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सरकारी संस्था आईसीएमआर के डाटाबेस में सेंध लगाकर चुराया गया 81 करोड़ लोगों का डाटा इंटरनेट पर बिक्री के लिए उपलब्ध है। लीक हुए डाटा में लोगों के आधार कार्ड से जुड़ी जानकारी, पासपोर्ट, नाम, फ़ोन नंबर, पते सहित तमाम निजी जानकारियां शामिल हैं। यह सभी जानकारी इंटरनेट पर महज कुछ लाख रुपये में ऑनलाइन बिक्री के लिए उपलब्ध है। इसे डाटा लीक के इतिहास का सबसे बड़ा डाटा लीक कहा जा रहा है, जिससे भारत की करीब 60 प्रतिशत आबादी प्रभावित होगी।

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साइबर ठगी से बचने के लिए डायल करे 1930

मेवात में बढ़ी सेक्सटार्शन और ऑनलाइन ठगी की वारदातें, गांव में बैठकर देशभर में देते हैं वारदातों को अंजाम राजस्थान के मेवात क्षेत्र में अब सेक्सटार्शन और ऑनलाइन ठगी की वारदात बढ़ने लगी है। प्रदेश में भरतपुर व अलवर जिलों के मेवात इलाके में लगभग प्रत्येक घर के पुरूष सदस्य सेक्सटार्शन और आनलाइन जैसी अवैध गतिविधियों में शामिल है। जयपुर, राज्य ब्यूरो। वाहन चोरी के लिए देशभर में कुख्यात रहे राजस्थान के मेवात क्षेत्र में अब सेक्सटार्शन (वेकबैम, मोबाइल पर वीडियो काल के जरिए किसी की अश्लील गतिविधियों एवं निर्वस्त्र करना) और आनलाइन ठगी की वारदात बढ़ने लगी है। प्रदेश में भरतपुर व अलवर जिलों के मेवात इलाके में लगभग प्रत्येक घर के पुरूष सदस्य सेक्सटार्शन और आनलाइन जैसी अवैध गतिविधियों में शामिल है। ऐसे मामलों में पुलिस ने जनवरी से लेकर अब तक 750 लोगों को गिरफ्तार किया है। वहीं नौ महीनों में 70 हजार मोबाइल फोन और 59 हजार सिम कार्ड बरामद की है। ये सभी सिमकार्ड पश्चिम बंगाल,असम,उड़ीसा,बिहार,कर्नाटक और मिजरोरम से खरीदे गई हैं। सिम कार्ड उन्ही राज्यों लोगों के दस्तावेजों के आधार पर खरीदे गए हैं। दोनों जिलों में करीब 65 हजार मोबाइल कनेक्शन बंद किए गए हैं। भरतपुर जिला पुलिस अधीक्षक श्याम सिंह ने बताया कि दूर संचार विभाग को पत्र लिखकर पांच राज्यों के मोबाइल की मेवात इलाके में रोमिंग बंद करने के लिए कहा है । साथ ही इन राज्यों में फर्जी दस्तावेजों से सिम खरीदने पर भी लगाम लगाई जाए । इन राज्यों की पुलिस से भी संपर्क किया गया है। उन्होंने बताया कि अब तक पकड़े गए अधिकांश बदमाशों के पास इन पांच राज्यों के सिमकार्ड बरामद हुए हैं। मेवात इलाके के 130 मोबाइल टावरों से जुड़े फोन कनेक्शनों पर अब पहले से अधिक नजर रखी जा रही है। उन्होंने बताया कि मेवात के आठ पुलिस थाना क्षेत्रों में चार-चार विशेष टीम गठित की गई हैं, जो सेक्सटार्शन और आनलाइन ठगी की वारदात रोकने का काम करेगी। निरंतर अभियान चलाकर बदमाशों को पकड़ा जाएगा। पुलिस इस बात की भी जांच कर रही है कि कहीं इन लोगों की मोबाइल कंपनियों के कर्मचारियों से तो मिलीभगत नहीं है। सेक्सटार्शन और आनलाइन के माध्यम से ठगी करने वाले अधिकांश लोग अनपढ़ हैं। आनलाइन ठगी पर जोर अलवर पुलिस अधीक्षक तेजस्विनी गौतम ने बताया कि दो तरह की ठगी की घटनाएं ज्यादा हो रही है। एक ठगी सेस्क्सटार्शन के नाम पर हो रही है। इसमें लड़की की फोटो की मदद से इंटरनेट मीडिया पर फर्जी अकांउट बनाया जाता है। उसके बाद उस अकाउंट से लोगों से बातचीत प्रारंभ होती है। वीडियो कालिंग भी होती है। उसके बाद रिकार्डिंग इंटरनेट मीडिया पर वायरल करने की धमकी देकर पैसा वसूलते हैं। दूसरी ठगी आनलाइन गेमिंग शो एवं फ्री पास उपलब्ध करवाने एवं खरीददारी में छूट देने के नाम पर होती है। अलवर पुलिस ने आनलाइन ठगी करने वाले 193 लोगों को गिरफ्तार किया है। बुर्जुग खेती और युवक ठगी करते हैं भरतपुर जिले के जूरहरा, कांमा, डीग एवं नगर तहसीलों के करीब चार सौ गांवों में मेव समाज के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं। इन गांवों में बुजुर्ग और महिलाएं तो खेती करते हैं। वहीं जवान सेक्सटार्शन एवं आन लाइन ठगी की वारदात में में जुटे हैं। युवक गांवों में पेड़ों के नीचे और कच्चे घरों में बैठकर लोगों को अपने जाल में फंसाकर पैसे एंठने के काम में जुटे रहते हैं। लगभग सभी युवकों के पास दो से तीन सिम कार्ड है । इनमें से एक भी उनके स्वयं के नाम से नहीं है। पुलिस के अनुसार ये युवक पहले तो इंटरनेट मीडिया पर लोगों से दोस्ती करते हैं और फिर उन्हे निर्वस्त्र होकर वीडियो काल करने के लिए तैयार करते हैं। ये स्वंय महिला की आवाज में बात करते हैं और सामने वाले व्यक्ति का वीडियो काल के दौरान वीडियो बन लेते हैं। खुद का चेहरा सामने वाले व्यक्ति को नहीं दिखाते हैं। इसके बाद उस व्यक्ति को वीडियो भेजकर पैसों की मांग करते हैं, नहीं देने पर वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल करने की धमकी देते हैं। पुलिस के अनुसार कई राज्यों की पुलिस स्थानीय पुलिस के सहयोग से मेवात इलाकों में दबीश दे चुकी है। आनलाइन ठगी की वारदात में ठग खुद को किसी बैंक, वित्तीय, मोबाइल अथवा बीमा कंपनी का प्रतिनिधि बनकर लोगों को फोन करते हैं। बातचीत में लोगों से उनके बैंक के खाता नंबर अथवा एटीएम के पिन नंबर पूछते हैं और फिर आनलाइन पैसे निकाल लेते हैं।

हरियाणा का मेवात रीजन साइबर क्राइम के लिए कुख्यात है. आए दिन यहां से साइबर अपराधियों को पकड़ा जाता है. पिछले एक साल में 300 करोड़ से ज्यादा की धोखाधड़ी की गई है. हरियाणा के मेवात रीजन में 1 साल के भीतर 5 लाख सिम कार्ड किए गए ब्‍लॉक, Haryana Cyber Crime: हरियाणा पुलिस की साइबर क्राइम यूनिट लगातार अपराधियों पर नकेल कसने का काम कर रही है. पिछले साल यानी 2022 में साइबर क्राइम के लिए मेवात क्षेत्र में उपयोग किए जा रहे लगभग 5 लाख सिम कार्डों को ब्लॉक किया गया है. ये सिम कार्ड लगभग 40 गांवों में उपयोग में थे. इसी के साथ पुलिस ने साइबर धोखाधड़ी में शामिल कम से कम 402 कथित अपराधियों की पहचान की है. जानकारी के मुताबिक, पुलिस 1 जनवरी, 2022 से 31 दिसंबर, 2022 के बीच की गई 66,784 शिकायतों पर कार्रवाई कर रही थी. अकेले मेवात क्षेत्र में करीब 301 करोड़ रुपये की साइबर धोखाधड़ी को अंजाम दिया गया था. हरियाणा का मेवात साइबर अपराध का केंद्र होने के लिए कुख्यात है. साइबर सेल ने अभी तक 2,165 मामले दर्ज किए हैं, 1,065 लोगों को गिरफ्तार किया है और 46.91 करोड़ रुपये की वसूली की है.