प्रशासनिक लापरवाही होती है, तो इसका जनता पर सीधा प्रभाव पड़ता है भीड़ प्रबंधन में लापरवाही का एक बड़ा उदाहरण धार्मिक राजनीतिक या सांस्कृतिक कार्यक्रमों में देखा जा सकता है जहां बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा होते हैं। सुरक्षा और व्यवस्था बनाए रखना बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि सभाएं होती हैं, अगर अधिकारियों द्वारा उचित सुरक्षा व्यवस्था नहीं की जाती है, तो इससे भगदड़ और दुर्घटनाएं हो सकती हैं।

"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिल देव शर्मा केला की फसल में बोरान की कमी के लक्षण तथा उपचार के बारे में जानकारी दे रहे हैं । अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें

दोस्तों इस तरह के बाबाओं द्वारा चलाई जा रही धर्म की दुकानों पर आपका क्या मानना है, क्या आपको भी लगता है कि इन पर रोक लगाई जानी चाहिए या फिर इनको ऐसे ही चलते ही रहने देना चाहिए? या फिर हर धर्म और संप्रदाय के प्रमुखों द्वारा धर्म के वास्तविक उद्देश्यों का प्रचार प्रसार कर अंधविश्वास में पड़े लोगों को धर्म का वास्तविक मर्म समझाना चाहिए। जो भी आप इस मसले पर क्या सोचते हैं अपनी राय रिकॉर्ड करें ग्रामवाणी पर