चम्पारण थरुहट ,बाब दासिया मुसामथ मन्नाबा हम रामपुर दुख बोल्ता नहीं पांच आता हमसमाफिखे मिलादेर दिन हो गए हमारा मलिक करैल है । मुखिया तो वाप से कहुत बहुत हर जाती है अभी तो बना दिया निखे मिलीभा ना मिला हमारा कौन बेस में है दो सर ।
चम्पारण थरुहट ,बाब दासिया मुसामथ मन्नाबा हम रामपुर दुख बोल्ता नहीं पांच आता हमसमाफिखे मिलादेर दिन हो गए हमारा मलिक करैल है । मुखिया तो वाप से कहुत बहुत हर जाती है अभी तो बना दिया निखे मिलीभा ना मिला हमारा कौन बेस में है दो सर ।