कड़ाके की ठंड में राहगीरों और बेसहारा लोगों को खुले आसमान के नीचे रात ना गुजारनी पड़े इसके लिए हर साल शहर में तीन रेन बसेरे बनाए जाते हैं परंतु रेलवे स्टेशन पर बनने वाला रेन बसेरा अभी तक नहीं बन पाया है ।
कड़ाके की ठंड में राहगीरों और बेसहारा लोगों को खुले आसमान के नीचे रात ना गुजारनी पड़े इसके लिए हर साल शहर में तीन रेन बसेरे बनाए जाते हैं परंतु रेलवे स्टेशन पर बनने वाला रेन बसेरा अभी तक नहीं बन पाया है ।