उत्तर प्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से अनुराधा श्रीवास्तव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि लैंगिक असमानता एक ऐसा मुद्दा है जो समाज के हर क्षेत्र में प्रचलित है और यह आधी आबादी यानी महिलाओं के लिए एक संघर्ष बनता जा रहा है। इस संघर्ष के कई पहलू और कारण हो सकते हैं। शिक्षा में असमानता, लड़कियों को अक्सर लड़कों की तुलना में कम अवसर मिलते हैं। कई स्थानों पर लड़कियों की शिक्षा को कम आंका जाता है, जिससे उनके करियर और जीवन में प्रगति करने की संभावना कम हो जाती है। रोजगार के अवसर महिलाओं को समान योग्यता के बावजूद भी महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम वेतन दिया जाता है। उच्च पदों पर महिलाओं की संख्या बहुत कम है। घरेलू काम का बोझ ऐसा है कि महिलाओं को परिवार और घर के काम की मुख्य जिम्मेदारी लेनी पड़ती है जिससे वे अपना करियर नहीं दे पाती हैं। व्यक्तिगत विकास पर ध्यान देने की कमी है जैसे कि स्वास्थ्य सेवा में, स्वास्थ्य सेवा संस्थानों में महिलाओं की पहुंच में भेदभाव हो सकता है, जो उनकी स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ा सकता है।
उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से अनुराधा श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही हैं कि भीड़ दुर्घटनाओं का रूप ले लेती है। भीड़ प्रबंधन में कमी सुरक्षाकर्मियों की कमी खराब साइट डिजाइन या लेआउट खराब आपातकालीन तैयारी भीड़ के आकार और घनत्व की निगरानी में कमी सुरक्षा बल भीड़ नियंत्रण का उल्लंघन भीड़ को नियंत्रित करने में विफलता संचार की कमी यातायात प्रबंधन की कमी भीड़ सुरक्षा के लिए पर्याप्त व्यवस्था की कमी भी इन कमियों का एक कारण हो सकती है। भीड़ दुर्घटनाएँ हो सकती हैं जो जीवन और संपत्ति के नुकसान का कारण बन सकती हैं इसलिए सुरक्षा के प्रति सचेत रहना और भीड़ प्रशासनिक लापरवाही को रोकने के लिए सावधानी बरतना बहुत महत्वपूर्ण है।
इस कार्यक्रम में एक परिवार बात कर रहा है कि कैसे बढ़ती गर्मी से बचा जाए। वे चर्चा करते हैं कि शहरों में ज्यादा पेड़-पौधे लगाने चाहिए, पानी बचाना चाहिए, और लोगों को इन बातों के बारे में बताना चाहिए। और सभी को मिलकर अपने आसपास की जगह को ठंडा और हरा-भरा बनाकर रखना चहिये
उत्तर प्रदेश राज्य के बहराइच जिला से तारकेश्वरी श्रीवास्तव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि ढोंगी बाबाओं पर अंधविश्वास एक गंभीर सामाजिक समस्या है, जो समाज के विकास में बाधा डालती है। ये बाबा धर्म और आध्यात्मिकता के नाम पर भोले -भाले लोगों को ठगते हैं, उनका दावा है कि वे चमत्कारी शक्तियों में किसी भी समस्या का समाधान कर सकते हैं। चाहे वह स्वास्थ्य या व्यक्तिगत जीवन से संबंधित हो । लोग इन बाबाओं के पास अपनी समस्याओं के समाधान के लिए जाते हैं और अपनी मेहनत की कमाई खर्च कर देते हैं, हालांकि इनमें से अधिकांश बाबा अपनी निजी स्वार्थ सिद्धि के लिए लोगों का शोषण करते हैं। अन्धविश्वास का यह जाल गरीब व् अशिक्षित लोगों पर विशेष रूप से प्रभाव डालता है
उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से तारकेश्वरी श्रीवास्तव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि महिलाओं को भूमि का अधिकार मिलना चाहिए। परंपरागत रूप से भारतीय समाज में भूमि का स्वामित्व पुरुषों के पास रहा है, लेकिन आधुनिक समय में लोगों की सोच बदल रही है। कई लोगों का मानना है कि महिलाओं को जमीन का अधिकार मिलना चाहिए। इससे न केवल महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा बल्कि उन्हें समाज में सम्मान और सुरक्षा भी मिलेगी। इस तरह के अधिकार महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने में मदद करते हैं ताकि वे परिवार और समाज में अपनी भूमिका निभा सकें। इसके विपरीत, कुछ लोग अभी भी पारंपरिक सच्ची सोच के कारण इस परिवर्तन का विरोध करते हैं, उनका मानना है कि इस सोच के पीछे सांस्कृतिक और धार्मिक विश्वास मुख्य कारण हैं कि भूमि का स्वामित्व केवल पुरुषों के पास ही रहना चाहिए।
धनियां एक ऐसी चीज है, जिसके बिना आपकी सब्जी का स्वाद अधूरा सा रहता है। धनियां की खुश्बू सब्जी में एक अलग ही तरह का स्वाद और मजा डालती है। धनिएं को दो तरह से इस्तेमाल किया जाता है। एक है हरा धनिया जो कि पत्तियों के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। सब्जियों को गार्निश करने और चटनी वगैरह में डाली जाती है। वहीं धनिया के बीजों का इस्तेमाल सब्जी में मसाले के दौर पर होता है. तमाम सब्जियों में इसे पीसकर पाउडर के रूप में डाला जाता है। वहीं कुछ सब्जियों और अंचार आदि बनाने में धनिया के बीज को साबुत मसाले के तौर पर भी यूज किया जाता है। दोनों ही तरह से धनिया सेहत के लिए बेहद फायदेमंद मानी जाती है। लेकिन आज यहां हम आपको बताएंगे धनिया के बीज के पानी के बारे में, इस पानी में औषधीय गुण होते हैं जो शरीर की तमाम समस्याओं को समाप्त कर सकते हैं।
