मनरेगा में भ्रष्टाचार किसी से छुपा हुआ नहीं है, जिसका खामियाजा सबसे ज्यादा दलित आदिवासी समुदाय के सरपंचों और प्रधानों को उठाना पड़ता है, क्योंकि पहले तो उन्हें गांव के दबंगो और ऊंची जाती के लोगों से लड़ना पड़ता है, किसी तरह उनसे पार पा भी जाएं तो फिर उन्हें प्रशासनिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इस मसले पर आप क्या सोचते हैं? क्या मनरेगा नागरिकों की इच्छाओं को पूरा करने में सक्षम हो पाएगी?

महुआ ब्लाक के कोलावल रायपुर गांव में विद्याधाम समिति के बैनर तले चिंगारी संगठन का दो दिवसीय ग्राम पुर्नरचना चिंतन शिविर में श्री डोगरा जी ने कहा कि सरकारी योजनाओं का ठीक से क्रियान्वयन हो पाना पलायन का मुख्य कारण बन रहा है। उन्होंने मनरेगा, आवास, शिक्षा एवं स्वास्थ्य योजनाओं का जिक्र करते हुए बताया कि हम दूसरों से योजनाओं का लाभ मांगते हैं। मांगने से भीख मिलती है अधिकार नहीं। नशा आज की पीढ़ी को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है। पुरुष ही नहीं बल्कि महिलाएं भी नशे की तल से अछूती नहीं हैं। इसे समाप्त किए बगैर किसी समाज या गांव का विकास संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि अपने गांवों में ‘नशा विरोधी समिति’ बनाकर नशा मुक्त बनाएं। दूसरे सत्र में ग्राम सह बैठक का आयोजन हुआ। इसमें महिलाओं के गांव वार गु्रप बनाकर समस्याओं को चिन्हित किया गया। वरिष्ठ समाजसेवी गोपाल भाई ने सामूहिक चर्चा करते हुए समस्याओं के समाधान बताए। उन्होंने कहा कि जाति व्यवस्था गांव विकास में सबसे बड़ा बाधक है। भेदभाव को खत्म करके एक साथ संगठन जुडे़ं और इसे मजबूत बनाएं। भारतीय स्टेट बैंक क्षेत्रीय प्रबंधक राजीव लोचन ने कहा कि बैंक गांव की पुर्नरचना में आधार भूमिका है। वित्तीय असमानता को समाप्त करके ग्रामीण विकास की ओर अग्रसर हुआ जा सकता है। इसके पूर्व मुख्य अतिथियों द्वारा वृक्ष पूजन किया गया। दीप प्रज्जवलन के साथ कार्यक्रम की शुरूआत हुई। समिति कार्यकर्ताओं और संगीत वादक लल्लूराम शुक्ल ने प्रेरक गीत से महिलाओं में जोश भरा। संचालन समिति मंत्री राजाभइया ने किया। कार्यक्रम में अवधेश द्विवेदी, योगेंद्र पांडेय, उत्कर्ष द्विवेदी (श्रमिक भारती), रामकरन यादव, ग्राम प्रधान राममनोहर यादव, मुबीना खान, अर्चना, शशि, कुबेर सिंह, शिवकुमार गर्ग, मुस्तफा अली, माया श्रीवास्तव, प्रिया, रीना, वालिंटियर मुबीन, सुनैना, जितेंद्र, सागर, ममता, उर्मिला, निर्मला सहित भुजियारी पुरवा, अतर्रा ग्रामीण, भज्जू पुरवा, बाबूपुर, नौगवां, गुढ़ा, कालिंजर, नींबी, बंजारा, मसुरी खेरवा, घसरौंट, राजाराम पुरवा की महिलाएं उपस्थित रहीं।

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