जैसे कि आज हम बात कर रहे हैं बेरोजगारी के लिए बेरोजगारी तो बढ़ती ही जा रही है गरीब आदमी किस तरीके से बेरोजगारी का बोझ उठा रहा है उससे ज्यादा कोई नहीं जानता अब आप मजदूरों को ही ले लीजिए पहले तो यह था की मजदूरी करके वह सुबह से लेकर शाम तक ₹300 कमा लेते थे और उनके घर में चूल्हा जल जाता था सुबह से शाम तक मेहनत करते थे तो रात में भरपेट खाना खाकर सोते थे अब इस सरकार द्वारा जो ठेकेदार हैं वह उनकी कमर तोड़ेंगे एक तो यह कड़ी मेहनत करवाते हैं उसके बाद जो इन मजदूर भाइयों का हक है वह इन्हें नहीं मिलता कि उनके घर में चूल्हा जल सके ठेकेदारों ने तो हाल ही कर दी है गरीब आदमी जिस तरीके से मेहनत करता है कीमत नहीं दी जाती उनका ही पेट काट के अपनी जेब भर रहे हैं यह ठेकेदार दूसरों का पेट मारना दूसरों का हक मानना यह कहां की समझदारी है कम से कम उसे इंसान को इतना दो कि उनके घर में चूल्हा जल सके उनके बीवी बाल बच्चे उनके परिवार स्कूल से दो टाइम का खाना खा सके लेकिन नहीं वह पहले अपनी जेब भरेंगे बाद में गरीब मजदूर के साथ मजदूर आदमी भाइयों को देखेंगे धन्यवाद बने रहिए हमारे साथ।