मौलाना मजरूलहक के पोते अब्दुल्लाह फारूकी का अकीदत से मनाया गया चालीसवां। चादरपोशी, फातेयाखानी और इशाले शबाब के लिए मिलाद का हुआ आयोजन। हुसैनगंज प्रखंड के फरीदपुर स्थित आशियाना दरगाह के सज्जादानशीन रहे अब्दुल्लाह फारूकी का जश्न ए चेहल्लुम (चालीसवां) पूरे अदब और एहतराम के साथ सोमवार को मनाया गया। इस मौके पर मोकरीर और शायरों ने अपने कलाम पेश कर मौलाना की शख्सियत को बयां किया। साथ ही दीगर क्षेत्रों से आए उलमाओं ने तकरीर के जरिये अकीदत पेश की। जहां मौलाना मजरूलहक के पोते रहे अब्दुल्लाह फारूकी का निधन बीते जून के महीने में हो गया था। गैरतलब हो कि उनके नमाज़ ए जनाजा में सैकड़ों कि संख्या में लोग शामिल हुए थे। जहां सुबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने टि्वटर अकाउंट से टि्वट कर शोक व्यक्त किए थे। फिर एक एक करके मौलाना मजरूलहक के परिवार से वफात पाये सभी लोगों के कब्रों पर सामुहिक रूप से चालीसवां पर चादरपोशी कि गई।सोमवार को उनके इशाले शबाब को लेकर मिलाद शरीफ का भी प्रोग्राम हुआ। इसके पश्चात दिनभर क्षेत्र के सभी समुदायों के गरीब मज़लूम लोगों को दावते ए आम देकर खाना खिलाया गया। इसके अलावा कई मदरसों के बच्चों को भी खाना खिलाया गया। जबकि मदरसे से आये बच्चों ने उनके नाम पर कुरानख्वानी पढ़ा फिर मरहूम के मगफिरत के लिए सार्वजनिक रूप से सभी ने हाथ उठाकर दुआएं की। अब्दुल्लाह फारूकी के साहबजादे शदाब हुसैन ने बताया कि 19 जून को मेरे वालिद साहब भी इस फानी दुनिया को छोड़ कर कुच कर गये। जहां आशियाना का सरपरस्ती करने वाला सख्सीयत नहीं रहा।अब हम सब अपने प्रदादा के नक्शे कदम पर चल कर गांगा जमुनी तहजीब को निभाते हुए आगे बढ़ने कि बड़ी जिम्मेदारी है।इस दौरान लगातार पूरे दिन लंगर चलता रहा। अंत में मौलाना बदरे आलम ने मुल्क और अवाम की खुशहाली व कौमी एकता के लिए दुआ फरमाई।इस अवसर पर इलाके के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे थे।