उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से अदिति श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि उच्चतम न्यायालय ने चुनावी बॉन्ड की योजना पर रोक लगा दी । चुनावी बॉन्ड योजना केंद्र सरकार द्वारा दो हजार अठारह में शुरू की गई थी । इसके अलावा , रिजर्व बैंक और चुनाव आयोग ने आपत्तियां उठाई थीं । इसकी अनसुनी योजना सरल थी । भारतीय स्टेट बैंक चुनाव से पहले चुनावी बॉन्ड बेचेगा । जो कोई भी दान करना चाहता है , उसे खरीद लें और फिर उस पार्टी को बांड दें जिसे बांड दिया जाना है । पार्टी को बैंक जाकर इस बॉन्ड को भुनाना होता है । पार्टी चुनाव । यह आयोग को बताएगा कि बॉन्ड से कितना पैसा मिला है , यह बताना जरूरी नहीं है कि बॉन्ड किसने दिया है । इस तरह पिछले छह वर्षों में पार्टिंग को सोलह हजार करोड़ रुपये का दान प्राप्त हुआ है । सरकार का तर्क था कि प्राप्तकर्ताओं और दानदाताओं की पहचान गुप्त रखी जानी चाहिए और उन्हें परेशान नहीं किया जाना चाहिए ।