मोहर्रम की दसवीं पर निकाला अलम का जुलूस:शिया समुदाय के बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों ने किया मातम मोहर्रम की दसवीं पर अलम का जुलूस हुसैनगंज हवेली एवं गोपालपुर इमामबाड़े से उठा। इससे पहले मजलिस को मौलाना ने खिताब फरमाया। बताया कि किस तरह से रसूले अकरम हजरत मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन को यजीद की फौज ने कर्बला में घेरकर आतंकवाद की पहली घटना को अंजाम दिया था। राष्ट्रीय शायर मिसम गोपालपुरी और आमिर असगर ने नोहाखवानी पेश किया। जहां हसन व हुसैन कि शहादत कि दांसता सुन कर आंखें नम हो गई। वहीं सभी समुदायों के लोगों ने सरकारी ताजिया में कंधा लगाया। ताजिया लेजाने के दौरान या हुसैन कि सदांए गुज रही थी।जुलूस अपने पुराने मुकामी रास्तों से निकला और दोपहर ने 2 बजे मातम करते हुए कर्बला मैदान पर पहुंचा। जहां गोपालपुर में शिया समुदाय के बच्चों युवाओं और बुजुर्गों ने छुरी, जंजीर व ब्लेड का मातम शुरू किया। मातम से पूरी सीवान सिसवन रोड खून से सराबोर हो गई। चारों तरफ या अली या हुसैन और या अब्बास की सदाएं बुलंद होने लगी।मातमी जुलूस अपने मुकामी रास्ते से होते हुए छोटे बड़े अमबाड़े से निकलते हुए गोपालपुर पूरानी बजार पहुंचा।यहां भी जोरदार मातम हुआ। इसके बाद मातम करने वालों के जख्मों की सफाई हुई।