समाज कि लड़ाई लड़ने वाले लोगों के आदर्श कितने खोखले और सतही हैं, कि जिसे बनाने में उनकी सालों की मेहनत लगी होती है, उसे यह लोग छोटे से फाएदे के लिए कैसे खत्म करते हैं। हालांकि यह पहली बार नहीं है जब कोई प्रभावशाली व्यक्ति ने इस तरह काम किया हो, नेताओं द्वारा तो अक्सर ही यह किया जाता रहा है। हरियाणा के ऐसे ही एक नेता के लिए ‘आया राम गया राम का’ जुमला तक बन चुका है। दोस्तों आप इस मसले पर क्या सोचते हैं? आपको क्या लगता है कि हमें अपने हक की लड़ाई कैसे लड़नी चाहिए, क्या इसके लिए किसी की जरूरत है जो रास्ता दिखाने का काम करे? आप इस तरह की घटनाओं को किस तरह से देखते हैं, इस मसले पर आप क्या सोचते हैं?
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सरकार हर बार लड़कियों को शिक्षा में प्रोत्साहित करने के लिए अलग-अलग योजनाएं लाती है, लेकिन सच्चाई यही है कि इन योजनाओं से बड़ी संख्या में लड़कियां दूर रह जाती हैं। कई बार लड़कियाँ इस प्रोत्साहन से स्कूल की दहलीज़ तक तो पहुंच जाती है लेकिन पढ़ाई पूरी कर पाना उनके लिए किसी जंग से कम नहीं होती क्योंकि लड़कियों को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने और पढ़ाई करने के लिए खुद अपनी ज़िम्मेदारी लेनी पड़ती है। लड़कियों के सपनों के बीच बहुत सारी मुश्किलें है जो सामाजिक- सांस्कृतिक ,आर्थिक एवं अन्य कारकों से बहुत गहरे से जुड़ा हुआ हैं . लेकिन जब हम गाँव की लड़कियों और साथ ही, जब जातिगत विश्लेषण करेंगें तो ग्रामीण क्षेत्रों की दलित-मज़दूर परिवारों से आने वाली लड़कियों की भागीदारी न के बराबर पाएंगे। तब तक आप हमें बताइए कि * -------आपके गाँव में या समाज में लड़कियों की शिक्षा की स्थिति क्या है ? * -------क्या सच में हमारे देश की लड़कियाँ पढ़ाई के मामले में आजाद है या अभी भी आजादी लेने की होड़ बाकी है ? * -------साथ ही लड़कियाँ को आगे पढ़ाने और उन्हें बढ़ाने को लेकर हमे किस तरह के प्रयास करने की ज़रूरत है ?
sariya ek dalit mahila ko niwastra kar ped se bandh
नदी की पानी पीने को विवश है बिरहोर परिवार :- आदिम जनजाति परिवार के जीवन शैली में बदलाव और इनके जीवन शैली मे बदलाव को लेकर सरकार तरह-तरह के दावे करती हैं, लेकिन हकीकत में होता कुछ और है, सरिया प्रखंड के अमनारी पंचायत में रह रहे बिरहोर परिवारों के बीच इस बारिश में रहने के छत नहीं है मीना देवी बताती है कुछ वर्ष पहले हम लोगों को घर मिला था लेकिन उसका छत अब जर्जर हो चुका है और पानी पूरे घर में जमा रहता है, एक कमरे का मकान जिसमें हम लोग भी रहते हैं बेटी बहू भी रहती हैं जिसके कारण हम लोगों को रहने बहुत सारी समस्याएं होती है, सरकार के द्वारा संचालित योजनाओं के बारे में पूछने पर बताती हैं कि इस मोहल्ले में कुल 35 बिरहोर परिवार रहते हैं लेकिन सिर्फ अच्छा परिवार को छोड़कर किसी को भी उज्जवला योजना का लाभ नहीं मिला, पीने के पानी की समस्या है हमारे मोहल्ले में जल मीनार लगी हुई लेकिन वह वर्षो से खराब पड़ी है जिसे कर मजबूरन हम सब परिवारों को नदी का पानी पीना पड़ रहा है, हमारे बच्चे बीमार हो रहे हैं लेकिन किसी भी प्रकार की कोई सरकारी सहायता भी हम लोगों को नहीं मिल रही। बारिश के दिनों मे रहने मे हो रही परेशानी :- बरसात की मौसम शुरू होते ही इन परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पडती है, मीणा देवी बताती हैं की हमारे परिवार हम दो लोग, मेरा बेटा मेरी बहु सबों को एक साथ एक छोटे से कमरे मे सोने के विवश होना पड़ता है, छत का एलबेस्टर कई जगहों से जंग लगने की वजह छेद हो गया, पूरा पानी पानी मे डूब जाता है, हमारी सरकार से मांग है की हमें भी सरकारी योजनाओं का लाभ मिले। वर्षों से ख़राब है जलमिनार :- बिरहोर परिवार को अच्छी और स्वच्छ पानी मिलने के उद्देश्य एक जल मीनार का निर्माण करवाया गया था, लेकिन संवेदक की मनमानी से जल मीनार के निर्माण कार्य में गुणवत्ता ख्याल में रखा गया जिसका परिणाम यह है कि कुछ जिन लोगों को पानी मिला उसके बाद से ही जलना का मोटर खराब होने के कारण पानी मिलना बंद हो गया है, ग्रामीणों ने कहा कि हमने इसकी शिकायत बार बार उच्चाधिकारियों से किया लेकिन आज तक जलमिनार नहीं बना और हम सबों का परिवार नदी का पानी पीने को विवश है। उज्जवला योजना का नहीं मिला लाभ :- सरकार के द्वारा चलाये जा रहे महत्वकांक्षी योजना उज्जवला योजना का लाभ सबों को नहीं मिला, जिसके कारण आज़ भी लोग लकड़ी पर खाना बना कर अपना भरन पोषण कर रहे हैं।