उत्तर प्रदेश राज्य के बहराइच जिला के हजूरपुर प्रखंड से विशाल सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से महेश यादव से साक्षात्कार लिया। महेश यादव ने बताया कि समाज में पहले भी ऐसी महिलाये हुई है, जिन्होंने समाज के साथ बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया है और पुरुषो के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर चली है , जैसे महारानी लक्ष्मीबाई और सावित्री बाई फुले।सबसे पहले मन से ये भ्रम निकाल देना चाहिए की बेटियां बाहर पढ़ने लिखने जाएंगी, तो लोग क्या कहेंगे ? जब तक महिला और पुरुष साथ मिलकर कार्य नहीं करेंगे , तब तक हमारे देश का विकास नहीं हो पाएगा। हमारी आदरणीय निर्मला सीतारमन जी, जो भारत की वित्त मंत्री हैं, वो भी कहीं न कहीं किसी परिवार से पढ़ाई करके ही आयी है , हमारे समक्ष। और बहुत से क्षेत्र में महिलाये आगे बढ़ रही है। तो बच्चे पढ़ेंगे तभी आगे बढ़ सकेंगे। ये जो सोच है कि लड़कियां बाहर क्यों पढ़ने जायेंगी, ये केवल गाँव स्तर तक ही सीमित है। शहर में ऐसा कुछ नहीं है। वहां लड़कियां कंधे से कन्धा मिलाकर चल रही है और पढ़ लिख रही है। पैतृक संपत्ति में लड़कियों का भी बराबर का अधिकार होना चाहिए, ये सही है। लेकिन यहाँ फिर ऊँगली उठ जा रही है। यहाँ दो बातें सामने आ रही है कि एक तरफ सरकार दहेज़ बंद करवाना चाह रही है और दूसरी तरफ महिलाओं को संपत्ति अधिकार देने की भी बात कर रही है। यहाँ अगर भाई बहन के हिस्सा बराबर बाँट दिया जाएगा तो, बहन के संपत्ति के लालच में भी लड़के उसी से शादी करना चाहेंगे। और जिसके पास नहीं होगा या कम भूमि होगा , उनसे शादी नहीं करना चाहेंगे। बाकि ये सही है कि बेटियाँ का भी पैतृक संपत्ति में बराबर का हिस्सा होना चाहिए