7 से 8 महीना का ग्राम रोजगार सेवकों का मानदेय नहीं मिला भुखमरी की नौबत
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किसी भी समाज को बदलने का सबसे आसान तरीका है कि राजनीति को बदला जाए, मानव भारत जैसे देश में जहां आज भी महिलाओं को घर और परिवार संभालने की प्रमुख इकाई के तौर पर देखा जाता है, वहां यह सवाल कम से कम एक सदी आगे का है। हक और अधिकारों की लड़ाई समय, देश, काल और परिस्थितियों से इतर होती है? ऐसे में इस एक सवाल के सहारे इस पर वोट मांगना बड़ा और साहसिक लेकिन जरूरी सवाल है, क्योंकि देश की आबादी में आधा हिस्सा महिलाओं का है। इस मसले पर बहनबॉक्स की तान्याराणा ने कई महिलाओँ से बात की जिसमें से एक महिला ने तान्या को बताया कि कामकाजी माँओं के रूप में, उन्हें खाली जगह की भी ज़रूरत महसूस होती है पर अब उन्हें वह समय नहीं मिलता है. महिलाओं को उनके काम का हिस्सा देने और उन्हें उनकी पहचान देने के मसले पर आप क्या सोचते हैं? इस विषय पर राय रिकॉर्ड करें
आपका पैसा आपकी ताकत की आज की कड़ी में हम सुनेंगे अपने श्रोताओं की राय
बलरामपुर बेकिंग न्यूज
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उत्तरप्रदेश राज्य के बाँदा जिला से खेम सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि प्राइवेट कम्पनियों के मालिक मजदूरों के साथ शोषण करते हैं। मजदूर अपना गाँव छोड़ कर दूसरे शहर व राज्य जाते हैं कमाने के लिए। लेकिन कंपनी मालिक उन्हें समय पर और सही वेतन नहीं देते हैं। मजदूर इसके लिए कहीं शिकायत भी नहीं कर पाते हैं