उत्तर प्रदेश द्वारा निकाली गई आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता के रूप में 23,753 पदों पर कार्य करने के लिए इच्छुक हैं। वैसी महिला उम्मीदवार इन पदों के लिए आवेदन कर सकती हैं, जिन्होंने बारहवीं पास किया हो और जिले या उस ग्रामसभा के स्थाई निवासी हो। आवेदनकर्ता की न्यूनतम आयु सीमा 21 वर्ष और अधिकतम आयु सीमा 35 वर्ष होनी चाहिए।इन पदों के लिए आवेदन शुल्क सभी उम्मीदवारों के लिए नि शुल्क रखा गया है। अधिक जानकारी के लिए आवेदनकर्ता यूपी आंगनबाड़ी की वेबसाइट upanganwadibharti.in पर जाकर पता कर सकते है।याद रखिये सभी जिलों में आंगनबाड़ी भर्ती के लिए आवेदन शुरू होने और इसकी अंतिम तिथियां अलग अलग हैं. इसलिए आवेदन करने से पहले अपने जिले का नोटिफिकेशन जरूर पढ़ें.

दोस्तों पांच दिन के इस विशेष सत्र में ऐसा बहुत कुछ हुआ जो संसदीय परंपरा और लोकतंत्र के हिसाब से बिल्कुल भी नहीं है और आभास देता है कि देश सरकारी एकाधिकार की तरफ बढ़ रहा है। ऐसा मानने के वाजिब कारण भी हैं, कारण यह हैं कि अगस्त महीने की आखिरी तारीख को जब घोषणा की गई सरकार पांच दिनों का विशेष सत्र आयोजित करेगी, तब इसका उद्देश्य नहीं बताया गया था, बहुत बाद में जब विपक्ष ने कई बार इसकी मांग की तब सरकार ने दबाव में आकर कहा कि कुछ जरूरी है काम हैं, जिन्हें पूरा किया जाना आवश्यक है, इसके साथ ही सरकार ने उन पांच विषयों की सूची जारी कि जिन पर संसद में काम होना था, लेकिन जब संसद बैठी तो दी गई जानकारी के अनुसार कोई काम नहीं हुआ और पांच दिन के सत्र के दो दिन पुरानी संसद से विदाई और नई संसद के शुभारंभ समारोह में निकल गए, उसके बाद का बचा समय महिला आरक्षण बिल को पेश करने और उसको पास कराने में निकल गया। उसके बाद बचा एक दिन के समय के लिए संसद को स्थगित कर दिया गया। -------दोस्तों आपको क्या लगता है नई संसद भवन के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति को न बुलाने का क्या कारण हो सकता है, कहीं यह राष्ट्रपति की भूमिका को कम करने का प्रयास तो नहीं? ----------या फिर संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को पार्टी का कार्यकर्ता मानना उस पद का अपमान तो नहीं। -----------या फिर सरकार द्वारा इस तरह से सूचनाओं को छिपाना और एजेंडे के विपरीत काम करना लोकतंत्र, संसद और उसकी प्रक्रियाओं को कमजोर करने का प्रयास तो नहीं। ------------जो भी हो आप इस मसले पर क्या सोचते हैं, सरकार द्वारा इस तरह का व्यवहार कितना उचित है, लोकतंत्र में हर नागरिक का बोलना जरूरी है, अपनी बात रखना जरूरी है।