उत्तर प्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से अनुराधा श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही है की हमारी महिलाएं पुरुषों से बहुत पीछे हैं क्योंकि वे ही हैं जो उन्हें अधिकार देने में पीछे रहती हैं। पहले तो वे कहते हैं कि हां, महिलाएं पुरुषों के बराबर हैं, लेकिन जब अधिकारों की बात आती है, तो वे पुरुष पीछे हट जाते हैं जो महिलाएं हमसे उम्मीद करती हैं। कमजोर लेकिन जो लोग ऐसा सोचते हैं, उन्हें लगता है कि आज महिलाएं हर चीज में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। यह बात है कि महिलाओं को जमीन का अधिकार मिलना चाहिए या नहीं, इसलिए आज हमारे देश में अदालत ने भी इसे पिता की जमीन पर लागू किया है। बेटों के समान ही बेटियों का भी अधिकार है, इसलिए हम अपने बच्चों को जो हिस्सा बेटों को देते हैं, हमारी बेटियों का भी उसमें पूरा अधिकार होता है, इसलिए हर माता-पिता को अपनी पैतृक भूमि में यह चाहिए। मैं अपनी बेटियों को भी पूरा अधिकार दूंगा ताकि उनका सर्वांगीण विकास हो सके। अगर उनके नाम पर जमीन होगी तो वे हर क्षेत्र में मजबूत होंगे। वह कमजोर नहीं होगी, अगर कोई आवश्यकता होगी तो वह खुद को आर्थिक रूप से मजबूत समझेगी। अब यह पहले के समय से चल रहा है जब माता-पिता लड़कियों के रिश्ते देखने जाते थे, वे देखते थे। लड़के-लड़कियां देखते थे कि उनके पास कितनी जमीन है, घर आदि हैं, लेकिन वे जमीन देखते थे ताकि वे सोच सकें कि अगर कभी हमारी बेटियों को परेशानी हो तो कम से कम उनके पास कुछ अचल संपत्ति है लेकिन यह कहने की बात है क्योंकि ससुराल में भी लड़कियों को वह अधिकार नहीं मिलता है जो वे सुरक्षित रखती हैं। यह बहू और बहू की है, लेकिन जब अधिकार देने की बात आती है तो वे पीछे हट जाते हैं, इसलिए माता-पिता को अपनी बेटियों को इतना लिख कर आगे ले जाना चाहिए। उ. कि वह अपने हर अधिकार के लिए लड़ सके और महिलाओं के जो भी अधिकार हों, वह उनके अधिकार ले सके। जैसे किसी भी क्षेत्र में, अगर शिक्षा के क्षेत्र में बात आती है, तो लोगों को भी यह विचार आता है कि अरे, हम लड़कियों को और अधिक शिक्षित बनाकर क्या करेंगे कि एक दिन हमें उन्हें ससुराल भेजना पड़े, लेकिन अब ऐसा नहीं है। ज्यादातर माता-पिता सोचते हैं कि हम अपनी बेटियों को शिक्षित करेंगे और उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करेंगे ताकि अगर कोई समस्या हो तो वे कुछ कर सकें, वे अपने ससुराल वालों पर निर्भर न रहें, इसलिए यह माता-पिता की जिम्मेदारी है। यानी अपने बच्चों को लिखना सिखाएं और उन्हें अपने बेटों के समान हिस्सा दें, क्योंकि आज आप देखेंगे कि माता-पिता को उनके बेटों द्वारा कितना प्रताड़ित किया जाता है, लेकिन अगर केवल तभी।