उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से आशना रॉय मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि वैश्विक प्रतिस्पर्धा के युग में जहां आधुनिकीकरण से लाभ हुआ है , वहीं यह कृषि की स्थिरता पर भी सवाल उठाता है । तकनीकी प्रगति और पर्यावरणीय चिंताओं के बीच संतुलन बनाना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है । दो हजार पचास की एक रिपोर्ट के अनुसार पृथ्वी लगभग दस अरब लोगों का घर होगी जिसमें वैश्विक खाद्यान्न में पचास प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है । कृषि भूमि एक सीमित संसाधन है । इसका विस्तार अक्सर वनों की कटाई और जैव विविधता के नुकसान के साथ होता है ।यह उन नुकसानों की कीमत पर होता है जो पर्यावरणीय असंतुलन को बढ़ावा देते हैं , जिसके परिणामस्वरूप बढ़ते तापमान , अनियमित वर्षा पैटर्न और जलवायु परिवर्तन की घटनाएं होती हैं जो फसल की पैदावार को खतरे में डालती हैं और खाद्य उत्पादन को बाधित करती हैं ।
