उत्तर प्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से ताराकेश्वरी श्रीवास्तव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि पारंपरिक समाजों में, भूमि स्वामित्व को पुरुषों का अधिकार माना जाता है और महिलाओं को भूमि की विरासत से वंचित किया जाता है। यह लैंगिक भेदभाव न केवल महिलाओं के लिए आर्थिक स्वतंत्रता को बाधित करता है बल्कि सामाजिक स्थिति को भी बाधित करता है। कानूनी प्रावधान और विरासत और भूमि अधिकारों के मामले में उनकी प्रभावशीलता भी एक बड़ी चुनौती है, कई देशों में भले ही कानून महिलाओं को भूमि पर अधिकार देता है लेकिन इन कानूनों को सही तरीके से लागू नहीं किया जाता है। स्थानीय परंपराएं और जाति व्यवस्था भी महिलाओं के भूमि अधिकारों में बाधा डालती है।