मोबाइल वाणी और माय कहानी की खास पेशकश कार्यक्रम भावनाओं का भवर में। दोस्तों यह सच है कि एक निर्णय इंसान का जीवन बदल देता है। अगर सही वक्त पर सही निर्णय लिया जाये तो जीवन सुधर जाता है। लेकिन जल्दबाजी में लिए गए एक गलत निर्णय इंसान को अर्श से फर्श तक ले आता है. पर यह भी सच है कि कोई भी निर्णय लेने में हमारा मन और मस्तिष्क का बहुत बड़ा योगदान होता है. जी हां दोस्तों हमारे द्वारा लिया जाने वाले हर निर्णय के पीछे हमारा मन मस्तिष्क का खेल होता है तभी तो हम कई बार मानसिक दबाव में आकर इतने उलझ जाते हैं कि हमें पता ही नहीं चलता कि आखिर सही डिसीजन यनि की निर्णय कब और कैसे लिया जाए। हम अपने जीवन में सही निर्णय ले सके इसके लिए जरूरी है की हम अपने मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखें। क्यूंकि मानसिक विकार किसी की गलती नहीं होती। .......तो चलिए, आज की कड़ी में जानते हैं की हमारे फैसलों में मानसिक स्वस्थ्य की क्या भूमिका है और हमें मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल कैसे रखना चाहिए। ...हां तो साथियों अभी आपने सुना की मानसिक तनाव का प्रभाव हमारे ऊपर कैसे पड़ता है। अब आप बताये कि क्या आपके साथ कभी ऐसा हुवा है कि आप जल्दबाज़ी में कोई फैसला लेने ही वाले थे पर ऐन वक्त पर किसी ने आप को रोक लिया हो और बाद में आप को समझ आया हो की आप का लिया गया फैसला गलत होता ? ऐसे स्थिति में कैसा अनुभव था आप का ? और आप के अनुसार हमारे ज़िन्दगी के फैसलों में करीबी लोगो की क्या भूमिका होती है ? क्या सच में ज़िन्दगी के बड़े फैसले हमें खुद ही लेने होते है ? या यह केवल एक सुनी सुनाई बातें है ?इस पर अपनी राय, प्रतिक्रिया या फिर इससे जुड़े आपके मन में कोई सवाल है तो वो भी हमें जरूर बताएं अपने फ़ोन में नंबर 3 दबाकर। साथ ही इसी तरह की और भी जानकारी सुनने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें https://www.youtube.com/@mykahaani

मोबाइल वाणी और माय कहानी की खास पेशकश कार्यक्रम भावनाओं का भवर में। दोस्तों काम करना हर इंसान की जरुरत होती है और हर व्यक्ति कोई न कोई काम तो जरूर करता है। और आज के भागदौड़ भरी जिंदगी में काम में लोग इतने व्यस्त हो जाते हैं कि खुद पर ध्यान नहीं दे पाते है और कई बार वे थक जाते हैं । और उन्हें ये पता भी नहीं होता की उनके साथ ऐसा क्यों हो रहा है ! और क्या यह थकान सिर्फ शारीरिक है ? और आखिरकार कैसे समझें शरीर के इशारों को ? और हमारे शरीर पर दीखते ऐसे संकेतों का क्या सम्बन्ध है हमारे मन के साथ ? क्यूंकि मानसिक विकार किसी की गलती नहीं इसलिए इससे जूझने से बेहतर है इससे जुड़ी पहलुओं को समझना और समाधान ढूंढना। तो चलिए जानते है आज की इन थकान भरी स्थिति क्यों आती है और उस से कैसे निपटे। साथियों अभी आपने जाना कि जब आप थका हुआ और एनर्जी लेस महसूस करते हैं तो वैसे में क्या करना चाहिए। अब आप हमें बताएं कि क्या आपके साथ भी ऐसा होता है कि काम करते करते थक जाते हैं और एकदम से एनर्जी लेस महसूस करते हैं।अगर हां तो ऐसी परिस्थिति में आप क्या करते हैं ? आप खुद को कैसे रिफ्रेश करते हैं यानि कि फिर से तरोताजा महसूस करने के लिए क्या करते हैं ? साथ ही बताएं कि मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना क्यों जरूरी है और आपके अनुसार एक व्यक्ति काम के साथ साथ खुद का मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल कैसे रख सकता है ?अपनी राय और प्रतिक्रिया जरूर साझा करें अपने फ़ोन में नंबर 3 दबाकर। साथ ही इसी तरह की और भी जानकारी सुनने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें https://www.youtube.com/@mykahaani

मोबाइल वाणी और माय कहानी की खास पेशकश भावनाओं का भवर में दोस्तों, कहते हैं प्यार के कई रंग होते हैं, कुछ रोमांटिक, कुछ दोस्ताना। पर चाहे प्यार कैसा भी हो, प्यार के साइड इफेक्ट्स हर जगह देखने को मिल जाते हैं. इस में से सब से बड़ा साइड इफ़ेक्ट तो तब देखने मिलता है जब वो प्यारा इंसान हम से दूर हो जाता है और हमारे ज़िन्दगी में एक खालीपन का अहसास छोड़ जाता है। आज के समय में जब प्यार में ब्रेक अप एक आम बात हो चुकी है , कई बार हम मानसिक स्वास्थ्य पर इसके असर को नज़रअंदाज कर देते हैं. पर इसका मतलब ये नहीं है की परेशानियां टल गई है। क्यूंकि मानसिक विकार किसी की गलती नहीं इसलिए इससे जूझने से बेहतर है इससे जुड़ी पहलुओं को समझना और समाधान ढूंढना। तो चलिए आज जानते हैं कि ब्रेकअप जैसी परिस्थिति का सामना कैसे करें । साथियों, जैसा कि हम सब जानते हैं कि ब्रेकअप से उबरना कोई आसान काम नहीं है लेकिन यह इतना मुश्किल भी नहीं की इससे उबरा न जा सके . क्या आपने कभी ब्रेकअप का सामना किया है ?अगर हाँ तो उस स्थिति में आप ने खुद को कैसे संभाला था ?और ऐसी स्थिति में किसने आप की सबसे ज़्यादा मदद की थी और और कैसे ?और अगर आपके किसी दोस्त या बेहद करीबी किसी ने ब्रेकअप का सामना किया तो उनके ब्रेकअप की स्थिति से उभरने ने में आप की क्या भूमिका रही है ?अपनी राय और प्रतिक्रिया जरूर साझा करें अपने फ़ोन में नंबर 3 दबाकर। साथ ही इसी तरह की और भी जानकारी सुनने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें https://www.youtube.com/@mykahaani

जन्म से आठ साल की उम्र तक का समय बच्चों के विकास के लिए बहुत खास है। माता-पिता के रूप में जहाँ हम परवरिश की खूबियाँ सीखते हैं, वहीँ इन खूबियों का इस्तेमाल करके हम अपने बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ावा दे सकते है। आप अपने बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ाने और उन्हें सीखाने के लिए क्या-क्या तरीके अपनाते है? इस बारे में 'बचपन मनाओ-बढ़ते जाओ' कार्यक्रम सुन रहे दूसरे साथियों को भी जानकारी दें। अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए फोन में दबाएं नंबर 3

मोबाइल वाणी और माय कहानी की खास पेशकाश कार्यक्रम भवनाओं का भवर। कहते हैं कि ध्यान वो कला है, जो मन को शांत और आत्मा को शुद्ध करता है। और आज के कड़ी में हम बात करेंगे इसी ध्यान यानि कि मेडिटेशन का हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ते साकारात्मक प्रभाव के बारे में। क्यूंकि मानसिक विकार किसी की गलती नहीं इसलिए इससे जूझने से बेहतर है इससे जुड़ी पहलुओं को समझना और समाधान ढूंढना। तो चलिए आज जानते हैं कि हर दिन मेडिटेशन यानि की ध्यान लगाने के क्या क्या फायदे होते हैं। साथियों,अभी आपने सुना रोज ध्यान लगाने यानि कि मेडिटेशन करने के फायदेअब आप बताएं कि क्या आपने कभी ध्यान लगाया है ? कैसा रहा आपका अनुभव ?और क्या आप के पास तनाव से मन को मुक्त कर धीरे-धीरे शांत करने के कोई और तरीका भी है ? तो वो भी हमारे साथ साझा करें। अपने फ़ोन में नंबर 3 दबाकर। साथ ही इसी तरह की और भी जानकारी सुनने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें। https://www.youtube.com/@mykahaani

मोबाइल वाणी और माय कहानी का एक ख़ास पेशकस आपके लिए कार्यक्रम भावनाओं का भवर जहाँ हम सुनेंगे मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने से जुड़ी कुछ जानकारियां. तो चाइये आज की कड़ी में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े विभिन्न तरह की बिमारियों और उसके उपचार के बारे में जानेंगे। आप हमें बताएं कि आज के समय में मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना कितना जरू है और क्यों जरुरी है?आज की कड़ी में बताई गई मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े विभिन्न तरह की बिमारियों के प्रति लोग कितने जागरूक है ?अगर आपके परिवार के सदस्यों या किसी जाननेवालों में आज की कड़ी में बताई गई मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी कोई भी लक्षण दिखे, तो इसके लिए क्या करना चाहिए ?मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लोग सजग और जागरूक हो पाएं इसके लिए सामुदायिक स्तर पर क्या किया जाना चाहिए ?साथ ही इसी तरह की और भी जानकारी सुनने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें। https://www.youtube.com/@mykahaani

