हरियाणा का मेवात रीजन साइबर क्राइम के लिए कुख्यात है. आए दिन यहां से साइबर अपराधियों को पकड़ा जाता है. पिछले एक साल में 300 करोड़ से ज्यादा की धोखाधड़ी की गई है. हरियाणा के मेवात रीजन में 1 साल के भीतर 5 लाख सिम कार्ड किए गए ब्लॉक, Haryana Cyber Crime: हरियाणा पुलिस की साइबर क्राइम यूनिट लगातार अपराधियों पर नकेल कसने का काम कर रही है. पिछले साल यानी 2022 में साइबर क्राइम के लिए मेवात क्षेत्र में उपयोग किए जा रहे लगभग 5 लाख सिम कार्डों को ब्लॉक किया गया है. ये सिम कार्ड लगभग 40 गांवों में उपयोग में थे. इसी के साथ पुलिस ने साइबर धोखाधड़ी में शामिल कम से कम 402 कथित अपराधियों की पहचान की है. जानकारी के मुताबिक, पुलिस 1 जनवरी, 2022 से 31 दिसंबर, 2022 के बीच की गई 66,784 शिकायतों पर कार्रवाई कर रही थी. अकेले मेवात क्षेत्र में करीब 301 करोड़ रुपये की साइबर धोखाधड़ी को अंजाम दिया गया था. हरियाणा का मेवात साइबर अपराध का केंद्र होने के लिए कुख्यात है. साइबर सेल ने अभी तक 2,165 मामले दर्ज किए हैं, 1,065 लोगों को गिरफ्तार किया है और 46.91 करोड़ रुपये की वसूली की है.अधिकारियों ने कहा कि फर्जी सिम कार्ड की पहचान दूरसंचार विभाग (DoT) के एक टूल, टेलीकॉम सिम सब्सक्राइबर वेरिफिकेशन (ASTR) के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और फेशियल रिकॉग्निशन पावर्ड सॉल्यूशन की मदद से की गई थी. एक वरिष्ठ अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, "हमने दूसरे राज्यों से जारी किए गए 4,96,562 मोबाइल नंबरों की पहचान करने के लिए मेवात में सेल टावर डंप विश्लेषण का इस्तेमाल किया. हमने 15,672 और नंबरों की पहचान की है और 1,959 को ब्लॉक किया है. 11 सुओ मोटो मामले दर्ज किए गए हैं. अधिकारी ने कहा कि उन्होंने एक ही इंटरनेशनल मोबाइल इक्विपमेंट आइडेंटिटी (IMEI) नंबर के कई उपयोगों का भी खुलासा किया. उन्होंने कहा, "धोखेबाज कॉल करने के लिए बस एक सिम कार्ड का उपयोग कर रहे थे, फिर फोन को स्विच ऑफ कर रहे थे, उस सिम को हटा रहे थे, अगली कॉल करने के लिए उसी फोन में एक नया सिम लगा रहे थे."एक पहचान पत्र पर कई दर्जन सिम कार्ड वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि एक पहचान पत्र पर अधिकतम छह सिम कार्ड जारी किए जा सकते हैं, जबकि कई मामलों में एक दर्जन से अधिक कार्ड खरीदे जा चुके हैं. अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (राज्य अपराध शाखा) ओपी सिंह ने कहा कि मोबाइल नेटवर्क ऑपरेटरों को सिम कार्ड खरीदने के लिए जमा किए गए दस्तावेजों के सत्यापन के लिए निर्देश जारी किए गए हैं.कैसा काम करता है साइबर क्राइम का पूरा नेटवर्क? वरिष्ठ अधिकारी ने अपराध के मॉडस ऑपरेंडी के बारे में कहा, "एक व्यक्ति फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करके सिम कार्ड की व्यवस्था करता है, दूसरा बैंक खातों और भुगतान आवेदनों को इन सिम कार्डों से जोड़ता है, तीसरा संभावित लक्ष्यों को कॉल करने और ठगने के लिए दूसरे सिम कार्ड का उपयोग करता है, जबकि चौथा पैसा निकालता है. अपराधी गिरफ्तारी से बचने के लिए ज्यादातर दूर रहने वाले लोगों को अपना निशाना बनाते हैं."MHA ने जताई चिंता वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने मेवात में साइबर अपराध पर चिंता जताई है. 6 फरवरी को गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के साथ एक बैठक में अपराध शाखा के साइबर सेल ने प्रस्ताव दिया था कि "तत्काल गिरफ्तारी के लिए जांच के अधिकार क्षेत्र को पीड़ित के राज्य से आरोपी के राज्य में स्थानांतरित किया जाना चाहिए."ओपी सिंह ने कहा, "उदाहरण के लिए हरियाणा में एक अपराधी केरल के निवासी से 40,000 रुपये की ठगी करता है. नियमानुसार केरल में मामला दर्ज किया जाएगा. केरल पुलिस आरोपियों का पता लगाने के लिए हरियाणा में जांच शुरू करेगी. इसके बाद वे जालसाज के ठिकाने की पहचान करने और गिरफ्तारी करने के लिए हरियाणा आएंगे. इस प्रक्रिया में समय और पैसा लगता है. शिकायतकर्ता भी कई बार पीछे हट जाते हैं. ऐसे में अगर जांच क्षेत्राधिकार अपराधी के राज्य में स्थानांतरित कर दिया जाता है तो निकटतम पुलिस स्टेशन आरोपी को आसानी से पकड़ सकता है. इसके बाद केरल पुलिस को अपराधी को पकड़ने के लिए सूचित किया जाएगा."