इस कार्यक्रम में हम जलवायु परिवर्तन के कारण बदलते मौसम और असमान बारिश के पैटर्न से उत्पन्न हो रहे जल संकट पर चर्चा करेंगे। "मौसम की मार, पानी की तकरार" से लेकर "धरती प्यासी, आसमान बेपरवाह" जैसे गंभीर मुद्दों पर गहराई से विचार किया जाएगा। हम समझेंगे कि कैसे सूखा और बाढ़ दोनों ही हमारे जल संसाधनों को प्रभावित कर रहे हैं, और इन समस्याओं से निपटने के लिए सामूहिक और व्यक्तिगत स्तर पर क्या समाधान हो सकते हैं। हम आपसे जानना चाहते हैं – आपके इलाक़े में पानी की क्या स्थिति है? क्या आपने कोई जल संरक्षण के उपाय अपनाए हैं? या आप इस दिशा में कोई क़दम उठाने की सोच रहे हैं?

साथियों, आपके यहां पानी के प्रदूषण की जांच कैसे होती है? यानि क्या सरकार ने इसके लिए पंचायत या प्रखंड स्तर पर कोई व्यवस्था की है? अगर आपके क्षेत्र में पानी प्रदूषित है तो प्रशासन ने स्थानीय जनता के लिए क्या किया? जैसे पाइप लाइन बिछाना, पानी साफ करने के लिए दवाओं का वितरण या फिर पानी के टैंकर की सुविधा दी गई? अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो आप कैसे पीने के पानी की सफाई करते हैं? क्या पानी उबालकर पी रहे हैं या फिर उसे साफ करने का कोई और तरीका है? पानी प्रदूषित होने से आपको और परिवार को किस किस तरह की दिक्कतें आ रही हैं?

नगर की सड़कों पर दौड़ते वाहनों में सायरन,हूटर और प्रेशर हॉर्न की भरमार है। ऐसे में तेजी से हूटर,सायरन लगे वाहनों से लोग अचानक चौंककर हादसे का भी शिकार हो जाते हैं। अधिकांश लोग टशन के लिए अपने वाहनों में गलत तरीके से सायरन,हूटर और प्रेशर हॉर्न का इस्तेमाल कर रहे हैं।ऐसा नगर के हर क्षेत्र में हो रहा है। दूसरे शब्दों में कहें तो नगर की सड़कों पर दौड़ते वाहनों में लगे प्रेशर हॉर्न,हूटर और सायरन लोगों के लिए परेशानी बन गये हैं।

राजनौतिक दलों से जुड़े कुछ लोगों के लिए अपने वाहनों में सायरन हूटर लगाना स्टेटस सिंंबल बन गया है। इन तेज आवाजों से गली-मोहल्लों में रहने वाले लोग परेशान हैं।

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

पक्ष विपक्ष मे कड़ी संख्या की बात की जाएं तो उसमे एक दम सही बात कही है। हमको पर्यावरण को दूषित नही करना चाहिए। हमको चाहिए की हम लोग दीपावाली मे केवल रोशनी और मिठाई का यूज करना चाहिए। पटाखों का नही

Transcript Unavailable.

दीपावली में दीए जलाना अच्छा है। लेकिन पटाखे फोड़ना फिजूल खर्च है।