उत्तर प्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से ताराकेश्वरी श्रीवास्तव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि लड़कियों और महिलाओं का गायब होना कई देशों के सामने एक गंभीर और व्यापक समस्या है। ऐसा होने के कई कारण हैं, जिनमें मानव तस्करी, घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न, जबरन शादी और आर्थिक कठिनाई शामिल हैं। मानव तस्करी के मामले में लड़कियों और महिलाओं को बेहतर जीवन के झूठे वादों के तहत बहकाया जाता है। और फिर उन्हें यौन शोषण, जबरन श्रम या अन्य अवैध काम करने के लिए मजबूर किया जाता है। घरेलू हिंसा भी एक प्रमुख कारण है जहाँ महिलाएँ और लड़कियाँ अपने सुरक्षित वातावरण से बचने की कोशिश करती हैं लेकिन ऐसा करने में असमर्थ होती हैं।
सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...
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उत्तर प्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता राजकिशोरी सिंह ने बताया कि विश्व के सबसे अधिक आबादी के साथ भारत विविधता में एकता का सन्देश देने वाला एक अनोखा देश है। जिसे विभिन्न धर्मों, जातियों, संस्कृतियों और भाषाओं का घर भी कहा जाता है। हमने भारतीय संस्कृति में विविधिता को समृद्धि से जुड़ते देखा है। लेकिन मौजूदा समय में धर्म के आधार पर देश के भीतर
उत्तर प्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता राजकिशोरी सिंह ने बताया कि वर्तमान समय में महिला शिक्षा का महत्व दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। लड़कियां और महिलाओं को शिक्षित करना ही महत्वपूर्ण नही है बल्कि उनको बुनियादी सुविधाएँ प्रदान करना भी आवश्यक है। विकासशील देशों में महिलाओं की साक्षरता दर पुरुषों की तुलना में कम है।महिलाओं में निरक्षरता की इस दर के पीछे मुख्य कारण उचित संसाधनों की कमी है। महिला शिक्षा भारत में महिला शिक्षा की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। 2011 की जनगणना के अनुसार, भारतीय महिलाओं की साक्षरता दर 64.6% थी। यह संख्या पुरुषों की साक्षरता दर, जो 80.9% है, की तुलना में काफी कम है। महिलाओं में निरक्षरता की इस दर के पीछे कई कारण हैं। सबसे महत्वपूर्ण कारण उचित संसाधनों की कमी है। भारत में, ज़्यादातर महिलाएँ निरक्षर हैं क्योंकि उन्हें शिक्षा के लिए जाने की अनुमति नहीं है। समाज सोचता है कि पुरुषों को अपने बच्चों, खासकर लड़कियों को शिक्षित करना चाहिए, क्योंकि उन्हें लगता है कि महिलाओं की भूमिका केवल घर और परिवार की देखभाल करना है। अगर वह स्कूल या विश्वविद्यालय जाने लगे, तो उसके घर की देखभाल कौन करेगा? इसके अलावा, कभी-कभी जब महिलाएँ अपने बच्चों को स्कूल भेजती हैं, तो उन्हें अपने पुरुषों के समकक्षों के साथ एक ही कक्षा में बैठने की अनुमति नहीं होती है।
उत्तर प्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से तारकेश्वरी श्रीवास्तव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि समाज की सजगता से सौहार्द का ताना-बाना बचाए रखना संभव है। सजगता से आशय है समाज के प्रत्येक सदस्य का सचेत और जिम्मेदार होना। जिससे सामाजिक और सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा मिलता है
उत्तर प्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से तारकेश्वरी श्रीवास्तव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि लड़कियों और महिलाओं का लापता होना एक गंभीर समस्या है। यह समाज में चिंता का विषय है। इस समस्या के प्रमुख कारण हैं - मानव तस्करी,घरेलू हिंसा,जबरन विवाह और सामाजिक दबाव। लड़कियों और महिलाओं को मानव तस्करी द्वारा वैश्यावृति,बंधुआ मजदूरी सहित अन्य कार्यों के लिए बेचा जाता है। घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाएं अपने घर से भागने को मजबूर होती हैं
खजनी गोरखपुर जिले की खजनी तहसील क्षेत्र के खजनी ब्लॉक के दो गांवों विश्वनाथपुर और केवटली में पूर्व नियोजित कार्यक्रम के अनुसार कृषि विभाग द्वारा चौपाल लगाकर किसानों को उनकी फसलों की रक्षा तथा पैदावार बढ़ाने के लिए बेहतर प्रबंधन के दर्जनों उपाय बताए गए। कृषि विभाग की तरफ से पीपीएस सुधीर कुमार ने फसलों को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाने वाले तथा संचारी रोग फैलाने वाले चूहे, छछुंदर और कीट पतंगों से बचाव के दर्जनों उपाय बताए। राजकीय कृषि रक्षा इकाई पर उपलब्ध रसायनों एवं घरेलू उपायों की विस्तार पूर्वक जानकारियां दी गईं। टीएसी प्रभात कुमार ने किसानों को फसलों का बीमा कराने की जानकारी दी। वहीं सहायक विकास अधिकारी कृषि कमलेश सिंह ने उपस्थित किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, सोलर पंप लगाने, सिंचाई के लिए पानी की बर्बादी रोकने, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने,मोटे अनाजों मिलेट्स का उत्पादन बढ़ाने और पशुपालन से होने वाले लाभ की जानकारी दी। इस दौरान दोनों गांवों के ग्राम विकास अधिकारी, ग्रामप्रधान सहित स्थानीय ग्रामवासी और किसान उपस्थित रहे।
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गोरखपुर जिले की खजनी तहसील क्षेत्र में बेतहाशा गर्मी और तीखी धूप से किसानों की फसलें अब सूखने लगी हैं। बीते 15-20 दिनों से इलाके में अच्छी बारिश नहीं हुई है। धान की रोपाई कर चुके किसान पंपिंग सेट और ट्यूबवेल से सिंचाई करके अपनी फसल को बचाने में लगे हुए हैं। लंबे अर्से से बारिश न होने के कारण अब खेतों में दरारें पड़ने लगी हैं। वहीं मुरझाई हुई धान की फसल को सूखते हुए देख कर किसानों की जान हलक में आ जा रही है। आसमान में बादलों के घिरते ही मायूस किसानों की आंखों में चमक आ जाती है किन्तु कुछ ही देर बाद बारिश न होने पर उनके चेहरे लटक जाते हैं। भिटहां गांव के अरविंद चौरसिया, घिराऊ चौरसिया, बढ़नी के अखिलेश पांडेय, बड़हरा के रामखेलावन यादव, कटघर के रामदरश आदि दर्जनों किसानों ने बताया कि अगर बारिश नहीं हुई तो धान की फसल सूख कर बर्बाद हो जाएगी। शिक्षक राजेश पांडेय ने कहा कि "का बरखा जब कृषि सुखाने" यह एक बहुत पुरानी कहावत है। इस धूप में धान की फसल यदि सूख गई तो बारिश होने पर भी सड़ जाएगी। किसानों को बहुत घाटा होगा।