"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के अंतर्गत कृषि विशेषज्ञ जीव दास साहू ,ज्वार के फसल में लगने वाले रोग और किट नियंत्रण की जानकरी दे रहे हैं। ज्वार के फसल से जुड़ी कुछ बातें किसानों को ध्यान में रखना ज़रूरी है। इसकी पूरी जानकारी सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें.
सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...
जिले से पहुंचे सर्जन डॉ धनंजय ने की सफल नसबंदी खजनी गोरखपुर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में आज कैंप लगाकर कुल 13 लोगों की नसबंदी की गई। सरकार की मंशा के अनुरूप प्रदेश की तेजी से बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण के लिए कुल 12 महिलाओं और एक पुरुष ने नसबंदी कराई। इस दौरान कोटियां बैजनाथपुर गांव की रम्भा देवी झरकटहां की बबुनी साहनी कुंईंकोल की मीना सिरूआपार की सरिता यादव नैपुरा की ज्योति बढ़नी की दुर्गावती सहसीं गांव की चमेली देवी भिटहां कुंवर की अर्चना महमूदपुर की रेशमा और राजीव चौहान नटिनी की सोनी सेमरा की नीतू शर्मा हरनहीं महुरांव की रंजू की सफलता पूर्वक नसबंदी की गई। सभी लाभार्थियों को 4 घंटे तक पीएचसी में मेडिकल आब्जर्वेशन में रोका गया फिर उन्हें दवाएं देकर एंबुलेंस से घर भेज दिया गया। पीएचसी के एमओआईसी डाॅक्टर प्रदीप तिवारी ने बताया कि नसबंदी कैंप का आयोजन सफल रहा। आशाओं ने गांवों में लोगों को नसबंदी के लिए जागरूक किया था।
गोरखपुर जिले की खजनी तहसील क्षेत्र में प्रदेश शासन के निर्देशानुसार आज इलाके में बड़े पैमाने पर पौधरोपण किया गया। इस दौरान खजनी तहसील, ब्लॉक, थाना परिसर, क्षेत्राधिकारी, बीईओ, सीडीपीओ, कार्यालय आंगनवाड़ी केन्द्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हरनहीं, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खजनी, सरकारी परिषदीय स्कूलों, कस्बा संग्रामपुर उनवल नगर पंचायत क्षेत्र सरकारी और मान्यता प्राप्त तथा प्राइवेट शिक्षण संस्थानों, बैंकों, पोस्ट आॅफिस, ग्राम सभाओं में अभियान चला कर पौधे लगाए गए। जिसमें एसडीएम कुंवर सचिन सिंह तहसीलदार कृष्ण गोपाल तिवारी राजस्व निरीक्षक देवनरायण मिश्रा समेत सभी लेखपाल तहसीलकर्मी और अधिवक्ता सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के सभी चिकित्सकों कर्मचारियों पीएचसी के चिकित्साधिकारी डॉक्टर प्रदीप तिवारी के नेतृत्व में सभी डॉक्टर्स व स्वास्थ्यकर्मियों ने बीडीओ खजनी रमेश शुक्ला के नेतृत्व में ब्लॉक परिसर एवं गांवों में क्षेत्राधिकारी ओंकारदत्त तिवारी थानाध्यक्ष शैलेन्द्र कुमार शुक्ला बीईओ सावन कुमार दूबे सीडीपीओ रचना पांडेय चेयरमैन प्रतिनिधि उमेश दूबे के नेतृत्व में सभी प्रजाति के पौधे लगाए गए। इस अवसर पर आयोजित संक्षिप्त संगोष्ठियों में पर्यावरण संतुलन एवं संरक्षण में पौधों की अमूल्य एवं महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा की गई। वन क्षेत्राधिकारी खजनी संतोष कुमार पांडेय ने बताया कि रोपड़ के लिए कुल 7 लाख 93 हजार 500 पौधे खजनी परिक्षेत्र में वितरित किए गए। वहीं बड़ी संख्या में अन्य स्थानों से भी पौधे रोपड़ के लिए मंगाए गए थे।
उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से राजकिशोर सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि गाँव में भूमि का स्वामित्व न केवल महिलाओं को व्यक्तिगत रूप से प्रभावित करता है, बल्कि सामुदायिक निर्णयों में उनकी भागीदारी और भागीदारी को भी प्रभावित करता है। महिलाओं की पहचान तब बनती है जब भूमि उसके नाम पर होती है, यह उसे कई अवसरों पर लाभ उठाने का अधिकार देती है। एक महिला अपनी जमीन का उपयोग अपने बच्चों की शिक्षा के लिए कर सकती है। स्वामित्व दस्तावेज महिला किसानों को सरकारी योजना तक पहुँचने में भी मदद कर सकते हैं। जब भूमि के प्रति उनका दृष्टिकोण बदलता है, तो एक महिला न्याय के खिलाफ खड़ी हो जाती है
उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से राजकिशोर सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि शिक्षा को मजबूत करने का काम बेहतर कौन कर सकता है, पुरुष हो या महिला, चाहे हम कितना भी कहें, आज महिलाएं हर क्षेत्र में आगे हैं, लेकिन सच्चाई हम सभी को पता है। आज भी हमारे देश में कई पिछड़े दिमाग वाले लोग महिलाओं को शिक्षित करना पैसे की बर्बादी मानते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि वे शादी कर लेंगे और दूसरे घर जाकर वहीं बस जाएंगे। क्योंकि उन्हें घर ही तो संभलना है तो पढ़ कर क्या करेंगे कई लोग मानते हैं कि शिक्षित महिलाओं को दबाया नहीं जा सकता है और वे खुद को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं।
उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से राजकिशोर सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि पिता की संपत्ति पर बेटियों को भाइयों के समान संपत्ति का अधिकार है यह अक्सर देखा गया है कि बेटियां पिता की संपत्ति पर अपने अधिकार का प्रदर्शन नहीं करती हैं, लेकिन कानूनी रूप से पिता की होती हैं। संपत्ति पर बेटियों का भी अधिकार है। अब अगर कोई बेटी अपने पिता की संपत्ति में अपने हिस्से पर विचार करती है, तो भाइयों के लिए इससे असंतुष्ट होना अनुचित है
उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से राजकिशोरी सिंह मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही हैं कि जीवन में कभी भी कुछ भी हो सकता है, अगर पति और पत्नी दोनों ही शिक्षित है और किसी कारणवश पुरुष की दुर्घटना में मृत्यु हो जाती है, तो कम से कम महिला परिवार के संभाल सकती है। लेकिन अगर महिला शिक्षित नहीं होगी , तो ससुराल वाले उसे विधवा का बोझ महसूस करेंगे। अगर वह शिक्षित है, तो ससुराल वाले इतना तनाव नहीं उठाएंगे और लड़के के परिवार को भी जीने के लिए सहारा मिलेगा।
"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिल देव शर्मा धान की सीधी बुवाई तकनीक से होने वाले कई लाभ के बारे में जानकारी दे रहे हैं। विस्तारपूर्वक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें
दोस्तों, एक बार फिर से उन्हीं दिनों को जीने की कोशिश करते हैं अपने बच्चों के संग उनके बचपन को एक त्यौहार की तरह मनाते हुए हंसते हुए, खेलते हुए, शोर मचाते बन जाते हैं उनके दोस्त और जानने की कोशिश करते हैं इस बड़ी सी दुनिया को उनकी आंखों से | घर और परिवार ही बच्चों का पहला स्कूल है और माता पिता दादा दादी और अन्य सदस्य होते हैं उनके दोस्त और टीचर हो. साथ में ये भी कि बच्चों के दिमाग का पचासी प्रतिशत से अधिक विकास छह वर्ष की आयु तक हो जाता है.