अधिकारियों ने कहा कि फर्जी सिम कार्ड की पहचान दूरसंचार विभाग (DoT) के एक टूल, टेलीकॉम सिम सब्सक्राइबर वेरिफिकेशन (ASTR) के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और फेशियल रिकॉग्निशन पावर्ड सॉल्यूशन की मदद से की गई थी. एक वरिष्ठ अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, "हमने दूसरे राज्यों से जारी किए गए 4,96,562 मोबाइल नंबरों की पहचान करने के लिए मेवात में सेल टावर डंप विश्लेषण का इस्तेमाल किया. हमने 15,672 और नंबरों की पहचान की है और 1,959 को ब्लॉक किया है. 11 सुओ मोटो मामले दर्ज किए गए हैं. अधिकारी ने कहा कि उन्होंने एक ही इंटरनेशनल मोबाइल इक्विपमेंट आइडेंटिटी (IMEI) नंबर के कई उपयोगों का भी खुलासा किया. उन्होंने कहा, "धोखेबाज कॉल करने के लिए बस एक सिम कार्ड का उपयोग कर रहे थे, फिर फोन को स्विच ऑफ कर रहे थे, उस सिम को हटा रहे थे, अगली कॉल करने के लिए उसी फोन में एक नया सिम लगा रहे थे."एक पहचान पत्र पर कई दर्जन सिम कार्ड वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि एक पहचान पत्र पर अधिकतम छह सिम कार्ड जारी किए जा सकते हैं, जबकि कई मामलों में एक दर्जन से अधिक कार्ड खरीदे जा चुके हैं. अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (राज्य अपराध शाखा) ओपी सिंह ने कहा कि मोबाइल नेटवर्क ऑपरेटरों को सिम कार्ड खरीदने के लिए जमा किए गए दस्तावेजों के सत्यापन के लिए निर्देश जारी किए गए हैं.कैसा काम करता है साइबर क्राइम का पूरा नेटवर्क? वरिष्ठ अधिकारी ने अपराध के मॉडस ऑपरेंडी के बारे में कहा, "एक व्यक्ति फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करके सिम कार्ड की व्यवस्था करता है, दूसरा बैंक खातों और भुगतान आवेदनों को इन सिम कार्डों से जोड़ता है, तीसरा संभावित लक्ष्यों को कॉल करने और ठगने के लिए दूसरे सिम कार्ड का उपयोग करता है, जबकि चौथा पैसा निकालता है. अपराधी गिरफ्तारी से बचने के लिए ज्यादातर दूर रहने वाले लोगों को अपना निशाना बनाते हैं."MHA ने जताई चिंता वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने मेवात में साइबर अपराध पर चिंता जताई है. 6 फरवरी को गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के साथ एक बैठक में अपराध शाखा के साइबर सेल ने प्रस्ताव दिया था कि "तत्काल गिरफ्तारी के लिए जांच के अधिकार क्षेत्र को पीड़ित के राज्य से आरोपी के राज्य में स्थानांतरित किया जाना चाहिए."ओपी सिंह ने कहा, "उदाहरण के लिए हरियाणा में एक अपराधी केरल के निवासी से 40,000 रुपये की ठगी करता है. नियमानुसार केरल में मामला दर्ज किया जाएगा. केरल पुलिस आरोपियों का पता लगाने के लिए हरियाणा में जांच शुरू करेगी. इसके बाद वे जालसाज के ठिकाने की पहचान करने और गिरफ्तारी करने के लिए हरियाणा आएंगे. इस प्रक्रिया में समय और पैसा लगता है. शिकायतकर्ता भी कई बार पीछे हट जाते हैं. ऐसे में अगर जांच क्षेत्राधिकार अपराधी के राज्य में स्थानांतरित कर दिया जाता है तो निकटतम पुलिस स्टेशन आरोपी को आसानी से पकड़ सकता है. इसके बाद केरल पुलिस को अपराधी को पकड़ने के लिए सूचित किया जाएगा."

