शहर में आवारा पशुओं की बढ़ती संख्या लोगों के लिए सिरदर्द और जान को खतरा बन रही है। मैन रोड ही नहीं बल्कि हर गली मोहल्ले में आवारा पशुओं का आतंक है। इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारियों ने आंखों पर पट्टी बांध रखी है। ऐसे में कभी किसी के साथ हादसा हुआ तो फिर जिम्मेदारों का जवाब देना भारी पड़ेगा। हालांकि जान की कोई कीमत नहीं होती है लेकिन हादसे पर मुआवजा राशि जिम्मेदार अधिकारियों की जेब से दिलाई जाए तो उनकी आंखें खुल सकती हैं। शहर में सबसे ज्यादा आवारा सांड, सूअर व कुत्ते हैं। इसके बाद गायों का नंबर आता है। शहर में कुछ लोगों ने गाय पाल रखी हैं, लेकिन अधिकांश लोग दूध निकालने के बाद गायों को डंडा मारकर सड़क पर इधर-उधर चारे के लिए मुंह मारने को छोड़ देते हैं। सड़क और सार्वजनिक स्थलों पर मंडराते आवारा पशु लोगों की जान के लिए खतरा बन गए हैं। सब्जी मंडी में सांडों का आतंक इस कदर है कि लोग सब्जी खरीदने के लिए आने से कतरा रहे हैं। इसी प्रकार गली मोहल्लों में भी आवारा पशुओं का जमावड़ा रहता है। आवारा पशु झुंड में रहते हैं जो किसी पर अटैक करें तो बचना मुश्किल है। दूसरी ओर कुत्तों का आंतक हर गली मोहल्ले में है। इधर लोगों का कहना है कि शहर में बढ़ते आवारा पशु लोगों की जान के लिए बड़ा खतरा है। आवारा पशुओं को पकड़कर गोशाला या जंगल में छोड़ने की ड्यूटी नगर परिषद की है लेकिन नगर परिषद की लापरवाही से शहर में आवारा जानवर दिन पे दिन बढ़ रहे हैं।