मोबाइल वाणी और माय कहानी का एक ख़ास पेशकस आपके लिए कार्यक्रम भावनाओं का भवर जहाँ हम सुनेंगे मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने से जुड़ी कुछ जानकारियां. तो आइये सुनते हैं कि यौन उत्पीड़न जैसी परिस्थितियां हमारे ऊपर किस तरह का प्रभाव डालती है और इन से उभरने में हम किसी की मदद कैसे कर सकते है। साथियों, यौन उत्पीड़न हमारे समाज की एक बड़ी समस्या है और बहुत से लोग इसका शिकार भी हो जाते हैं. हम समझते है की केवल साबधानी बरतने से ही ऐसे परिस्थितिओं को हमेशा नहीं टाला जा सकता है बल्कि सामाजिक बदलाव से ही इस समस्या को जड़ से ख़तम किया जा सकता है। ऐसे में , आप को क्या लगता है किस तरह का बदलाव हमारे समाज को एक सुरक्षित और बेहतर समाज बनाने में मदद कर सकती है ? और क्या केवल कड़े कानून लागु करने से ही यौन उत्पीड़न के शिकार हुए लोगो को इन्साफ दिलवाया जा सकता है ? यौन उत्पीड़न के शिकार हुए लोगो के प्रति वर्तमान में दिखने वाले सामाजिक प्रतिक्रियाओं पर आपकी क्या राय है ? साथ ही इसी तरह की और भी जानकारी सुनने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें। https://www.youtube.com/@mykahaani

मोबाइल वाणी और माय कहानी का एक ख़ास पेशकस आपके लिए कार्यक्रम भावनाओं का भवर जहाँ हम सुनेंगे मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने से जुड़ी कुछ जानकारियां. तो चाहिए आज की कड़ी में सुनते हैं कि वे कौन कौन सी परिस्थिति होती है जहाँ पर हम पियर प्रेशर यानि की दोस्तों के दबाव का सामना करते हैं और ऐसी स्थिति से कैसे निपटा जा सकता है। दोस्तों,आप बताएं कि हर व्यक्ति को जीवन के किसी न किसी पड़ाव पर ऐसे पियर प्रेशर यानि की अपने साथियों के दबाद का सामना करना पड़ता है। ऐसे में आपके अनुसार पियर प्रेशर या दबाव हमारे जीवन को कैसे प्रभावित करता है ? कई बार दोस्तों के दबाव में आकर लोग ऐसे काम करने को आगे बढ़ जाते हैं जो पूरी तरीके से सही नहीं होता है लेकिन सब जानते समझते हुए भी अपने दोस्तों को ना नहीं कह पाते हैं। आखिर इसके पीछे क्या कारण होता है ? और क्या आपने कभी ऐसे दबाव का सामना किया है ? साथ ही इसी तरह की और भी जानकारी सुनने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें। https://www.youtube.com/@mykahaani

मोबाइल वाणी और माय कहानी का एक ख़ास पेशकस आपके लिए कार्यक्रम भावनाओं का भवर जहाँ हम सुनेंगे मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने से जुड़ी कुछ जानकारियां. तो चलिए, आज की कड़ी में जानते हैं कि डिप्रेस्शन यानि की गहरे मानसिक तनाव या अवसाद की स्थिति को कैसे पहचान सकते है और इस परिस्थिति से निपटने के लिए क्या कर सकते हैं । हा तो साथियों,आप हमें बताएं कि हमारे आसपास ऐसे कौन कौन सी परिस्थिति देखने को मिलती है जो एक ब्यक्ति को अवसाद ग्रस्त कर सकती है और अगर आपके किसी अपने में आज के कड़ी में बताये गए लक्षणों में से कोई लक्षण देखने को मिले तो सबसे पहला कदम आप क्या उठाएंगे ? इस तनाव भरी ज़िन्दगी में बच्चो और युवाओं को मानसिक तौर पर मज़बूत बनाने और अवसाद की स्थिति से दूर रखने के लिए माता पिता व परिवार के दूसरे सदस्यों की क्या भूमिका है ? साथ ही इसी तरह की और भी जानकारी सुनने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें। https://www.youtube.com/@mykahaani

एड्स इस नाम से हम सभी भली भांति परिचित हैं इसका पूरा नाम है 'एक्वायर्ड इम्यूलनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम ' यह एक तरह का वायरस है जिसे एचआईवी के नाम से भी जाना जाता है।यह एक जानलेवा बीमारी है लेकिन आज भी लोगों में एड्स को लेकर सतर्कता नहीं है।साथ ही इसे समाज में भेदभाव की भावना से देखा जाता है। एड्स के प्रति जागरूकता फ़ैलाने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। दोस्तों , हम सभी को एड्स को लेकर सतर्क रहना है ,साथ ही लोगों में सर्तकता लाने की भी ज़रुरत है।साथियों, एड्स का उपचार भेदभाव नहीं बल्कि प्यार है। आइये हम सभी मिलकर विश्व एड्स दिवस मनाए और लोगों में एड्स के प्रति अलख जगाए। सतर्क रहें,सुरक्षित रहें