उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से ताराकेश्वरी श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि भूमि अधिकार सशक्तिकरण और महिलाओं के लिए महिला भूमि का संरक्षण स्वामित्व उनके सशक्तिकरण और सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भूमिका स्वामित्व महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने में मदद करता है या उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत करता है और उनकी सामाजिक स्थिति को बढ़ाता है। यह विश्वास स्थापित करता है कि भूमि के मालिक होने से, महिलाएं अपने भविष्य की योजना बना सकती हैं, कृषि या व्यायाम में सक्रिय भूमिका निभा सकती हैं, और यहां तक कि अपने परिवार की आर्थिक स्थिति में भी सुधार कर सकती हैं। संपत्ति के स्वामित्व से संबंधित कानूनी सुरक्षा महिलाओं को उनकी स्थिति को सुरक्षित करने में मदद करती है; वे अपनी स्वतंत्रता का आनंद लेती हैं और अपने स्वास्थ्य और सुरक्षा की जिम्मेदारी लेती हैं, हालांकि कई समाजों में ऐसा नहीं है। भूमि के स्वामित्व के संबंध में सामाजिक मान्यता और कानूनी अधिकारों की कमी है, जिससे महिलाओं के लिए इसे प्राप्त करना मुश्किल हो जाता है।
उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से ताराकेश्वरी श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि महिलाओं को भूमि का अधिकार मिलना एक महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दा है जो समाज में समानता और सामाजिक न्याय की दिशा है। भूमि एक महत्वपूर्ण संसाधन है जो किसी व्यक्ति की आर्थिक स्थिति और स्वतंत्रता को प्रभावित करता है। दुनिया भर में कई स्थानों पर महिलाओं के लिए भूमि का स्वामित्व कभी एक विशेषाधिकार था। समस्या यह रही है कि जिन समाजों में महिलाओं को सामाजिक और धार्मिक परंपराओं के अनुसार पूर्ण स्वतंत्रता नहीं है, वहां उन्हें भूमि के स्वामित्व और उपयोग में विवादों का सामना करना पड़ता है। संपत्ति के स्वामित्व के लिए लड़ना चाहिए क्योंकि यह उन्हें आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त करने में मदद करता है, स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाओं तक पहुंच प्रदान करता है और उन्हें समाज में आत्मसम्मान और सम्मान प्राप्त करने में मदद करता है। सरकारों को महिलाओं के भूमि स्वामित्व के अधिकार सुनिश्चित करने और उन्हें सुरक्षित और स्थायी बनाने के लिए मजबूत कानूनी उपाय करने चाहिए, साथ ही उन्हें अपने परिवार और समाज को बेहतर बनाने में मदद करनी चाहिए।
"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के अंतर्गत कृषि विशेषज्ञ जीव दास साहू ,ज्वार के फसल के लिए मिट्टी एवं बीज का चयन और बीज शोधन की जानकरी दे रहे हैं। ज्वार के फसल से जुड़ी कुछ बातें किसानों को ध्यान में रखना ज़रूरी है। इसकी पूरी जानकारी सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें.
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अपना देश भारत अगली सदी में भी दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बना रहेगा। भारत की जनसंख्या 2060 के दशक के मध्य में चरम पर होगी। इस रिपोर्ट में जानें सरकार क्या कर रही और देश के कौन से राज्यों में है सबसे ज्यादा फर्टिलिटी अर्थात प्रजनन की दर...! देश के 31 राज्यों ने जनसंख्या वृद्धि दर पर काबू किया है, लेकिन ऐसे 5 राज्य हैं जहां देश की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। भारत दुनियां की सबसे अधिक आबादी वाला देश है। भारत की आबादी चीन से भी आगे निकल गई है। जिसके कारण हमारे संसाधन कम होते जा रहे हैं और यदि यही हाल रहा तो आने वाले समय में हम पानी के लिए भी तरस जाएंगे। अभी हाल ही में हमने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पानी की किल्लत का हाल देखा भी है। देश के 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने 2.1 फर्टिलिटी रेट (प्रजनन दर) पर खुद को सीमित कर लिया है। 