दोस्तों, सरकारी स्कूलों की बदहाली किससे छुपी है? इसी कारण देश की पूरी शिक्षा व्यवस्था, प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा तक, पूरी तरह से बाजारवाद में जकड़ गई है। उच्च व मध्यम वर्ग के बच्चे तो प्राइवेट स्कूलों में अपने भविष्य का निर्माण करते हैं। नेताओं और नौकरशाह की बात तो दूर अधिकांश विद्यालय में कार्यरत शिक्षक के बच्चे भी सुविधा संपन्न प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई करते हैं भला ऐसे में सरकारी विद्यालयों की दुर्दशा की चिंता किसे होगी? देश के छोटे से छोटे विकास खंड में सरकारी स्कूलों में करोड़ों खर्चे जाते हैं फिर भी उनका स्तर नहीं सुधरता। -------------तो दोस्तों, आप हमें बताइए कि आपके गांव या जिला के स्कूलों की स्थिति क्या है ? -------------वहां पर आपके बच्चों को या अन्य बच्चों को किस तरह की शिक्षा मिल रही है ? -------------और आपके गाँव के स्कूलों में स्कुल के भवन , बच्चों की पढ़ाई और शिक्षक और शिक्षिका की स्थिति क्या है ? दोस्तों इस मुद्दे पर अपनी बात को जरूर रिकॉर्ड करें अपने फ़ोन में नंबर 3 का बटन दबाकर या मोबाइल वाणी एप्प में ऐड का बटन दबाकर।
Transcript Unavailable.
कोई भी जागरूक नागरिक यह जानता है कि लोकतंत्र में वोट की क्या कीमत है. वोट का अधिकार ही वह बुनियादी अधिकार है, जो लोकतंत्र में हमारी हिस्सेदारी और हमारे नागरिक अधिकारों को सुनिश्चित करता है। दुनिया भर की महिलाओं को यह अधिकार लंबी लड़ाई के बाद हासिल हुआ है।
Transcript Unavailable.
ग्राम वाणी की इंटरव्यू सीरीज "क्या हाल विधायक जी, में आज हमारे साथ हैं नरसिंहपुर जिले के गाडरवारा विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 121 से विधायक श्रीमती सुनीता पटेलl श्रीमती सुनीता पटेल पिछले पांच वर्षों से गाडरवारा से कांग्रेस का प्रतिनिधित्व कर रही हैंl
Transcript Unavailable.
गांधी जयंति के ठीक एक दिन बाद घटे एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में सरकारी जांच एजेंसी ईड़ी ने देश के एक प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान ‘न्यूजक्लिक’ पर कार्रवाई करते हुए संस्थान से जुड़े कई लोगों के घरों में छापेमारी की, इस छापेमारी के बाद न्यूजक्लिक के प्रमोटर और उनके सीए को गिरफ्तार कर लिया गया, इसके अलावा संस्थान के कई लोगों को पूछताछ के लिए भी बुलाया गया। दो गिरफ्तारियों और तमाम लोगों से पूछताछ के अलावा करीब पचास लोगों के लैपटॉप और फोन जब्त कर लिये। ऐसा मान भी लिया जाए कि न्यूजक्लिक ने ऐसा किया है तो फिर सरकार को भी तो चीन के साथ अपने संबंधों को खत्म कर देना चाहिए, क्योंकि चीन सीमा से लेकर भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करता ही रहता है, रही बात केवल फंड प्राप्त करने की तो सरकार ने कोविड के दौरान बनाए गये पीएम केयर फंड में चीन की तमाम कंपनियों से फंड प्राप्त किया। पीएम केयर में फंड देने के बाद वे सभी कंपनिया भारत में व्यापार कर रही हैं। और उनमें से ज्यादातर कंपनिया लगातार अपने व्यापार में बढ़ोत्तरी कर रही है? ऐसे में क्या सरकार को भी चीन समर्थक माना जाएगा? अगर हां तो फिर सरकार को भी इस्तीफा दे देना चाहिए, और जांच एजेंसियों को पीएम केयरफंड के नाम पर पैसा पाने वाले लोगों की भी जांच करनी चाहिए? इस मुद्दे के पक्ष या विपक्ष में अपनी राय जरूर रिकॉर्ड करें .
चुनाव आयोग ने सोमवार को मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान सहित सभी पांच राज्यों में चुनाव की घोषणा कर दी है। इसके साथ ही आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। मध्य प्रदेश में 17 नवंबर, राजस्थान में 23 नवंबर , छत्तीसगढ़ में 7 और 17 नवंबर तथा तेलंगाना 30 नवंबर, मिज़ोरम में 7 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। इन सभी राज्यों के नतीजे एक साथ 3 दिसंबर को जारी किए जाएंगे। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि, 17 अक्टूबर से 30 नवंबर तक पूरे देश में किसी को भी वोटर लिस्ट से संबंधित कोई भी बदलाव, विलोपन और संशोधन करा सकते हैं।पांच राज्यों में चुनाव के बाद आचार संहिता लागू है अब यहां मतदाताओं को प्रभावित करने वाला कोई भी कार्यक्रम या आदेश नहीं किया जा सकता। सरकार की ओर से होने वाली नई घोषणाएं भी अब यहां प्रतिबंधित हैं। चुनाव आयोग ने आचार संहिता का सख्ती से पालन करने के लिए कहा है। पांचों राज्यों में कुल 679 सीटों पर 16.14 करोड़ वोटर हैं। इन राज्यों में चुनाव हो रहे हैं उनमें मध्यप्रदेश सबसे बड़ा है जहां 5.6 करोड़ वोटर और 230 विधा सीटें हैं। इसके अलावा राजस्थान में 200 सीटें और 5.25 करोड़ वोटर हैं। वहीं कम आबादी वाले राज्यों में तेलंगाना में 3.20 करोड़ वोटर तथा 119 सीटें तथा छत्तीसगढ़ जहां 2.20 करोड़ वोटर हैं और यहां 90 सीटें हैं। वहीं सबसे छोटा राज्य मिजोरम है जहां 8.52 लाख वोटर 40 विधानसभा सीटों पर अपना मतदान करेंगे।
समाज में बढ़ते आधुनिकतावाद में आस्था व अंघविश्वास से जुड़े विषय भी फैशन का जगह ले लेते है। पैर में काला धागा बांधने का समाज में फैशन सा चल पड़ा है। माना जाता है कि पैरों में काला धागा पहनने से बुरी नजर नहीं लगती है। इस के साथ नकारात्मक उर्जा कोसों दूर रहती है, जिस से स्वास्थ्य और तरक्की पर बुरा असर नहीं पड़ता है। काला धागा पांव में बांधने के वर्तमान में चाहे जो भी कारण हो लेकिन यह हमारी अंधविश्वासी सोच व मानसिकता गुलामी को दर्शाता है। आज भले शुद्रों को अपनी पहचान के लिए काला धागा नहीं बांधना पड़ रहा हो लेकिन ज्यादातर लोग बुरी आत्मा, बुरी शक्तियों से बचने अपने पांव में काला धागा बांध रहे है। 21 वी सदी के वैज्ञानिक युग में भी हम पुरानी दकियानुसी, गुलामी या जातियों के श्रेणी में अछुत होने की पहचान रखने का काला धागा अपने पांव में बांध रहे है।
"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ श्री कपिल देव शर्मा मटर की फसल को उगाने और उसकी देखभाल करने के बारे में जानकारी दे रहे है । अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें.