भोजन से केवल भूख ही शांत नहीं होती बल्कि इसका प्रभाव तन, मन एवं मस्तिष्क पर पड़ता है। कहा गया है कि जैसा खाओ अन्न वैसा बने मन। हम सभी भलीभांति जानते हैं कि तले हुए,मसालेदार, बासी,रूखे एवं गरिष्ठ भोजन से मन मस्तिष्क और शरीर में दर्जनों विकार जन्म लेते हैं। भूख से अधिक या कम मात्रा में भोजन करने से हमारा तन रोगग्रस्त बनता जाता है। आयुर्वेद के मुताबिक दिन में दो बार भोजन करना सेहत के लिए बहुत ह लाभकारी होता है। दिन में 6 घंटे के अंतराल के बाद आप दो बार भोजन कर सकते हैं। जो व्यक्ति दिन में दो बार भोजन करता है उसे भोगी कहा जाता है। दो बार खाना खाने से सही पाचन होता है। भोजन से ऊर्जा के साथ-साथ सप्त धातुएं (रक्त,मांस,मज्जा,अस्थियां आदि) पुष्ट और मजबूत होती हैं। केवल खाना खाने से ऊर्जा नहीं मिलती,खाना खाकर उसे पचाने से ऊर्जा प्राप्त होती है। परंतु भागदौड़ एवं व्यस्तता के कारण मनुष्य शरीर की मुख्य आवश्यकता भोजन पर ध्यान नहीं देता। जल्दबाजी में जो मिला,सो खा लिया या चाय-नाश्ता से काम चला लिया। इससे पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है और भोजन का सही पाचन नहीं हो पाता। भोजन का सही पाचन हो सके इसके लिए इन बातों पर गौर करें। एक प्रसिद्ध कहावत है कि 'सुबह का खाना स्वयं खाओ,दोपहर का खाना दूसरों को दो और रात का भोजन दुश्मन को दो।' वास्तव में हमें सुबह 10 से 11 बजे के बीच भोजन कर लेना चाहिए ताकि दिनभर कार्य करने के लिए ऊर्जा मिल सके। कुछ लोग सुबह चाय-नाश्ता करके रात्रि में भोजन करते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं होता। दिन का भोजन शारीरिक श्रम के अनुसार एवं रात का भोजन हल्का व सुपाच्य होना चाहिए। रात्रि का भोजन सोने से दो या तीन घंटे पूर्व करना चाहिए। तीव्र भूख लगने पर ही भोजन करना चाहिए। नियत समय पर भोजन करने से पाचन अच्छा होता है। हाथ-पैर,मुंह धोकर आसन पर बैठकर भोजन करने से यश एवं आयु बढ़ती है। खड़े होकर जूते पहनकर सिर ढंक कर भोजन नहीं करना चाहिए। भोजन को ठीक तरह चबाकर करना चाहिए। वरना दांतों के द्वारा पीसने का काम हमारी आंतों को करना पड़ेगा जिससे भोजन का पाचन सही नहीं होगा। भोजन करते समय मौन रहना चाहिए। इससे भोजन में लार मिलने से भोजन अच्छी तरह से पचता है। टीवी देखते हुए अखबार पढ़ते हुए नहीं खाना चाहिए। स्वाद के लिए नहीं,स्वास्थ्य के लिए भोजन करना चाहिए। स्वादलोलुपता में भूख से अधिक खा लेना बीमारियों को दावत देना है। भोजन हमेशा शांत एवं प्रसन्न चित्त होकर करना चाहिए। भोजन करने के तुरंत बाद पानी या चाय नहीं पीना चाहिए। भोजन के बाद घुड़सवारी,दौड़ना,बैठना,शौच आदि नहीं करना चाहिए। भोजन के बाद दिन में टहलना एवं रात में सौ कदम टहलकर बाईं करवट लेटने या वज्रासन में बैठने से भोजन का पाचन अच्छा होता है। भोजन के एक घंटे बाद मीठा दूध एवं फल खाने से भोजन का पाचन अच्छा होता है। रात्रि को दही,सत्तू,तिल एवं गरिष्ठ भोजन नहीं करना चाहिए। दूध के साथ नमक,दही,खट्टे पदार्थ,मछली, कटहल नहीं खाना चाहिए। शहद और घी का समान मात्रा में सेवन नहीं करना चाहिए। दूध-खीर के साथ खिचड़ी नहीं खानी चाहिए।
