उत्तरप्रदेश राज्य के गाज़ीपुर ज़िला से आशा दीदी ,ग़ाज़ीपुर स्वास्थ्य सहायक वाणी के माध्यम से कहती है कि उनके ज़िला गाज़ीपुर में किशोरियों के लिए आयरन ,कैल्शियम की गोली व माहवारी के समय पैड की कोई व्यवस्था नहीं है
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उत्तर प्रदेश राज्य के जिला ग़ाज़ीपुर से नीतू मोबाइल वाणी के माध्यम से ग्राम स्वास्थ्य स्वछता समिति की कार्य एवं दाइत्व के बारे में जानकारी दे रही है। बता रही है कि ग्राम स्वास्थ्य स्वछता पोषण समिति ग्राम स्तर पर दी जाने वाली सशक्त प्रबंधन समिति है जिसके मुख्य कार्य ग्राम स्तर पर दी जाने वाली स्वास्थ्य पोषण एवं स्वछता सुविधाओं का सयोगात्मक निगरानी एवं मूयांकन करना है। आगे बता रही है कि आम तौर पर समुदाय को सेवादाता की भूमिका की सही जानकारी नहीं होती है जिसके कारण स्वास्थ्य सेवाओं की निगरानी व आवश्यक सहयोग तथा मांग नहीं कर पाते हैं।
उत्तर प्रदेश राज्य के ग़ाज़ीपुर जिला से नीतू मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही है कि मनहाइ ब्लॉक की आशा सीता कह रही है कि जबसे उन्होंने ग़ाज़ीपुर स्वास्थ्य सहायक वाणी के कार्यक्रमों को सुना है तबसे उन्हें स्वास्थ्य से जुडी अनेक जानकारी प्राप्त हुई है। साथ ही कह रही है कि प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं में किस तरह से गर्भवती महिला का देख भाल करना है किस तहह से बच्चों का देख भाल करना है साथ ही कौन कौन से हमारे अधिकार है इन सभी चीज़ों के बारे में उन्हें जानकारी मिली है।
उत्तर प्रदेश राज्य के जिला ग़ाज़ीपुर से नीतू मोबाइल वाणी के माध्यम से सुरक्षित गर्भ समापन के बार में जानकारी दे रही है। बता रही है कि मेडिकल टर्मिनेशन अधिनियम 1971 के अधिनियम केवल पंजीकृत चिकित्सक जो की अधिनियम के अनुरूप प्रशिक्षित या अनुभव रखता हो महिलाएँ वह से सुरक्षित गर्भसमापन करा सकती है। बता रही है कि सरकार द्वारा स्थापित अस्पताल जो की प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के ऊपर का हो जैसे की जिला अस्पताल,मान्यता प्राप्त निजी नर्सिंग होम अस्पताल जिसका मेडिकल टर्मिनेशन अधिनियम 1971 की अंतर्गत पंजीकृत होना अनिवार्य है
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उत्तर प्रदेश राज्य के जिला ग़ाज़ीपुर से नीतू मोबाइल वाणी के माध्यम से गर्भ समापन के बारे में बात कर रही है। कहती है कि उत्तर प्रदेश में कुल 50 लाख महिलाएँ गर्भवती होती है जिसमे से 6 लाख महिलाएँ अपना गर्भ समापन कराती हैं। आगे कह रही है कि करीब 8 प्रतिशत महिलाओं की मृत्यु असुरक्षित गर्भ समापन से हो जाती है। गर्भसमापन के कारण होने वाले मृत्यु को दखते हुवे भारत सरकार द्वारा 1971 में गर्भसमापन के लिए कानून बनाया गया था
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