उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से अर्धचन्दारी त्रिपाठी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि भारत देश की आबादी 145 करोड़ हो गई है, आंकड़े बताते हैं कि आज आबादी के मामले में हम दुनियां का नंबर वन देश बन चुके हैं। शायद यही वजह है कि छोटे बड़े कस्बों से लगायत बड़े शहरों और महानगरों में सड़क पर चलते हुए या किसी भी सामाजिक आयोजन में लोगों की बेइंतहा भीड़ हो जाती है। अपने देश में भीड़ का बढ़ना इतना सामान्य हो चुका है, कि अब हमें इस भीड़ की आदत सी हो चुकी है। आज यही भीड़ कई तरह की समस्याओं को भी जन्म दे रही है। दुर्घटनाएं चाहे सड़क पर हो रेल मार्ग पर हों या फिर किसी बाबा के प्रवचन कथा सत्संग में या किसी जलसे में, भीड़ को रोकने में कई बार प्रशासन भी अपने हाथ खड़े कर लेता है। यह भी सच है कि जहां भीड़ अधिक होती है वहां सभी नियम और कायदे कानून बेमानी हो जाते हैं। ऐसे में किसी बड़े हादसे का हो जाना एक सामान्य सी घटना बन जाती है। पिछले दिनों यूपी के हांथरस में एक तथाकथित बाबा के प्रवचन के बाद हुए हादसे में 121 लोगों की मौत की दु:खद घटना अब एक पुरानी खबर बनाकर रह गई है। बारिश का मौसम है,बाढ़ भूस्खलन जल भराव पानी के तेज बहाव में भी देश में लगातार दुर्घटनाएं हो रही हैं। भीड़ के कारण गरीबी भुखमरी बेरोजगारी जैसी बेशुमार समस्याएं हैं, जिनका हल ढूंढने के लिए यही भीड़ बाबाओं और पीर फकीरों के दरबार में हाजिरी लगाने और राहत पाने के लिए पहुंचती है। जहां भीड़ को संतोष और अभाव में ही सच्चा सुख है, कम खाएंगे सुखी रहेंगे, आसमान के नीचे पेड़ों के नीचे रहेंगे तो प्रकृति की गोद में रहेंगे, कपड़े कम पहनें चमक दमक और भौतिक सुख सुविधाओं से दूर ही रहें, धूप धूल धुआ बारिश सभी मौसम इस प्रकृति और विधाता ने बनाए हैं, वही सबका रखवाला है, पालनहार है, वही करने कराने वाला है, वही जीवित रखने वाला है, इस प्रकार के उपदेश देकर, प्रशासन और शासन सत्ता को उनकी जिम्मेदारियां से मुक्ति दिलाने वाले इन बाबाओ और पीर फकीरों की शरण में शासन सत्ता भी आ जाती है। अभावग्रस्त आबादी को जीवन के लिए जरूरी आवश्यक सुविधाएं न दे पाने में फेल प्रशासनिक तंत्र चाहता ही है कि लोग अपने हक की आवाज ना उठाएं। पर्याप्त संसाधनों के अभाव में रोज मर रहे लोगों को बचाने का इंतजाम संभवत शासन सत्ता के हाथों में भी नहीं है, और यही वजह है की भीड़ और दुर्घटनाएं आज हमारी और इस देश की नियति बन चुके हैं।