2.1 अर्थात एक परिवार (एक माता-पिता) की एक संतान इस फर्टिलिटी रेट को भारत की जनसंख्या के हिसाब से बेहतर फर्टिलिटी रेट बताया जा रहा है। इससे भारत में न तो नौजवानों की कमी होगी और न ही बूढ़े लोगों की संख्या नौजवानों की तुलना में ज्यादा बढ़ेगी। इस समय जापान ऐसी ही समस्या से जूझ रहा है। वहां बूढ़े लोगों की संख्या नौजवानों से बहुत अधिक हो गई है। विश्व जनसंख्या दिवस पर स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा और राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि इस समस्या को काबू करने के लिए हाई फर्टिलिटी रेट वाले राज्यों के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे। जेपी नड्डा ने कहा कि विकसित भारत का लक्ष्य तभी हासिल किया जा सकेगा, जब भारत के लोग स्वस्थ रहें और यह तभी मुमकिन है जब परिवार छोटे हों। 1950 में भारत का टीएफआर (टोटल फर्टिलिटी रेट) 6.18 था, 1980 तक यह 4.6 पर आ गया। 2021 में टीएफआर 1.91 हो गया था। यह स्टेबल (स्थिर) जनसंख्या के लिहाज से नीचे था। एक अध्ययन में हाल ही में कहा गया है कि भारत की टीएफआर 2050 तक 1.29 हो सकती है। सबसे अधिक प्रजनन वाले राज्यों में बिहार में प्रजनन दर 3 है, मेघालय में 2.9, उत्तर प्रदेश में 2.4, झारखंड में 2.3 और मणिपुर में 2.2 है। वहीं कम प्रजनन वाले राज्यों में सिक्किम में प्रजनन दर 1.1 है, गोवा में 1.35, लद्दाख में 1.35, लक्षद्वीप में 1.38 और चंडीगढ़ में 1.39 है। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि भारत की जनसंख्या 2060 के दशक की शुरुआत में लगभग 1.7 अरब तक पहुंच जाने का अनुमान है, और उसके बाद इसमें 12 प्रतिशत की कमी आएगी, लेकिन इसके बावजूद यह पूरी शताब्दी के दौरान विश्व में सबसे अधिक आबादी वाला देश बना रहेगा। वर्ल्ड पॉपुलेशन प्रॉस्पेक्ट्स 2024 रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले 50-60 वर्षों के दौरान दुनियां की जनसंख्या में वृद्धि जारी रहने का अनुमान है साथ ही 2024 में यह 8.2 अरब तक पहुंच जाएगी, जबकि 2080 के दशक के मध्य तक लगभग दुनियां की आबादी लगभग 10.3 अरब हो जाएगी। हालांकि, चरम स्थिति पर पहुंचने के बाद वैश्विक जनसंख्या में धीरे-धीरे गिरावट आने का अनुमान है और यह सदी के अंत तक घटकर 10.2 अरब रह जाएगी। भारत पिछले साल चीन को पीछे छोड़कर विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन गया है, और वर्ष 2100 तक उसी स्थान पर बना रहेगा। जनसंख्या विशेषज्ञ मनु गौड़ ने कहा कि यह बहुत विचित्र स्थिति है। मजे की बात यह है कि 1952 में सबसे पहले भारत ने परिवार नियोजन की प्लानिंग की थी और आज हम दुनियां में सबसे अधिक आबादी वाला देश बन चुके हैं। जनसंख्या के मामले में यह हमारी अब तक की सरकारों की नाकामियों को दर्शाता है। भारत सरकार को जल्दी ही इस पर एक नीति बनाने की जरूरत है। यह जो अभी के आंकड़े हैं, वो सैंपल हैं, हमारे असली आंकड़े 2011 के हैं। इसके बाद जनगणना नहीं हुई है। इसे भी जल्दी कराने की आवश्यकता है। आइए जानते हैं कि पड़ोसी देश पाकिस्तान का क्या होगा..? संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट यह भी दावा करती है कि अगले 30 वर्षों में पाकिस्तान दुनियां का तीसरा सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन जाएगा। पाकिस्तान की वर्तमान जनसंख्या 251 मिलियन से बढ़कर 2054 में 389 मिलियन हो जाएगी। पाकिस्तान की जनसंख्या संयुक्त राज्य अमेरिका और इंडोनेशिया से आगे निकल जाएगी। तब भारत की जनसंख्या 1.69 अरब और चीन की 1.21 अरब होने का अनुमान है। आंकड़े बताते हैं कि अब हमें देश की खुशहाली के लिए जनसंख्या नियंत्रण के मामले में सख्त और कड़े फैसले लेने की जरूरत है।
उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से राजकिशोर सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि भूमि अधिकारों और महिलाओं का सशक्तिकरण और संरक्षण पितृसत्तात्मक प्रणाली में गहराई से निहित है। भूमि पुरुषों के नाम होनी चाहिए नौकरियों के लिए पुरुषों का शहरी इलाकों में पलायन होने के बाद पूरे देश के कृषि क्षेत्र में महिलाओं की संख्या बढ़ी है। इसके अलावा, महिलाओं के नाम पर भूमि का स्वामित्व समान नहीं है, और विवाहित महिलाओं पर उनके जीवनसाथी द्वारा पैतृक संपत्ति पर अपना अधिकार छोड़ने के लिए लगातार दबाव डाला जाता है। आधी आबादी के लिए समान अधिकारों को महसूस करना एक जटिल और चुनौतीपूर्ण कार्य है। महामारी ने संघर्ष को और अधिक कठिन बना दिया है क्योंकि पूरी दुनिया में महिलाएं हमेशा अपनी आर्थिक स्थिति में हाशिए पर रही हैं। इस बात की सख्त अवहेलना की गई है कि आर्थिक सशक्तिकरण के बिना महिला सशक्तिकरण की दिशा में हर परिभाषा और प्रयास अधूरा है।
उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से राजकिशोर सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि भीड़भाड़, प्रशासनिक लापरवाही और दुर्घटनाएँ। उत्सव के दौरान भीड़ प्रबंधन की कमी कर्तव्य की लापरवाही को दर्शाती हैः धार्मिक स्थानों और अन्य भीड़ वाले क्षेत्रों में भीड़ प्रबंधन पर प्रशासन पूरी तरह से निगरानी की जानी चाहिए। धार्मिक स्थलों पर जाने के लिए आम लोगों और विशेष लोगों के बीच कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। व्यवस्था के बिगड़ने का एक मुख्य कारण इस तरह के प्रबंधन में लगे व्यक्ति भी हैं। पुलिस अधिकारी की लापरवाही आमतौर पर भीड़ पर किसी का ध्यान नहीं जाने के लिए जिम्मेदार होती है जब तक कि इसे संभालना मुश्किल न हो। इसलिए, जहां तक संभव हो, भीड़ को छोटे समूहों में विघटित किया जाना चाहिए
उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से राजकिशोर सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि महिलाओं के लिए शिक्षित होना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि जब एक महिला शिक्षित होती है, तो एक परिवार में सुधार होगा। शिक्षित महिला ,कन्या भ्रूण हत्या जैसी कई सामाजिक बुराइयाँ को दूर करने की कुंजी साबित हो सकती है। यह देश के आर्थिक विकास में भी मदद करता है क्योंकि अधिक से अधिक शिक्षित महिलाएं देश की श्रम शक्ति में भाग ले सकेंगी। हाल ही में, स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा एक सर्वेक्षण जारी किया गया है जो बच्चों की पोषण स्थिति और उनकी माताओं की शिक्षा के बीच सीधा संबंध दिखाता है। उनके बच्चे जितने अधिक शिक्षित होते हैं, उन्हें उतना ही अधिक पोषण सहायता मिलती है। इसके अलावा, कई विकास अर्थशास्त्रियों ने लंबे समय से अध्ययन किया है
बजाज आॅटो कंपनी ने कुछ दिनों पहले दुनियां की पहली सीएनजी मोटरसाइकिल फ्रीडम 125 लॉन्च की है। और लॉन्च के तुरंत बाद ही ये सवाल उठने शुरू हो गए हैं कि क्या बजाज फ्रीडम 125 की कीमतों में कमी आएगी? केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को मोदी सरकार-3 का पहला पूर्ण बजट पेश करेंगी। इस बजट में ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रिक व्हीकल सेक्टर से जुड़े बड़े ऐलान किए जाने की उम्मीद है। बजाज फ्रीडम 125 की कीमत कम होने की खबरों के पीछे वजह है केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का वो बयान जिसमें उन्होंने इस सीएनजी बाइक के दाम 1 लाख रुपये से कम करने की बात कही है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बजाज ऑटो के सीईओ राजीव बजाज से इस व्हीकल का दाम 1 लाख रुपये से कम रखने की बात कही है। बजाज फ्रीडम 125 के लॉन्च के साथ ही टू-व्हीलर इंडस्ट्री में बड़ी क्रान्ति आने की उम्मीद है। ट्रेडिशनल पेट्रोल मोटरसाइकिल की तुलना में सीएनजी व्हीकल ज्यादा कॉस्ट-इफेक्टिव और पर्यावरण के लिए बेहतर है। नई बजाज बाइक की ऑपरेटिंग कॉस्ट की बात करें तो आईसीई मोटर साइकिल की तुलना