उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती जिले से शालिनी श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बच्चों की शिक्षा के अधिकार के बारे में जानकारी देते हुए यह कहती हैं कि भारत में शिक्षा का बड़ा महत्व एवं जीवन का आधार माना गया है अर्थात शिक्षा ही जीवन है। उन्होंने बताया कि देश के आधुनिक या विकसित होने का प्रमाण उस देश के नागरिकों में स्थित है। उन्हें जीवन में सही तरीके से जीने की शिक्षा प्राप्त है। उन्होंने यह भी बताया कि आधुनिक समय में शिक्षा को ही राष्ट्रीय समाज की प्रगति का सूचक समझा जाता है और हमारे देश में आजादी के बाद शिक्षा के महत्व को समझते हुए सभी को शिक्षा की दिशा में काम करते हुए इसे शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 तक 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान किया गया है। साथ ही सभी को निशुल्क और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिलाने के उद्देश्य से राज्य केंद्रीय स्तर पर शिक्षक पात्रता परीक्षा का तत्वाधान किया गया है, जो युवक आगे बढ़ कर एक शिक्षक बनना चाहता है, उन्हें शिक्षक पात्रता परीक्षा अनिवार्य रूप से उत्तीर्ण करनी होती है शिक्षा के अधिकार की विशेषताएं देश के सभी बच्चों को जो 6 वर्ष से 14 वर्ष की आयु के हैं, उन्हें निशुल्क और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिलाना किसी भी बालक को किसी शुल्क अथवा शिक्षा पर खर्च के आधार पर शिक्षा देने से वंचित नहीं किया जा सकता है। यदि 14 वर्ष से कम आयु का बच्चा नियमित रूप से विद्यालय कभी नहीं गया यदि किसी क्षेत्र में कोई विद्यालय नहीं है, तो राज्य और केंद्र सरकार का दायित्व है कि वे 3 वर्ष की अवधि तक कोई विद्यालय का निर्माण सुनिश्चित करें परंतु किसी भी स्टूडेंट को किसी भी कक्षा में प्रवेश दिया जा सके