सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के बारे में एक महिला क्या सोचती है... यह जानना बहुत दिलचस्प है.. चलिए तो हम महिलाओं से ही सुनते हैं इस खास दिन को लेकर उनके विचार!! आप अपने परिवार की महिलाओं को कैसे सम्मानित करना चाहेंगे? महिला दिवस के बारे में आपके परिवार में महिलाओं की क्या राय है? एक महिला होने के नाते आपके लिए कैसे यह दिन बाकी दिनों से अलग हो सकता है? अपने परिवार की महिलाओं को महिला दिवस पर आप कैसे बधाई देंगे... अपने बधाई संदेश फोन में नम्बर 3 दबाकर रिकॉर्ड करें.
जेंडर हिंसा के खिलाफ चलने वाले इस कार्यक्रम, 'बदलाव का आगाज़', में आज सुनिए प्रियंका जी को, जिनका कहना है कि जब तक एक ट्रांसजेंडर या कहें ख़ुद को महिला और पुरुष के दायरे में ना रखने वाले हर इंसान को इंसान नहीं समझा जाएगा, उनके ख़िलाफ़ समाज में फैली हिंसा और नफ़रत कम नहीं होगी
दोस्तों, अब आपके पास भी मौका है झुमरू का झोला उठाने का। अपने क्षेत्र के मज़ेदार किस्से, कहानियां और लोक गीत ढूंढिये और रिकॉर्ड कीजिए मोबाइल वाणी पर। सबसे ज़्यादा रोचक किस्से, कहानियां और लोक गीत रिकॉर्ड करने वाले को मिलेगा, मोबाइल वाणी और रिप्रेजेंट बिहार संस्था की ओर से एक आकर्षक इनाम। तो फिर देर किस बात की, बन जाइए झुमरू और निकल पड़िए मज़ेदार किस्से, कहानियों और लोक गीतों की तलाश में। और हाँ.. उन्हें रिकॉर्ड करने के लिए फोन में दबाएं नम्बर 3...
दोस्तों, आज झुमरू के झोले से निकला है एक कहानी। यह कहानी सुना रही है सिंगरौली से मोबाइल वाणी की श्रोता, निषाद ख़ानम। अगर आपके पास भी ऐसा ही कोई कहानी है, तो उसे मोबाइल वाणी पर रिकॉर्ड करें। इसके अलावा, आप रिकॉर्ड कर सकते है अपने क्षेत्र के रोचक किस्से और लोक गीत... फोन में नम्बर 3 दबाकर।
दोस्तों किसी शायर ने क्या खूब कहा है? न रोने की वजह थी, न था हंसने का बहाना. खेल खेल में कितना कुछ सीखा, कितना प्यारा था वो बचपन का ज़माना. काश, लौट आए फिर से वो कल सुकून भरा बचपन मनाएं हर पल. सच में कितने मज़ेदार थे ना वह बचपन के दिन? चलिए एक बार फिर से उन्हीं दिनों को जीने की कोशिश करते हैं अपने बच्चों के संग उनके बचपन को एक त्यौहार की तरह मनाते हुए हंसते हुए, खेलते हुए, शोर मचाते बन जाते हैं उनके दोस्त और जानने की कोशिश करते हैं इस बड़ी सी दुनिया को उनकी नन्ही आंखों से और बचपन के उन प्यारे जनों को याद करने में आपका साथ देंगे बचपन बनाओ और मोबाइल वाणी की टीम .घर और परिवार ही बच्चों का पहला स्कूल है और माता पिता दादा दादी और अन्य सदस्य होते हैं उनके दोस्त और टीचर हो. साथ में ये भी कि बच्चों के दिमाग का पचासी प्रतिशत से अधिक विकास छह वर्ष की आयु तक हो जाता है. तो अगर ये कीमती साथ हमने गवा दिए. तो उनके भविष्य को उज्जवल बनाने का मौका हम खो देंगे. अब यह सब कैसे सही रखें? इसके लिए आपको सुनने होंगे हमारे आने वाले एपिसोड तब तक आप हमें बता सकते हैं कि किस तरह के देखभाल से बच्चों का मानसिक और शारीरिक विकास सही रह सकता है. इससे जुड़ा अगर आपका कोई सवाल है या कोई जानकारी देना चाहते हैं तो रिकॉर्ड करने के लिए फोन में अभी दबाएं नंबर 3 . सुनते रहिए कार्यक्रम बचपन मनाओ, बढ़ते जाओ.
दोस्तों, आज झुमरू के झोले से निकली है सात भाईयों और एक राक्षस की मज़ेदार कहानी. भाईयों ने कैसे उस राक्षस से अपनी बहन की रक्षा की, ये बता रही है सिवान जिले के लहेजी गांव की चिन्मय कुमारी. और हां, अगर आप भी ऐसी कोई कहानी जानते है तो उसे मोबाइल वाणी पर रिकॉर्ड करें. इसके अलावा, आप रिकॉर्ड कर सकते है अपने क्षेत्र के लोकगीत और कथाएं.. फोन में नम्बर 3 दबाकर.
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