उत्तरप्रदेश राज्य के मौ जिला से रमेश कुमार यादव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि महिलाओं को समाज द्वारा भूमि के अधिकार से वंचित किया जाता है। यह वह समाज है जो महिलाओं के नाम पर भूमि लिखने के लिए तैयार नहीं है और न ही अपने अधिकार अर्जित करने के लिए उन्हें अपना सही हिस्सा देने के लिए तैयार है। जैसे एक माँ के अगर एक लड़की और एक लड़का है, तो लड़के का भूमि पर अधिकार है, लेकिन वहीँ लड़कियों को भूमि के अधिकार से वंचित किया जाता है। वह उन्हें यह देने के लिए सहमत हो जाता है कि हम लड़कियों के नाम पर जमीन नहीं देंगे, लड़कियों को जमीन में हिस्सा नहीं दिया जाएगा, लेकिन यह कानूनी रूप से ऐसा नहीं होना चाहिए लड़का या लड़की दोनों को हिस्सा मिलना चाहिए। दोनों को समान अधिकार हैं, अगर लड़की भी चाहे तो वह अपने माता-पिता की भूमि संपत्ति में आधा हिस्सा बन सकती है और समाज को भी इसकी आवश्यकता है। महिलाओं के नाम पर भी भूमि अधिग्रहण किया जाए, उन्हें भी भूमि का एक हिस्सा दिया जाए, यह भूमि स्वामित्व की बात है कि महिलाओं को हर जगह समाज द्वारा रोका जाता है। लड़कियों को बहुत कम लोगों द्वारा पढ़ाया जाता है जबकि लड़कों को अच्छे स्कूलों में पढ़ाया जाता है।