किसवाही, परहेटा, गढ़ा, बैजेमऊ जैसे आधा दर्जन गांवों की हजारों की आबादी चंद्रावल नदी किनारे अंतिम छोर पर बसी हुई है। आजादी के 75 वर्ष गुजरने के बाद भी यहां के ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। गांव की शिक्षा की बात करें तो गांव के स्कूली बच्चों को पढ़ने के लिए रोज नदी पार करके मुंडेरा गांव जाना पड़ता है। आजकल नदी में पानी है तो पुरानी नावों पर बच्चे भरकर नदी पार करने को मजबूर हैं। हमेशा हादसे का डर बना रहता है।