हर उम्र और हर तबके के लोग गिरोह से जुड़े साइबर ठगी करने वाले लगातार नए-नए पैंतरे अपना रहे हैं। इस तरह के गिरोह से हर उम्र और तबके के लोग जुड़े हैं, जिनका इस्तेमाल उनकी काबिलियत और दायरे के हिसाब से किया जा रहा है। अधिकांश वीडियो कॉल में फर्जी दस्तावेजों का सिमकार्ड ही इस्तेमाल होता है। एक बार इस्तेमाल फोन को कई दिन बंद रखा जाता है ताकि आरोपियों तक पुलिस न पहुंच सके। ये दूसरे राज्यों के लोगों के नाम फर्जी सिम कार्ड लाते हैं, मगर वीडियो कॉल से ब्लैकमेल अपने इलाके में ही करते हैं। इससे साइबर पुलिस के रडार पर भी ये इलाके अब आ चुके हैं। अधिकारी के अनुसार साइबर ठगी में भरतपुर का सीमांत या फिर मेवात का क्षेत्र ज्यादा सक्रिय हो गया है। यहां पर छोटे-छोटे गिरोह बन रहे हैं जो वीडियो कॉल के जरिए अश्लील क्लिप तैयार कर लोगों को ब्लैकमेल कर पैसे ऐंठने का काम करते हैं। सांसद धर्मबीर सिंह को वीडियो कॉल मामले में पकड़े गए आरोपियों से पता चला कि 17 राज्यों के 250 लोगों से वीडियो कॉल कर ठगी की कोशिश की गई, मगर किसी ने शिकायत पुलिस को नहीं दी। ज्यादातर मामलों में लोग लोकलाज के डर से शिकायत नहीं कर रहे हैं, ऐसा कतई न करें। प्रारंभिक तो अज्ञात वीडियो कॉल उठाने से बचें, अगर ठगी का ऐसा प्रयास किसी के साथ होता है तो वो पुलिस में अपनी शिकायत अवश्य दर्ज कराएं। -वरुण सिंगला, पुलिस अधीक्षक, भिवानी।

हरियाणा: मेवात बना साइबर ठगी का नया हब; पुलिस बनकर डरा धमकाने में माहिर हैं शातिर, हर उम्र के लोग शामिल साइबर ठगी के क्षेत्र में मेवात अब नया हब बन गया है। चार बड़े शहरों और इनके आसपास गांवों में साइबर ठगी के छोटे-छोटे गिरोह तैयार हो रहे हैं, जो लोगों के पास वीडियो कॉल कर अश्लील क्लिप बनाकर उन्हें ब्लैकमेल करने का गैरकानूनी धंधा चला रहे हैं। गूगल से फोन नंबरों को उठाकर ट्रूकॉलर एप पर इनमें ईमेल आईडी चेक की जाती है। ... फिर होती थी फोटो की अश्लील मिक्सिंग इसके बाद ईमेल आईडी के पासवर्ड के तौर पर मोबाइल नंबर या फिर नाम के कुछ अक्षरों के जरिये उसके पासवर्ड तक भी पहुंच जाते हैं और फिर ईमेल में सेंधमारी कर निजी फोटो और डाटा उठाकर उसकी अश्लील वीडियो के साथ मिक्सिंग बनाकर फिर ब्लैकमेलिंग का खेल शुरू कर देते हैं। शातिर ठग पैसे ऐंठने के लिए यूट्यूबर और पुलिस बनकर भी डराने धमकाने में माहिर हैं। ज्यादातर लोग तो बदनामी के डर से पुलिस तक शिकायत लेकर भी नहीं पहुंच रहे हैं।

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