आपका पैसा आपकी ताकत की आज की कड़ी में हम सुनेंगे और जानेंगे पैसों के सही निवेश के बारे में
उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से तारकेश्वरी श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही है की भारत जैसे देश में जहां कृषि समाज और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, भूमि का स्वामित्व महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है। महिलाओं को भूमि का अधिकार होने से उन्हें सामाजिक और आर्थिक स्वतंत्रता मिलती है यह न केवल उनकी आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करता है, बल्कि जब मैं ऐसा करता हूं तो उन्हें निर्णय लेने की प्रेरणा भी देता है।
उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से अर्धचन्दारी त्रिपाठी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि भारत देश की आबादी 145 करोड़ हो गई है, आंकड़े बताते हैं कि आज आबादी के मामले में हम दुनियां का नंबर वन देश बन चुके हैं। शायद यही वजह है कि छोटे बड़े कस्बों से लगायत बड़े शहरों और महानगरों में सड़क पर चलते हुए या किसी भी सामाजिक आयोजन में लोगों की बेइंतहा भीड़ हो जाती है। अपने देश में भीड़ का बढ़ना इतना सामान्य हो चुका है, कि अब हमें इस भीड़ की आदत सी हो चुकी है। आज यही भीड़ कई तरह की समस्याओं को भी जन्म दे रही है। दुर्घटनाएं चाहे सड़क पर हो रेल मार्ग पर हों या फिर किसी बाबा के प्रवचन कथा सत्संग में या किसी जलसे में, भीड़ को रोकने में कई बार प्रशासन भी अपने हाथ खड़े कर लेता है। यह भी सच है कि जहां भीड़ अधिक होती है वहां सभी नियम और कायदे कानून बेमानी हो जाते हैं। ऐसे में किसी बड़े हादसे का हो जाना एक सामान्य सी घटना बन जाती है। पिछले दिनों यूपी के हांथरस में एक तथाकथित बाबा के प्रवचन के बाद हुए हादसे में 121 लोगों की मौत की दु:खद घटना अब एक पुरानी खबर बनाकर रह गई है। बारिश का मौसम है,बाढ़ भूस्खलन जल भराव पानी के तेज बहाव में भी देश में लगातार दुर्घटनाएं हो रही हैं। भीड़ के कारण गरीबी भुखमरी बेरोजगारी जैसी बेशुमार समस्याएं हैं, जिनका हल ढूंढने के लिए यही भीड़ बाबाओं और पीर फकीरों के दरबार में हाजिरी लगाने और राहत पाने के लिए पहुंचती है। जहां भीड़ को संतोष और अभाव में ही सच्चा सुख है, कम खाएंगे सुखी रहेंगे, आसमान के नीचे पेड़ों के नीचे रहेंगे तो प्रकृति की गोद में रहेंगे, कपड़े कम पहनें चमक दमक और भौतिक सुख सुविधाओं से दूर ही रहें, धूप धूल धुआ बारिश सभी मौसम इस प्रकृति और विधाता ने बनाए हैं, वही सबका रखवाला है, पालनहार है, वही करने कराने वाला है, वही जीवित रखने वाला है, इस प्रकार के उपदेश देकर, प्रशासन और शासन सत्ता को उनकी जिम्मेदारियां से मुक्ति दिलाने वाले इन बाबाओ और पीर फकीरों की शरण में शासन सत्ता भी आ जाती है। अभावग्रस्त आबादी को जीवन के लिए जरूरी आवश्यक सुविधाएं न दे पाने में फेल प्रशासनिक तंत्र चाहता ही है कि लोग अपने हक की आवाज ना उठाएं। पर्याप्त संसाधनों के अभाव में रोज मर रहे लोगों को बचाने का इंतजाम संभवत शासन सत्ता के हाथों में भी नहीं है, और यही वजह है की भीड़ और दुर्घटनाएं आज हमारी और इस देश की नियति बन चुके हैं।
उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से राजकिशोरी सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि महिला होने के लिए यह कभी भी अच्छा समय नहीं रहा है। महिलाएं पूरे इतिहास में कमजोर लिंग रही हैं, घर पर जंजीरों से बंधी हुई हैं, समाज में अधिकारों से वंचित हैं, और कार्यस्थल पर लैंगिक असमानता के अधीन हैं। हालाँकि अधिकारों और प्रथाओं में असमानता अभी भी पूरी तरह से ठीक नहीं हुई है, लेकिन अपने अधिकारों के बारे में बढ़ती जागरूकता के कारण महिलाएं आज बेहतर स्थिति में हैं। पीड़ा और आक्रोश व्यक्त करने के लिए वैश्विक मंचों और सोशल मीडिया की उपलब्धता सक्रिय सरकारें उन्हें सशक्त बनाने के लिए कानून में बदलाव और लैंगिक कानून बनाएंगी सभी महिलाओं को सुनने और महत्व देने के लिए एक साथ आए हैं, फिर भी ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां उन्हें सशक्त बनाने के लिए कुछ किया जा सकता है .