घरेलू हिंसा का मुखर विरोध जरूरी है। बोलेंगे तो बदलेगा इसका अर्थ यही है की समाज की अव्यवस्थाओं के खिलाफ आवाज उठानी ही होगी।फिर चाहे कच्ची शराब पीकर मारने पीटने और घरेलू हिंसा की घटनाएं हों या दहेज के लिए अथवा महिलाओं पर प्रतिबंध लगाने वाला पितृसत्तात्मक अपना यह समाज 21 वी सदी में इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
