गोरखपुर। परिवहन आयुक्त उत्तर प्रदेश के पत्र के क्रम में सड़क दुर्घटनाओं पर नियंत्रण के उद्देश्य से, प्रदेश संयोजक, भारतीय चरित्र निर्माण संस्था द्वारा परिवहन विभाग के साथ आज आईटीएम गीडा में सेमिनार का आयोजन किया गया। प्रदेश संयोजक, भारतीय चरित्र निर्माण संस्थान द्वारा सेमिनार को संबोधित करते हुए अवगत कराया गया कि, “सड़क दुर्घटनाओं में हो रही मानवीय क्षति को चुनौती के रूप में लेना होगा। मनुष्य के जीवन की रक्षा करना सबसे बड़ा धर्म है। सड़क दुर्घटनाओं में काल-कवलित 50 प्रतिशत से ज्यादा युवा हैं। भारतीय चरित्र निर्माण संस्थान और परिवहन विभाग, उत्तर प्रदेश ने भगवद्गीता के कर्मविज्ञान और न्यायसिद्धांत के दर्शन व शिक्षा को सड़क सुरक्षा का महत्वपूर्ण आधार मानकर लोक संवाद शुरू किया। प्रधानमंत्री मिशन कर्मयोगी योजना और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की अभ्युदय योजना एवं भगवद्गीता के कर्मविज्ञान के वैज्ञानिक दर्शन को भारतीय चरित्र निर्माण संस्थान ने देश में हो रही सड़क दुर्घटनाओं पर नियंत्रण का आधार बनाया है। विश्व में समस्या व समाधान के केन्द्र में व्यक्ति के कर्म होते हैं। कर्म के केन्द्र में व्यक्ति की प्रकृति (मनोदशा) होती है। प्रकृति एक त्रिगुणात्मक विश्व व्यवस्था है। सत्, रज और तम ही प्रकृति के मुख्य गुण हैं। गीता वरण का शास्त्र है। गीता में आत्मनिग्रह की बात कही गयी है। यदि व्यक्ति आत्मंथन के द्वारा स्वयं को सद्गुणों में ढाल लेगा तो कई प्रकार की कुप्रवृत्तियों से निवृत्त होकर एकाग्रचित्त होकर उद्देश्य प्राप्त कर सकता है।”