में यह 50 फीसद तक कम है। महाराष्ट्र के पुणे में 5 जुलाई को बजाज फ्रीडम के लॉन्च में केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'मैं राजीव जी से यह निवेदन करूंगा कि व्हीकल का दाम 1 लाख रुपये से कम रखें। इससे यह देश में ज्यादा लोकप्रिय होगी और लोगों को एक साल में ही अपना पैसा वापस मिल जाएगा क्योंकि ऐवरेज के चलते इसमें काफी फायदा है। इसका डिजाइन खूबसूरत है। मैं सोच रहा था इसकी सीएनजी टैंक है कहां' इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री ने बजाज फ्रीडम 125 के फीचर्स की भी तारीफ की। उन्होंने कहा, 'क्वॉलिटी को लेकर कोई संदेह नहीं है। सच कहूं तो क्वॉलिटी और क्लैरिटी 21वीं सदी की सबसे बड़ी कैपिटल हैं। क्वॉलिटी में बहुत सुधार है, और मैं खुश हूं कि नई मोटरसाइकिल की क्वॉलिटी काफी बढ़िया है। इस नई पहल, बढ़िया क्वॉलिटी और डिजाइन के साथ 100 प्रतिशत आपको दुनियां में ज्यादा मार्केट मिलेगा। यह बजाज ऑटो की सक्सेस स्टोरी है।' उन्होंने बताया कि वर्तमान में भारत दुनियां का सबसे बड़ा टू-व्हीलर एक्सपोर्ट करने वाला देश है। बजाज फ्रीडम 125 को भारत में तीन वेरियंट में लॉन्च किया गया है। फ्रीडम 125 एनजी04 डिस्क एलईडी की दिल्ली में कीमत 95 हजार रुपये, फ्रीडम 125 एनजी 04 ड्रम एलईडी की कीमत एक लाख 5 हजार रुपये और फ्रीडम 125 एनजी 04 ड्रम की कीमत एक लाख 10 हजार रुपए है। बजाज का दावा है कि नई फ्रीडम सीएनसी 1 किलो सीएनजी में 102 किलोमीटर चलती है, यानी सीएनजी के एक फुल टैंक में यह करीब 200 किलोमीटर तक रेंज ऑफर करेगी। सीएनजी टैंक सीट के नीचे दिया गया है और इसकी क्षमता दो किलोग्राम है। इसके साथ एक दो लीटर पेट्रोल टैंक भी है और इसके साथ ही यह बाइक कुल 330 किलोमीटर की रेंज ऑफर करेगी। जानकारी मिली है कि जल्दी ही टीवीएस कंपनी का सीएनजी स्कूटर भी बाजार में आने की तैयारी में है। निश्चय ही कार्बन उत्सर्जन और बढ़ते प्रदूषण को रोकने में मददगार एक बड़ा कदम है। जिसका सभी देशवासियों को स्वागत करना होगा।
उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से अनुराधा श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही हैं कि गाँवों या शहरों में लोग लड़कियों और लड़कों की शादी के लिए जाते थे, जहाँ वे देखते थे कि उनकी संपत्ति कितनी है। वह देखते थे कि जमीन की संपत्ति कितनी है ताकि भविष्य में उनकी बेटियों को किसी भी कठिनाई का सामना न करना पड़े। बेटियों को अपने बेटों के बराबर संपत्ति का अधिकार नहीं दिया गया था, जो गलत है। आपको बता दें कि बेट संपाई हिंदू धारा अधिनियम उन्नीस सौ छप्पन में वर्ष दो हजार पाँच में पैतृक संपत्ति में बेटियों को बेटों के बराबर देने के लिए एक संशोधन करके अधिकार देने के लिए कानून बनाए गए हैं। अधिकार वास्तव में दिया गया है कि यह कानून उन्नीस सौ छप्पन में दावे के प्रावधानों के लिए बनाया गया था और इस कानून के अनुसार संपत्ति पर अधिकार बेटी का पिता की संपत्ति पर उतना ही अधिकार है जितना एक बेटी का था। ऐसा हुआ करता था कि भारतीय संसद ने वर्ष दो हजार पाँच में, बेटियों के अधिकारों की पुष्टि करते हुए, पिता की संपत्ति पर बेटी के अधिकार के बारे में किसी भी संदेश को समाप्त करने के लिए अधिकार अधिनियम में संशोधन किया। कभी-कभी ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है कि पिता की संपत्ति में बेटियों को अधिकार नहीं मिलता है, ऐसा तब होता है जब पिता अपने बेटे को अपनी अचल संपत्ति का मालिक बनाता है और पिता की मृत्यु हो जाती है। वह केवल अपने बेटों को उस संपत्ति का मालिक बना सकता है जिसे वह खरीदता है, जो उनके पूर्वजों की भूमि है, और उनके सभी बच्चे उस अधिकार के हकदार हैं। यह भी दिया जाना चाहिए कि आज के समय में जो महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं, वे अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाएंगी, तभी यह संभव हो पाएगा।