कम मजदूरी के कारण निकट भविष्य में विश्व प्रसिद्ध कानी पश्मीना शॉल बुनने वाले कारीगरों का अभाव हो सकता है, क्योंकि कई कारीगर अपने बच्चों को शिल्प की इस विधा को अपनाने नहीं देने का निर्णय कर रहे हैं।कश्मीरी ऊन से बनी कानी शॉल को स्थानीय रूप से पश्मीना शॉल के रूप में जाना जाता है।ज़्यादा जानने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें