उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से अर्जचाँदनी त्रिपाठी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है की साथियों लैंगिक असमानता की बात करें तो इसका सीधा सा अर्थ है की समाज में लिंग के आधार पर किया जाने वाला भेदभाव। सजीव श्रृष्टि में मानव ही सबसे अधिक बुद्धिमान और विवेकवान जीव माना गया है। मानव का अर्थ मनुष्य जाति से है इसमें लिंग भेद का कोई अर्थ ही नहीं,अब जानते है हमारे मानव समाज के बारे में मूलतः मानव जाति में लिंग के आधार पर तीन प्रकार के मानव होते हैं, जिनमें महिला पुरुष और ट्रांसजेंडर लिंग के लोग हैं। लैंगिक भेद भाव को आधार मान कर देखा जाए तो आज समाज में सबसे अधिक भेदभाव ट्रांसजेंडरो के साथ होता है। दूसरे नंबर पर यह भेदभाव महिलाओं के साथ होता आया है। किंतु अब इसमें तेजी से कमी आ रही है। आप सभी को याद होगा की अभी कुछ वर्षो पहले हमारे पुरुष प्रधान माने जाने वाले समाज में अचानक महिलाओं की संख्या कम होने लगी थी। जिससे लैंगिक आधार पर समाज में महिला पुरुष का अनुपात बिगड़ने लगा और महिलाओं से जुड़े यौन अपराध तेजी से बढ़ने लगे थे। यहां तक कि बेटियों को बचाने के लिए सरकार को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा देना पड़ा था। इस जन जागरूकता अभियान का पूरे देश में खासा असर भी हुआ और लगातार महिला पुरुष के लैंगिक असंतुलन के अनुपात में व्यापक सुधार हुआ। आज देश के कई राज्यों में महिलाओं की संख्या पुरुषों से भी अधिक हो गई है। पुरुष प्रधान समाज में सदियों से महिलाओं के साथ भेदभाव होता रहा है। किंतु अब स्थितियां तेजी से बदल रही हैं आज महिलाएं पुरुषों को भी पीछे छोड़ कर आगे निकल रही हैं। समाज का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं बचा है जहां आज महिलाएं प्रतिनिधित्व नहीं कर रही हों। व्यापक बदलाव का ही असर है की आज समाज में महिलाएं अपने साथ हो रहे सामाजिक अन्याय का तीव्र प्रतिकार भी कर रही हैं। किंतु आज भी समाज में महिलाओं का एक बड़ा वर्ग पुरुषों के सानिध्य में रह कर महिलाओं के बढ़ते कदमों को रोकने में लगा हुआ है। जो कि एक दुखद स्थिति है। कई बार तो लैंगिक आधार पर वरीयता पाकर कुछ महिलाएं पुरुषों पर अत्याचार करने में भी पीछे नहीं है। समय आ चुका है कि हमें यह समझना होगा की लैंगिक आधार पर कोई भी दूसरे के साथ अन्याय ना करें।समानता का अर्थ बराबरी का होता है, जहां पर कोई छोटा या बड़ा नहीं बल्कि एक समान होता है। प्रकृति ने नर मादा के रूप में महिला पुरूष का निर्माण किया है। दोनों की अपनी विशेषताएं भी हैं और क्षमताएं भी ऐसे में एक दूसरे का पूरक बन कर ही लैंगिक असमानता के भेदभाव को मिटाया जा सकता है।