उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से तर्केश्वरी श्रीवास्तव सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया की अपनी ज़मीन अपनी आवाज़, यह सिद्धांत सामाजिक न्याय और समानता का आधार है। जब लोग अपनी भूमि के मालिक होते हैं, तो वे आर्थिक और सामाजिक रूप से अधिक स्वतंत्र और सशक्त होते हैं। यह स्वामित्व उन्हें अपनी आवाज उठाने और सामाजिक रूप से अपने हितों की रक्षा करने की शक्ति देता है। न्याय के संदर्भ में, यह सिद्धांत विशेष रूप से दलित आदिवासियों और भूमि अधिकारों से वंचित महिलाओं जैसे ऐतिहासिक रूप से वंचित समुदायों जैसे हाशिए पर पड़े समुदायों को लाभान्वित करता है। इसका मतलब है कि इन समुदायों को अपने भूमि अधिकार वापस मिलते हैं और वे अपनी भूमि का उपयोग अपनी आवश्यकताओं और इच्छाओं के अनुसार कर सकते हैं, जिससे उनकी सामाजिक स्थिति में सुधार होता है और आर्थिक असमानताएं कम होती हैं।