उत्तर प्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से अर्जुन त्रिपाठी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि वैश्विक स्तर पर देखें तो लैंगिक असमानता के 10 प्रमुख कारण बताए गए हैं जो की देश काल और परिस्थितियों के हिसाब से पूरी दुनिया के विभिन्न देशों और राज्यों में अलग अलग हैं। पहला है शिक्षा के क्षेत्र में असमान पहुंच,दूसरा रोजगार में समानता का अभाव,तीसरा नौकरियों में बंटवारा,चौथा कानूनी सुरक्षा और अधिकारों में अंतर,पांचवा शारीरिक स्वायत्तता का अभाव,छठवां खराब चिकित्सा और देखभाल,सातवां धार्मिक स्वतंत्रता का अभाव,अठवा नस्लवाद और रंगभेद,नवां सामाजिक मानसिकता,दसवां राजनैतिक प्रतिनिधित्व का अभाव ,इनके अलावा आपसी विद्वेष आगे बढ़ने वाले अपने ही वर्ग के दूसरे को आगे नहीं आने देना चाहते हैं।प्रमुख कारणों में से एक महिलाओं में उनके अधिकारों और समानता प्राप्त करने की उनकी क्षमता के बारे में जागरूकता की कमी है। जागरूकता की यह कमी अक्सर प्रचलित सांस्कृतिक और सामाजिक मानदंडों के कारण होती है, जो यह तय करते हैं कि महिलाओं को पुरुषों के अधीन रहना चाहिए।हालाकि भारत में इस दिशा में तेजी से बदलाव शुरू हो गया है लेकिन इसकी गति आज भी बहुत ही धीमी है। निश्चय ही लैंगिक असमानता सामाजिक आर्थिक और राष्ट्रीय विकास में बहुत बड़ी बाधा है।